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Akhilesh Yadav: 38 साल की उम्र में CM बनकर रिकॉर्ड बनाया, क्या फिर 'सुल्तान' बनेंगे 'टीपू'?

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 का बिगुल बज चुका है. महज 38 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले मुलायम स‍िंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बेटे और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) क्या फिर से यूपी का सुल्तान बन पाएंगे?

Akhilesh Yadav Akhilesh Yadav
विशाल कसौधन
  • लखनऊ,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST
  • 2000 में पहली बार सांसद बने थे अखिलेश यादव
  • 38 की उम्र में सीएम बनकर बनाया था रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश में विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly Election) चुनाव का बिगुल बज चुका है. 2022 का मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में नजर आ रहा है. सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथ में है, जिन्हें प्यार से लोग टीपू कहते हैं. 10 मार्च को तय हो जाएगा कि सबसे कम उम्र में (38 साल) मुख्यमंत्री बनने वाले अखिलेश यादव उर्फ टीपू का क्या फिर से दूसरी बार सुल्तान बन पाएंगे?

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इटावा जिले स्‍थ‍ित सैफई (Safai) गांव में 1 जुलाई 1973 को मुलायम स‍िंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और मालती देवी (Malti Devi) के घर पर अखिलेश यादव का जन्म हुआ था. अखिलेश की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई इटावा के सेंट मैरी स्कूल से हुई थी. फिर उन्होंने आगे की पढ़ाई राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से की.

अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया से की है पढ़ाई

इसके बाद अखिलेश यादव ने मैसूर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. फिर वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए. यहां उन्होंने सिडनी यूनिवर्सिटी से पर्यावरणीय अभियांत्रिकी में परास्नातक किया. पढ़ाई खत्म कर वह भारत लौट आए और राजनीति का ककहरा सीखने लगे.

2000 में अखिलेश ने लड़ा था पहला चुनाव

अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 को डिपंल सिंह से शादी की. इसके बाद अख‍िलेश यादव सक्र‍िय राजनीत‍ि में आए और 2000 में उन्‍होंने पहला चुनाव लड़ा. अपनी राजनीति पारी शुरू करने पर अखिलेश यादव ने कहा था, 'मैं बाहर था, तभी मेरे पास नेताजी का फोन आया और मुझसे कहा गया कि आपको चुनाव लड़ना है.'

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27 की उम्र में सांसद बन गए थे अखिलेश

2000 में कन्नौज लोकसभा का उपचुनाव अखिलेश यादव ने लड़ा था. 27 साल की उम्र में अखिलेश यादव सांसद बन गए थे. अखिलेश यादव ने 2004 में भी कन्नौज से चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीते. 2009 में अखिलेश यादव दो सीटों (कन्नौज और फिरोजाबाद) से लोकसभा का चुनाव लड़े और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की. फिर फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी.

2012 में अखिलेश की मेहनत लाई थी रंग

इसी बीच मुलायम सिंह यादव ने सपा की प्रदेश इकाई के नेतृत्व की जिम्मेदारी अखिलेश के कंधे पर डाल दी. अखिलेश ने अपनी जिम्मेदारी भी क्या खूब निभाई. 2012 के चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही अखिलेश कभी ‘क्रांति रथ यात्रा’ तो कभी साइकिल से की यात्राएं निकाल कर पूरे प्रदेश को मानो मथ डाला.

अखिलेश यादव के लिए 2012 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव गेमचेंजर साबित हुआ. इस चुनाव में सपा ने 224 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया. इसका पूरा अखिलेश यादव की रणनीति को दिया जाता है. मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव की मेहनत का ईनाम उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपकर दिया.

38 साल की उम्र में सीएम बन गए थे अखिलेश

10 मार्च 2012 को अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नेता चुना गया. इसके बाद 15 मार्च को अखिलेश यादव ने सिर्फ 38 साल की उम्र में राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 3 मई 2012 को सांसदी छोड़ दी और कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद बनीं.

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अखिलेश यादव 5 मई 2012 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बन गए. पांच साल तक यूपी की सरकार चलाने वाले अखिलेश यादव पर मुजफ्फरनगर दंगों समेत कई आरोप लगे. साथ ही उन्होंने यूपी के विकास का नया हाईटेक मॉडल भी पेश किया, लेकिन 2016 में मुलायम सिंह यादव के परिवार की सियासी जंग सड़क पर आ गई.

अखिलेश यादव vs शिवपाल सिंह यादव

समाजवादी पार्टी (सपा) पर कब्जे के लिए अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव आमने-सामने आ गए. काफी जद्दोजहद के बाद अखिलेश यादव के हाथ में ही सपा की कमान आई और वह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. यादव परिवार की आपसी लड़ाई का असर 2017 के विधानसभा चुनाव पर पड़ा.

यूपी को नहीं पसंद आया था 'दो लड़कों का साथ'

नतीजा यह हुआ कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी से हाथ मिलाया था, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं देखने को मिला. समाजवादी पार्टी जहां सिर्फ 47 सीट जीत सकी, वहीं 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस महज सात सीट पर सिमट कर रह गई. इस चुनाव में यूपी को दो लड़कों (अखिलेश और राहुल) का साथ पसंद नहीं आया था.

मायावती के साथ गठबंधन भी हुआ था फ्लॉप

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इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बड़ा प्रयोग करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर लिया. इस चुनाव में अखिलेश यादव आजमगढ़ से मैदान में उतरे और चौथी बार जीतकर संसद पहुंचे हैं. बसपा और सपा के गठबंधन का कोई खास फायदा अखिलेश को नहीं मिला और उसके कई दिग्गज चुनाव हार गए.

2022 में क्या टीपू फिर से बन पाएंगे यूपी के सुल्तान?

अब 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बड़ी पार्टियों से दूरी बना ली है और छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को सत्ता से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं. अब देखना होगा कि मुलायम सिंह यादव का टीपू दूसरी बार फिर से यूपी का सुल्तान बन पाएगा या नहीं?

 

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