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तमिलनाडु विधानसभा चुनाव की 234 सीटों पर 6 अप्रैल यानी मंगलवार को वोटिंग होनी है. मौजूदा समय में एआईएडीएमके की सरकार है. इस बार एआईएडीएमके और बीजेपी मिलकर एनडीए गठबंधन के तौर विधानसभा चुनाव लड़ रही है. वहीं, एमके स्टालिन के अगुवाई में डीएमके-कांग्रेस मिलकर सत्ता में वापसी के लिए बेताब हैं. बीजेपी अपनी सहयोगी AIADMK की सत्ता के बचाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है और पीएम नरेंद्र मोदी एक के बाद एक रैली कर माहौल बनाने में जुटे हैं.
तमिलनाडु में बीजेपी 234 सीटों में से महज 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, लेकिन बीजेपी अपने साथ-साथ सहयोगी दलों के सीटों पर भी उनकी जीत के लिए मशक्कत करती नजर आ रही है. बीजेपी शशिकला फैक्टर की वजह से उत्पन्न हुए संकट को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पहले तो उसने AIADMK के दोनों धड़ों के बीच दूरी पाटने की कोशिश की, लेकिन जब वह संभव न हो सका तो पार्टी ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी मुश्किल थी. माना जाता है कि बीजेपी ने शशिकला को राजनीतिक परिदृश्य से हटने के लिए राजी किया, जिसके तहत उन्होंने राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी.
यही नहीं चुनावी घमासान के बीच मोदी सरकार ने सुपर स्टार रजनीकांत को उनके अभिनय के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार का ऐलान किया. इतना ही नहीं बीजेपी ने तमिलनाडु के प्रचीन मंदिरों को संत-महात्माओं को सौंपने का वादा अपने घोषणापत्र में किया. पीएम मोदी मीनाक्षी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना कर सियासी संदेश देने की कवायद करते नजर आए. साथ ही तमिलनाडु में जातीय कार्ड खेलकर हिंदू मतदाताओं को साथ जोड़ने का दांव चला. ऐसे में देखना है कि बीजेपी की ये तमाम कोशिशें क्या अपने सहयोगी AIADMK की सत्ता में वापसी तय कर पाएगी?
तमिलनाडु में बीजेपी का मंदिर दांव
तमिलनाडु में मंदिरों के प्रबंधन की कमान सरकार के हाथ में है. ऐसे में बीजेपी ने तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में मंदिरों को लेकर बड़ा वादा किया. बीजेपी ने कहा है कि अगर राज्य की सत्ता में वो आती है, तो सभी प्राचीन मंदिरों को संत-महात्माओं को सौंप दिया जाएगा. राज्य सरकार उनका प्रबंधन नहीं करेगी बल्कि संत समाज करेगा. तमिलनाडु में मंदिर की जिम्मेदारी की मांग लंबे समय से संत समाज करता रहा है, जिसे बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में शामिल कर उन्हें साधने की कवायद की है.
यही नहीं गुरुवार को देर शाम तमिलनाडु पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले मदुरै के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर में पूजा अर्चना की. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारंपरिक कपड़ों में नजर आए. मंदिर पहुंचने पर मीनाक्षी सुंदरेश्वरर मंदिर में उनका जोरदार स्वागत किया गया. तमिलनाडु की संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतीक मदुरै का मीनाक्षी मंदिर ही है, जिसकी दीवारों पर युगों से लेकर सदियों तक का इतिहास उकेरा गया है. यहां पीएम मोदी ने दर्शन कर सियासी तौर पर बड़ा संदेश देने की कवायद की है.
रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार
फिल्म अभिनेता रजनीकांत को मोदी सरकार ने चुनावी घमासान के बीच दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने का ऐलान किया है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भले ही कह रहे हों कि इसे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन इसके सियासी मायने जरूर निकाले जा रहे हैं. रजनीकांत ने अपनी सियासी पारी शुरू करने का ऐलान किया था. उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से बात भी की थी. लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राजनीति में आने की अपनी योजना टाल दी थी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रजनीकांत को पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की, तो प्रेस वार्ता में उनसे पूछा गया कि क्या तमिलनाडु चुनाव को देखते हुए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के दिया जा रहा है? इस सवाल पर जावड़ेकर उखड़ गए और उन्होंने कहा था कि पांच लोगों की ज्यूरी ने रजनीकांत के नाम की सिफ़ारिश की है. सामूहिक रूप से उनके नाम पर फ़ैसला लिया गया है. इसमें राजनीति कहां से आ गई. बीजेपी भले ही राजनीति से इनकार कर रही हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे तमिलनाडु चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं.
बीजेपी का तमिलनाडु में जातीय कार्ड
कन्याकुमारी में 80 फ़ीसद आबादी नादर समुदाय की हैं. इसमें हिंदू नादर और ईसाई नादर दोनों शामिल हैं. अय्या समूह भी इनसे निकले हैं. यदि आर्थिक नज़रिए से देखें तो ईसाई नादरों के हालात बेहतर थे. इसके बाद अय्या समूह थे और फिर हिंदू नादर तीसरे नंबर पर थे. ऐसे में आर्थिक स्थिति में फर्क़ की वजह से हिंदू नादरों को धर्म के आधार पर एकजुट करना आसान था.
कन्याकुमारी और तमिलनाडु के पश्चिमी जिलों में बीजेपी ने अपना सियासी आधार मजबूत किया. कन्याकुमारी में नादर समुदाय और पश्चिमी जिलों में गौंडर समुदाय को बीजेपी अपने करीब लाने में सफल हुई है. बीजेपी दक्षिण तमिलनाडु की अनुसूचित जातियों को आकर्षित करने के प्रयास में है. तमिलनाडु में चुनाव ऐलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने एक क़ानून पारित कर दक्षिण तमिलनाडु की सात अनुसूचित जातियों को 'देवेंद्र कूला वेल्लालुर' का दर्ज दिया है. बीजेपी यहां हिंदू नादरों के अलावा द्मनाभपुरम में रहने वाली एक खास जाति कृष्णावगाई को जोड़ने की कवायद की है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी को जातीय कार्ड पर क्या सियासी फायदा मिल पाएगा?