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UP Election: 'पावर' पंच के बाद अब पेंशन, अखिलेश के दांव से बढ़ेगी बीजेपी की टेंशन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने के बाद अब मतदातओं को सीधे साधने में जुटे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव ने सूबे में 300 यूनिट बिजली फ्री देने के वादे के बाद अब सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने का दांव चला है. देखना है कि सपा का सियासी दांव कितना कारगर होता है?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 21 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST
  • यूपी में 28 लाख कर्मचारियों को साधने के लिए दांव
  • यूपी में घरेलू बिजली उपभोक्ता करीब ढाई करोड़
  • 2018 से पेंशन बहाली की मांग यूपी में उठ रही

उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक के बाद एक सियासी दांव चल रहे हैं. सूबे में घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली फ्री देने के ऐलान के बाद अखिलेश यादव ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने का भी वादा किया है. यूपी में राज्य कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के ये ऐलान बीजेपी की चुनौती बढ़ा सकते हैं.

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सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बहाली
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वादा किया कि अगर सूबे में उनकी सरकार बनी तो पुरानी पेंशन लागू की जाएगी. उन्होंने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली का वादे को पूरा करने के लिए उनकी सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारी नेताओं की टीम बना कर इस पर काम किया था.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दिसंबर 2018 में पुरानी पेंशन बहाली पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने इस दिशा में बहुत सारे तथ्यों पर काम किया था, लेकिन बाद धीरे-धीरे यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. ऐसे में अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन बहाली का ब्रह्मास्त्र चलकर राज्य के सरकारी कर्मचारियों को अपने पाले में लाने का दांव चल दिया है, क्योंकि ये सरकारी कर्मचारी काफी समय से कह रहे थे कि जो हमारी मांगों को पूरा करेगा, हम चुनाव में उसी का साथ जाएंगे. 

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सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन (2005 के पहले जैसी) एक ऐसा मुद्दा है, जिससे सीधे तौर पर राज्य के करीब 28 लाख कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर्स जुड़ रहे हैं. यह शिक्षित वर्ग है और समाज में राय कायम करता है. समाज में ना सही, यदि परिवार में भी इन्होंने एक राय बना ली तो एक करोड़ वोटरों तक इनकी पहुंच है. 

हालांकि, सूबे में सरकारी कर्मचारी को अपने साथ जोड़े रखने के लिए चुनाव की अधिसूचना से तीन महीने पहले में योगी सरकार ने भी कर्मियों के मानदेय में इजाफा और पुराने बंद भत्तों को बहाल करने के साथ ही कुछ नए भत्ते देने का ऐलान किया था. लेकिन पहली बार मुद्दा बनी पुरानी पेंशन योजना पर सपा ने सबसे पहले कदम बढ़ाकर बीजेपी की चिंता को बढ़ा दिया है. 

300 यूनिट फ्री बिजली का वादा 
दिल्ली में केजरीवाल का 200 यूनिट बिजली फ्री देने का दांव सियासी तौर पर काफी सफल रहा था. यूपी में महंगी बिजली बड़ा चुनावी मुद्दा है. केजरीवाल की तर्ज पर अखिलेश यादव ने भी 300 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा किया है. इसके लिए सपा ने एक पोर्टल भी बनाने की बात कही है, लेकिन अब पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इसके लिए घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं. प्रदेश में कुल बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 2 करोड़ 90 लाख है, जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 2 करोड़ 40 लाख है. 

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समाजवादी पार्टी ने सहयोग योजना के तहत दो करोड़ 40 लाख परिवारों तक पहुंचने का प्लान बनाया है. अभी सपा नेताओं का कहना है कि समाजवादी सहयोग योजना के जरिए फॉर्म को भरने वाले लोगों को ही चुनाव के बाद फ्री बिजली दी जाएगी. सपा इस तरह से लोगों के बीच पहुंच रही है और मतदाताओं की सियासी मिजाज को भी भांप रही है. दिल्ली में केजरीवाल का यह मॉडल सफल रहा है. पंजाब में भी उन्होंने इसका वायदा कर रखा है. अब यूपी में देखना है कि बिजली का वायदा अखिलेश को प्रदेश की पावर में ला पाता है या नहीं.

 

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