
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने खोए हुए राजनीतिक जनाधार को दोबारा से वापस लाने की कवायद में जुटी है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक बार फिर से 12 अक्टूबर को रथ पर सवार होकर सूबे का दौरा करेंगे. रथ यात्रा के जरिए सूबे में अखिलेश बीजेपी और योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के साथ-साथ चार महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का सियासी एजेंडा सेट करते नजर आएंगे.
अखिलेश की रथ यात्रा को लेकर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में अमानवीय सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 12 अक्टूबर को कानपुर से 'समाजवादी विजय यात्रा' शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को बीजेपी सरकार की भ्रष्ट, निरंकुश और दमनकारी नीतियों से अवगत कराना. चौधरी ने कहा कि अखिलेश की यात्राएं राज्य में बीजेपी सरकार से निजात दिलाने के लिए है.
अखिलेश ने बताया- यात्रा किसके लिए
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रथयात्रा को लेकर लिखित में बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि 'समाजवादी विजय रथ यात्रा' सूबे में न्याय और महिलाओं के मान-सम्मान के लिए है. अखिलेश यादव ने कहा है कि युवाओं को नौकरी-रोजगार के लिए, गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों के बीच विश्वास जगाने के लिए है विजय रथ यात्रा का वह खुद नेतृत्व करें.
मिशन-2022 में जुटे अखिलेश यादव रथ यात्रा पर सवार होकर एक तरफ तो सूबे में घूम-घूमकर योगी सरकार की खामियों को उजागर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का काम करेंगे तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के तर्ज पर युवाओं को साधने के लिए रोजगार के मुद्दे को भी धार देंगे. इतना ही नहीं अखिलेश अपने परंपरागत वोट मस्लिम और पिछड़ों के साथ दलितों को भी साधने की कवायद करते नजर आएंगे. इससे जाहिर होता है कि अखिलेश रथ यात्रा के बहाने चुनावी एजेंडा सेट करने की कोशिश करेंगे.
बता दें कि चार महीने बाद यूपी में होना वाला विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव की सियासी भविष्य के लिए सबसे चुनौती पूर्ण होने जा रहा है. अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव से नाता तोड़कर अलग हो चुके हैं और अब सूबे में वो भी रथ यात्रा के जरिए अपना माहौल बनाने के लिए निकल रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की नजर उनके मुस्लिम वोटबैंक पर है.
करो या मरो की स्थिति
वहीं, मुलायम सिंह यादव अब पहले की तरह सियासत में सक्रिय नहीं है और अखिलेश यादव 2017 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. 2017 में सत्ता गवांया तो 2019 में कन्नौज, फिरोजबाद और बदायूं सीट भी सपा के हाथों से निकल गई. ऐसे में 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के लिए 'करो या मरो' जैसा बन गया है. ऐसे में वो बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए उसी रणनीति पर है, जिस पर बीजेपी ने 2017 में सत्ता हासिल की थी.
अखिलेश यादव इस बार कांग्रेस और बसपा जैसे बड़े दलों के साथ गठबंधन करने के बजाय छोटे दलों के साथ हाथ मिलाया है. अब रथ यात्रा पर निकल रहे हैं. अखिलेश रथ यात्रा के बहाने सपा के जनाधार को दोबारा से जोड़ने और सूबे में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का काम करेंगे. इतना ही नहीं हाल के दिनों में जिस तरह से अखिलेश यादव रोजगार के मुद्दे पर योगी सरकार को घेर रहे हैं, उससे भी जाहिर है कि उनकी नजर यूथ मतदातओं पर है.
रोजगार और महिला सम्मान को प्राथमिकता
सपा प्रमुख ने अपनी रथ यात्रा में रोजगार के मुद्दे और महिलाओं के सम्मान को प्रमुख रूप से शामिल किया है. इससे जाहिर होता है कि वो जगह-जगह जाकर महिलाओं की सम्मान की बात को उठाएंगे तो दूसरी तरफ युवाओं के रोजगार के मुद्दे को भी धार देंगे. हाल ही में कन्नौज की रैली में अखिलेश यादव ने योगी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर घेरते नजर आए थे और उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी देने का काम करेंगे.
बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश पहली बार रथ पर नहीं सवार होंगे बल्कि तीसरी पर रथ यात्रा निकाल रहे हैं. इससे पहले 31 जुलाई 2001 को अखिलेश यादव ने पहली "क्रांति रथ यात्रा" निकाली थी. इसके बाद 12 सितंबर 2011 को अखिलेश यादव ने दूसरी "समाजवादी क्रांति रथ यात्रा" निकाली थी. इस बार अखिलेश ने क्रांति रथ यात्रा की जगह समाजवादी विजय रथ यात्रा निकाल रहे हैं.
यूपी में अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने जनता दल में रहते हुए 1989 में क्रांति रथ के माध्यम से समूचे प्रदेश में भ्रमण करके कांग्रेस की सरकार को अपदस्थ कर दिया था तब से अभी तक कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं बना सकी है. मुलायम सिंह की तर्ज पर अखिलेश यादव भी चुनाव से पहले रथ पर सवार होकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए निकल रहे हैं.