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MCD के नतीजे बताएंगे, दिल्ली कांग्रेस माकन की या शीला की! जानिए इनसाइड स्टोरी

माकन विरोधी कहते हैं कि जब बात आगे बढ़ेगी तो केंद्रीय नेताओं की बात माकन के लिए परेशानी का सबब बनेगी. इसलिए सभी को इंतजार है एमसीडी चुनाव के परिणामों का. उसके बाद राहुल गांधी के करीबी अजय माकन का भविष्य तय होगा.

अजय माकन और शीला दीक्षित अजय माकन और शीला दीक्षित
कुमार विक्रांत/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 3:51 AM IST

राजधानी दिल्ली में यूं तो सियासी लड़ाई एमसीडी चुनाव को लेकर हो रही है. एक तरफ बीजेपी ने मोर्चा खोला है, वहीं दिल्ली सरकार पर काबिज केजरीवाल ने जीते तो जनता का फैसला और हारे तो ईवीएम जिम्मेदार का नारा दिया है. इन सबके बीच कांग्रेस भी अपना सियासी भविष्य तलाश रही है.

अजय माकन से नाराज तमाम नेता
सूत्रों की माने तो कांग्रेस अगर BJP और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के बीच राजौरी गार्डन के विधानसभा चुनाव की तरह अगर नंबर दो पर नहीं आई तो बखेड़ा खड़ा होने वाला है. पूर्व सीएम शीला दीक्षित कैंप के तमाम नेता अजय माकन से नाराज हैं. आज की वह रात है जब शायद कांग्रेसियों को इस बात पर नींद नहीं आएगी कि वह हारेंगे या जीतेंगे. उनको सुकून इस बात पर आएगा कि, क्या वह नंबर दो पर आएंगे. अगर नहीं आए तो शीला कैंप राहुल के चहेते अजय माकन पर हमलावर होगा जो खुद को दिल्ली में राहुल गांधी मानते हैं.

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कई नाराज नेताओं ने छोड़ी पार्टी
अजय माकन पर संदीप दीक्षित का आरोप है कि वह दिल्ली कांग्रेस को अपनी जेब से चलाते हैं, जैसे कांग्रेस को राहुल अपने हिसाब से चलाते हैं. अजय माकन दिल्ली कांग्रेस में खुद को राहुल गांधी बताते हैं. नाराजगी का आलम देखिए कि शीला सरकार में मंत्री अरविंदर सिंह लवली, दिल्ली प्रदेश के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अमित मलिक, दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह, दिल्ली के पूर्व विधायक अमरीश गौतम अजय माकन की कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए.

शायद इसीलिए 'आज तक' से बातचीत में शीला ने साफ कहा कि एमसीडी में वोट कांग्रेस के नाम पर पड़ेगा, माकन के नाम पर नहीं. तो संदीप ने कहा कि कांग्रेस 15 साल के शीला सरकार के नाम पर वोट मांग रही है. माकन डरपोक हैं, बुज़दिल हैं, तंगदिल हैं और कम दिमाग के हैं. लगता है उनका नेतृत्व थोपा गया है.

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अजय माकन पर लगाए गए ये आरोप
समस्या यहां नहीं खत्म होती. समस्या यह है कि सभी कहते हैं कि माकन किसी का फोन नहीं उठाते, लाइन पर नहीं आते. विरोधी कहते हैं कि माकन रिश्ते सुधारना नहीं चाहते, वह चाहते हैं किजो विरोधी हैं वह कांग्रेस छोड़कर चला जाए. इससे कांग्रेस पर कब्जा सिर्फ माकन का रह जाए, ये फेहरिस्त बहुत लंबी है. शीला सरकार में अहम रोल निभाने वाले सीनियर नेता एके वालिया नाराज हैं, दूसरे सीनियर योगानंद शास्त्री भी नाराज हैं, मंगतराम सिंगल भी नाराज हैं. हारुन यूसुफ नाखुश हैं तो परवेज हाशमी भी चुपचाप बैठे हैं. सूत्र बताते हैं कि अजय माकन ने राहुल गांधी को अपने साथ रख कर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेताओं की लंबी फेहरिस्त को तो हाशिए पर डाल ही दिया.

माकन को राहुल गांधी का सहारा
साथ ही कमलनाथ अहमद पटेल मुकुल वासनिक ऑस्कर फर्नांडिस जैसे नेताओं को भी टिकट बंटवारे में ठेंगा दिखा दिया. अब सबको इंतजार है एमसीडी चुनाव के परिणाम का और माकन को सहारा है राहुल गांधी का. सच्चाई यही है कि अगर एमसीडी में कांग्रेस हारी तो क्या राहुल माकन को जिम्मेदार मानेंगे या फिर राहुल यह मान लेंगे कि माकन ने मेहनत की, कोशिश की पर माहौल ठीक नहीं था, इसलिए कांग्रेस हार गई.

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चुनाव परिणाम के इंतजार में कांग्रेसी दिग्गज
माकन विरोधी कहते हैं कि जब बात आगे बढ़ेगी तो केंद्रीय नेताओं की बात माकन के लिए परेशानी का सबब बनेगी. इसलिए सभी को इंतजार है एमसीडी चुनाव के परिणामों का. उसके बाद राहुल गांधी के करीबी अजय माकन का भविष्य तय होगा, हालांकि पुराने कांग्रेसी कहते हैं कि राहुल जिम्मेदारी तय नहीं करते, जवाबदेही तय नहीं करते. वह किसी को अपना साथी बनाते हैं और अगर वह गलती करता है तो उसको किसी एक महत्वपूर्ण जगह से हटाकर दूसरी महत्वपूर्ण जगह पर पहुंचा देते हैं.

कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर एमसीडी में माकन खराब प्रदर्शन करेंगे तो दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शायद उनको कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया जाएगा. अब आवाज़ उठेगी कि राहुल गांधी जवाबदेही तय नहीं कर पा रहे हैं और कांग्रेस चौराहे पर खड़ी है, रास्ता तलाश रही है.

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