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तेलंगाना में KCR ही किंग, प्रचंड बहुमत से बनाएंगे सरकार

कांग्रेस और राहुल गांधी तेलंगाना में पूरा जोर लगाते रहे लेकिन सीटें दहाई में न पहुंच पाईं. अंततः वही हुआ जैसा तेलंगाना के लोगों को भरोसा था. केसीआर ने प्रचंड बहुमत के साथ अपने विरोधियों को मात दे दी और अगली सरकार बनाने की तैयारी है.

के चंद्रशेखर राव (फोटो-PTI) के चंद्रशेखर राव (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

तेलंगाना से आए रुझानों से साफ हो गया है कि वहां तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की सरकार बनेगी. रुझान ये भी बताते हैं कि टीआरएस तेलंगाना में स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाएगी.  चुनाव पूर्व कांग्रेस जीत के दावे कर रही थी, लेकिन उसकी सीटें दहाई अंक में भी नहींपहुंच पाईं. यही हाल बीजेपी का भी रहा. हालांकि टीआरएस और बीजेपी में अघोषित गठबंधन है. के चंद्रशेखर राव फिलहाल तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं, लेकिन जीत के बाद फिर वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे. 

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इस चुनाव के साथ यह भी साफ हो गया कि तेलंगाना में चंद्रशेखर राव का जलवा बरकरार है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां कई चुनावी रैलियां कीं और कई जनसभाओं में  राव और उनकी सरकार के खिलाफ हमला बोला, लेकिन अंत नतीजा कांग्रेस के लिए जहां दुखद रहा तो टीआरएसके लिए सुखद. केसीआर के नाम से मशहूर चंद्रशेखर राव का राजनीति करने का तरीका और लोगों से जुड़े रहने का भाव इन्हें देश के अन्य नेताओं से कुछ अलग बनाता है. साल 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना का निर्माण हुआ, लेकिन पिछले 5 साल में केसीआर ने जमीनीस्तर पर ऐसे कई काम किए जिनसे अन्य पार्टियों और नेताओं को केसीआर की राजनीति में सेंधमारी करने का मौका तक नहीं मिला.  

पृथक तेलंगाना के लिए टीआरएस का गठन अहम कारण माना जाता है. टीआरएस की लड़ाई इसी सिद्धांत पर रही कि उसे तेलंगाना क्षेत्र की भलाई के लिए आंध्र प्रदेश से अलग होना है और लोगों के साथ हो रहे भेदभाव का कोई सार्थक समाधान निकालना है. अंततः तेलंगाना आंध्र प्रदेशसे अलग हुआ और 2014 में केसीआर मुख्यमंत्री बने. यह कोई पहला मौका नहीं था जब केसीआर के हाथ कोई बड़ी जिम्मेदारी मिली हो. इससे पहले 2004 में वे टीआरएस उम्मीदवार के तौर पर सिद्दीपेट विधानसभा और करीमनगर लोकसभा क्षेत्र से चुने जा चुके थे. 

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2004 का संसदीय चुनाव केसीआर के लिए कुछ खास था क्योंकि टीआरएस ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने केसीआर को भरोसा दिलाया था कि तेलंगाना को पृथक राज्य का दर्जा दिया जाएगा. इस चुनाव में केसीआर के अलावा 5 टीआरएस के नेता सांसद बनाए गए, लेकिन तत्कालीनकांग्रेस सरकार ने केसीआर से किया वादा पूरा नहीं किया. इसके बाद कांग्रेस और टीआरएस में दूरियां बढ़ती गईं. बीजेपी ने तेलंगाना बनाने में मदद की और इस लिहाज से बीजेपी और टीआरएस में नजदीकियां कुछ खास हैं. ये नजदीकियां 2018 के विधानसभा चुनाव में देखे गए जब बीजेपीने खुलेआम ऐलान किया कि सीटें घटने की सूरत में बीजेपी टीआरएस को मदद करेगी. 

