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मेघालय: बीजेपी की एकला चलो नीति, कांग्रेस के लिए वर्चस्व की लड़ाई और TMC की एंट्री

मेघालय चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में 27 फरवरी को वोटिंग होने जा रही है और दो मार्च को नतीजे आएंगे. अभी के लिए इस चुनाव में बीजेपी अकेले ही उतरने जा रही है, लेकिन उसे नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) से काफी उम्मीद हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त भी नतीजों के बाद बीजेपी और एनपीपी का गठबंधन हुआ था और राज्य में सरकार बनी थी.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST

मेघालय चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में 27 फरवरी को वोटिंग होने जा रही है और दो मार्च को नतीजे आएंगे. मेघालय एक ऐसा राज्य है जहां पर महिलाओं का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है. यहां 60 में से 36 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर महिला, पुरुषों से भी ज्यादा संख्या में है. लेकिन फिर भी मेघालय की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर चल रही है. अभी के लिए इस चुनाव में बीजेपी अकेले ही उतरने जा रही है, लेकिन उसे नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) से काफी उम्मीद हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त भी नतीजों के बाद बीजेपी और एनपीपी का गठबंधन हुआ था और राज्य में सरकार बनी थी.

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बड़ी बात ये रही कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसके खाते में 21 सीटें गई थी. बहुमत से तो पार्टी दूर रह गई, लेकिन सीटों के मामले में बीजेपी से कोसो आगे रही. उस चुनाव में बीजेपी ने 47 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीती सिर्फ दो सीट थी. वहीं दूसरी तरफ एनपीपी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बताया जाता है कि तब हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बड़ा खेल करते हुए चुनाव के बाद एनपीपी से संपर्क साधा और बीजेपी के साथ सरकार बनाने का ऑफर दिया. उसके बाद से राज्य के सीएम कोनराड संगमा बने और बीजेपी को दो सीटों के बावजूद सरकार में आने का मौका मिल गया. इस समय दोनों ही दलों के बीच कई मुद्दों पर विवाद चल रहा है, ऐसे में बीजेपी और एनपीपी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रही है. लेकिन इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता कि चुनाव के बाद फिर बीजेपी और एनपीपी साथ आ जाएं. 

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कांग्रेस की बात करें तो इस बार मेघालय का चुनाव पार्टी के लिए और ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन चुका है. इसका बड़ा कारण ये है कि पार्टी के कई विधायक दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं. इस समय मेघालय की विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ दो विधायक बचे हैं, उनका भी पार्टी में रहना मुश्किल लग रहा है. ऐसे में इस पूर्वोत्तर के राज्य में कांग्रेस को शुरुआत से ही संघर्ष करना पड़ेगा. अब वो संघर्ष ज्यादा चुनौतीपूर्ण इसलिए बन सकता है क्योंकि पार्टी ऐलान कर चुकी है कि वो चुनाव में अकेले ही उतरने वाली है. वहीं इस बार मैदान में टीएमसी भी खड़ी है, ऐसे में कुछ सीटों पर उसका असर भी देखने को मिल सकता है. सरकारों की बात करें तो मेघालय में क्षेत्रीय दलों का बड़ा प्रभाव रहा है. नेशनल पीपुल्स पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसी कई पार्टियां जमीन पर सक्रिय हैं. राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस और टीएमसी दिखाई देती है.


 

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