
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ. कांग्रेस ने दक्षिण भारत के इस राज्य को बीआरएस से छीन लिया. 2013 में तेलंगाना के गठन के बाद से यहां केसीआर ही सीएम थे. केसीआर की पार्टी ने 39 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत हासिल की. तेलंगाना में बीजेपी 8 सीटें जीतने में सफल रही. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का सक्सेस रेट राज्य में सबसे ज्यादा रहा. पार्टी ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से 7 पर जीत हासिल करने में सफल रही.
ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इन नौ सीटों में सात हैदराबाद से आती हैं. ओवौसी भी हैदराबाद से ही सांसद हैं. एमआईएम ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां, राजेंदर नगर और जुबली हिल्स पर कैंडिडेट खड़े किए थे.
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इन 7 सीटों पर जीती ओवैसी की पार्टी
AIMIM ने चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा, कारवां सीटों पर जीत हासिल की. 2018 के चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी पर ये सीटें थीं. ओवैसी की पार्टी को राजेंद्रनगर और जुबली हिल्स सीट पर शिकस्त मिली. असदुद्दीन औवेसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन औवेसी ने चंद्रायनगुट्टा सीट पर 81,660 वोटों से जीते.
तेलंगाना में कामारेड्डी सीट रही सबसे हॉट
तेलंगाना की कामारेड्डी सीट सबसे हॉट सीट रही. इस सीट से के चंद्रशेखर राव (केसीआर) और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी चुनाव मैदान में थे. हालांकि, इन दोनों नेताओं की चुनावी जंग में बाजी बीजेपी उम्मीदवार कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने मारी. 53 साल के कटिपल्ली ने राज्य के दोनों बड़े नेताओं को मात देकर कामारेड्डी सीट अपने नाम कर ली है.