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अखिलेश यादव के इस नारे में छिपी है सपा के यूपी चुनाव की पूरी रणनीति?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने देश के नाम संदेश जारी किया, जिसके बहाने उन्होंने 2022 के चुनाव जंग जीतन के लिए नया नारा दिया और रणनीति सामने रखी है. 'नई हवा है, नई सपा है. बड़ों का हाथ, युवा का साथ.' इसके अलावा संपर्क, संवाद, सहयोग, सहायता के संकल्प के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुट जाने की अपील की है

अखिलेश यादव अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 16 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST
  • 'नई हवा है, नई सपा है, बड़ों का हाथ, युवा का साथ
  • सपा का नया मंत्र- संपर्क, संवाद, सहयोग, सहायता
  • सब आएं, सबको स्थान और सबको सम्मान-सपा

उत्तर प्रदेश में छह महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने देश के नाम संदेश जारी किया, जिसके बहाने उन्होंने 2022 की चुनावी जंग जीतने के लिए नया नारा दिया और रणनीति सामने रखी है. 

अखिलेश ने 'नई हवा है, नई सपा है. बड़ों का हाथ, युवा का साथ.' इसके अलावा संपर्क, संवाद, सहयोग, सहायता के संकल्प के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुट जाने की अपील की है. ऐसे में सवाल उठता है कि नया नारा और नया मंत्र के साथ सपा की सत्ता में वापसी हो पाएगी? 

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पीएम मोदी के जवाब अखिलेश का नारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से नया नारा दिया है, 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास.' पीएम मोदी के नारे के जवाब में अखिलेश यादव ने भी एक नारा दिया है कि सब आएं, सबको स्थान और सबको सम्मान. इस तरह से उन्होंने सभी को सपा में आने का खुला न्योता दिया हर शख्स को उचित स्थान और पूरा सम्मान दिए जाने का भरोसा भी जताया है. 

2022 का यूपी चुनाव सपा के लिए काफी अहम माना जा रहा है, जिसके लिए अखिलेश यादव छोटे-छोटे दलों के साथ हाथ मिलाने के लिए से लेकर जातीय समीकरण दुरुस्त करने में लगे हैं. अखिलेश ने स्वतंत्रता दिवस से 2022 के चुनाव अभियान का बिगुल फूंक दिया है. सपा सरकार की उपलब्धियों और योगी सरकार की खामियों को घर-घर ले जाने की रणनीति बनाई है. 

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संपर्क, संवाद, सहयोग, सहायता का संकल्प

अखिलेश ने कहा कि बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और घटती कमाई से समाज का हर तबका परेशान है. इन हालात में जनता परिवर्तन चाहती है और पब्लिक बदलाव के मूड में हैं. कोरोना से लाखों लोगों की दुनिया उजड़ गई है. किसान, नौजवान, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी सबका एक ही हाल है. इनका दुख दर्द बांटने के लिए सपा एख अभियान शुरू करने जा रही है. इसका मूल मंत्र रखा गया है, संपर्क, संवाद, सहयोग और सहायता. इससे साफ जाहिर है कि सपा यूपी में मेल मिलाप और मदद के जरिए लोगों तक पहुंचेंगी और उनसे 2022 में सपा को सत्ता में लाने की अपील करेगी. 

'नई हवा है, नई सपा है', 'बड़ों का हाथ, युवा का साथ'

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बदलाव की इस बयार को परिवर्तन की आंधी में बदलकर नए उत्तर प्रदेश के निर्माण के लिए 'बाइस में बाइसिकल' के मिशन को साकार करने के लिए लोगों से सहयोग और समर्थन की अपील की है. यह कहते हुए कि 'नई हवा है, नई सपा है', 'बड़ों का हाथ, युवा का साथ'. अखिलेश ने कहा है कि नए युग में सरकारों का स्वरूप भी बदलना चाहिए. सरकार को शासक नहीं बल्कि जनता की सेवा करने वाला एक सर्विस प्रोवाइडर की तरह काम करने का संकल्प लेना चाहिए. ऐसा करके ही हम जनहित में काम कर सकते हैं और करेंगे भी. 

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जातिगत जनगणना पर बीजेपी को घेरेंगे अखिलेश

अखिलेश ने कहा समाज में बंटवारे की राजनीति हो रही है. जिसके खिलाफ वे जीवन भर संघर्ष करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें ये सब सीखने को मिला. वे कहते हैं कि अनुशासन से ही शासन का पाठ मिलता है. उन्होंने आरोप लगाया कि आज की सत्ता और सरकार दमनकारी है. सरकार का काम लोगों की सेवा का है लेकिन सरकार ने तो लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक डबल इंजन की सरकार से सब बेहाल हैं. ऐसे में सपा को सूबे की सत्ता में लाने के लिए उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को जुट जाने की अपील की है. 

अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ताधारी दल ने जनता से किया एक भी वायदा पूरा नहीं किया. सूबे में कई भर्तियों को सालों से सरकार उलझाए बैठी है. सीमाओं पर सरकार ठीक से काम नहीं कर पा रही है. भारत की पहचान को खत्म करने की कोशिश हो रही हैच भाजपा जातियों में झगड़ा लगाती है और पुरानी बातों में उलझाना चाहती है.उन्होंने कहा कि देश में 1931 के बाद जातीय जनगणना ही नहीं हुई. सभी को अपनी आबादी के अनुपात में हक और सम्मान मिलना चाहिए.  इस सरकार में सबसे ज्यादा उत्पीड़न और अन्याय पिछड़ों-दलितों के साथ हुआ है. 
 

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