गेम चेंजर हैं केसीआर

केसीआर का तेलंगाना विधानसभा को भंग करने और समय से पहले चुनाव कराने के फैसले को मास्टरस्ट्रोक माना गया. हालांकि उनकी राह को मुश्किल बनाने के लिए अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस और टीडीपी ने हाथ मिलाकर महागठबंधन बनाया और गेम चेंजर होने का दावा किया. इस गठबंधनमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और नई बनी पार्टी तेलंगाना जन समिति भी शामिल हो गई. इन चार पार्टियों के हाथ मिलाने से राज्य में विपक्ष की दावेदारी को मजबूती मिली. सर्वे में भी बताया गया कि कांग्रेस की दक्षिण तेलंगाना के जिलों में अच्छी पकड़ है, लिहाजावह टीआरएस का काम खराब कर सकती है लेकिन केसीआर ने दांव उलटा कर दिया और अब स्पष्ट बहुमत के साथ उनकी सरकार बनने जा रही है.

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मजबूत इरादों वाले CM हैं केसीआर

केसीआर को काफी पक्के इरादे वाला मुख्यमंत्री माना जाता है. उनके राजकाज का यह अलहदा तरीका ही है जो उन्होंने 2016 में राज्य के 10 जिलों को बांटकर 31 जिले बना दिए, जिसका उन्होंने अलग राज्य के अभियान चलाने के दौरान वादा भी किया था. पुनर्गठन के बाद मंडलों कीसंख्या बढ़कर 584 तक पहुंच गई. हालांकि प्रति जिले के हिसाब से इनकी संख्या 46 से घटकर 19 तक पहुंच गई. अब हर जिले में एकीकृत प्रशासनिक इमारतें, हर विभाग के लिए दफ्तर बनाने की प्रक्रिया जारी है और एक ही छत के नीचे ई-सेवाओं सहित सभी सेवाएं देने की तैयारी है.

कुटुंब सर्वे का कमाल

केसीआर की अगुआई वाली तेलंगाना सरकार ने 29 अक्तूबर, 2014 को एक समग्र कुटुंब सर्वे कराया, जिसमें 4 लाख सरकारी कर्मचारियों को काम में लगाकर 84 मानदंडों के आधार पर घर-घर की जानकारी ली गई. इससे राज्य को ऐसा भरोसेमंद डेटाबेस मिला जो अपनी पहुंच और गहराई के मामलेमें अभूतपूर्व था. यह डेटा नीति निर्धारण और आम आदमी को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली योजनाओं के लिए ज्यादा उपयोगी है. तेलंगाना ने मीसेवा केंद्र स्थापित किया है. यह एक सिंगल एंट्री और एग्जिट पोर्टल है, इसके जरिए सरकार से लोगों या सरकार से कारोबार से जुड़ी सेवाएंदी जाती हैं. इसके 5,073 केंद्र 38 विभागों की 600 सेवाएं दी जाती हैं.

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यह जानकार लोगों को ताज्जुब होता है कि पिछले चार साल में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर ई-ट्रांजैक्शन की संख्या के मामले में तेलंगाना सबसे आगे है. प्रति हजार 89,883 ट्रांजैक्शन के साथ राज्य शीर्ष पर है, इसके बाद आंध्र प्रदेश (82,868) और केरल (59,582) का स्थानहै. इस सफलता की रीढ़ है डिजिटल तेलंगाना कार्यक्रम. सभी को डिजिटल सुविधा मुहैया करने के लिए तेलंगाना फाइबर ग्रिड (टी-फाइबर) बड़े पैमाने पर डिजिटल नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है जिससे राज्य के 84 लाख परिवारों को जोड़ा जा सके. मिशन भागीरथ के तहत बिछने वालेवाटर पाइप रूट के साथ ही टी-फाइबर के द्वारा फाइबर ऑप्टिक केबल भी बिछाया जाएगा. इससे हर परिवार को पेयजल मुहैया होगा.

हर मोर्चे पर काम

केसीआर की सरकार ने राजकाज की सुविधा के लिए 2016 में 10 जिलों को पुनगर्ठित कर 31 में बदल दिया. जमीन की रजिस्ट्री को साफ-सुथरा और अपडेट बनाने के लिए एक व्यापक लैंड सर्वे किया गया, जिसमें मौजूदा वैध भूस्वामियों को शामिल किया गया. इसका लाभ आज तेलंगाना के हरजन को भलीभांति मिल रहा है. केसीआर के नेतृत्व में तेलंगाना में चल रहे इन कार्यों का नतीजा ही है कि केसीआर दोबारा सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं.

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