
उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस बार बाकायदा सोची-समझी और सधी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में कदम बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सूबे में जिस दिन कुछ बड़ा सियासी कदम उठाने की कवायद करते हैं उसी दिन अखिलेश यादव भी कोई न कोई बड़ा राजनीतिक धमाल कर अपनी उपस्थिति को बनाए रखते हैं. इस तरह अखिलेश लगातार बीजेपी या विपक्ष को मीडिया का पूरा स्पेस नहीं लेने दे रहे हैं बल्कि 'बड़ी ब्रेकिंग' देकर सपा की मौजूदगी भी बनाए हुए हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिद्धार्थनगर से यूपी में 9 मेडिकल कॉलेज की सौगात दी और वाराणसी से 'प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना' की शुरुआत की. इस दौरान पीएम मोदी कई अन्य विकास योजनाओं का उपहार देकर पूर्वांचल के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद करते नजर आए तो उसी समय अखिलेश यादव ने लखनऊ से पूर्वी यूपी को बड़ा संदेश दिया.
राजभर और लालजी वर्मा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस
बसपा से निष्कासित रामअचल राजभर और लालजी वर्मा के साथ अखिलेश ने लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस कर उन्हें सपा की सदस्यता दिलाई जबकि पहले ये दोनों नेता 7 नवंबर को अंबेडकरनगर में होनी वाली रैली में शामिल होने वाले थे. दोनों ही नेता पूर्वांचल के इलाके से आते हैं और ओबीसी समुदाय से हैं. इसीलिए अखिलेश ने उन्हें सपा में एंट्री के लिए उस दिन को चुना जिस दिन पीएम मोदी पूर्वांचल को साधने के लिए बड़ी सौगात देने के लिए उतरे.
सपा ने यह पहली बार नहीं किया बल्कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी ने जिस दिन बड़ा सियासी दांव चला था, उसी दिन अखिलेश यादव भी तुरुप का पत्ता चलते दिखे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले सप्ताह 20 अक्टूबर को कुशीनगर में जिस समय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन कर पूर्वांचल के साथ-साथ यूपी चुनाव अभियान का आगाज कर रहे थे, उसी दिन और उसी समय अखिलेश यादव भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के साथ बैठक कर गठबंधन पर मुहर लगा दी.
अखिलेश ने ऐसे निकाली काट
हालांकि, ओमप्रकाश राजभर पहले 27 अक्टूबर को अपने गठबंधन का ऐलान करने वाले थे, लेकिन अखिलेश की रणनीति ही थी कि पीएम मोदी के कार्यक्रम के दिन ही राजभर ने गठबंधन का पर्दा उठाकर मीडिया में यूपी की सियासत की सबसे बड़ी ब्रेकिंग दें. इसका सियासी फायदा यह हुआ कि पीएम मोदी की सौगात के साथ-साथ अखिलेश-राजभर की दोस्ती भी सियासी चर्चा में बन गई. इससे पहले पीएम मोदी ने पांच अगस्त को यूपी में अन्नोत्सव मनाया था. गरीब कल्याण अन्न योजना के जरिए लाभार्थियों के साथ संवाद किया तो उसी दिन अखिलेश यादव ने लखनऊ से साइकिल रैली का आगाज किया था.
प्रियंका गांधी की पहल का भी काउंटर
वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी की सियासत में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का ऐलान किया, जिसे कांग्रेस देश की राजनीति में एतिहासिक कदम बता रही थी. कांग्रेस के इस दांव पर उस समय झटका लगा, जब पार्टी के दिग्गज नेता और जाट चेहरा पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक और उनके बेटे पूर्व विधायक पंकज मलिक ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस के इन दोनों ही नेताओं के सपा में शामिल होने की संभावना है. कांग्रेस छोड़ने की चर्चाएं पहले से चल रही थीं, पर पार्टी से अलविदा कहने का दिन उन्होंने ऐसे दिन को चुना, जो प्रियंका गांधी और कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण था. माना जा रहा है कि यह भी सपा की रणनीति का हिस्सा है ताकि खबर की सुर्खियों में कांग्रेस और प्रियंका गांधी ही अकेले न रहे बल्कि सपा भी चर्चा के केंद्र में रहे.
बीजेपी के नए केंद्रीय मंत्रियों ने सूबे में जिस दिन से जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी, उसी दिन से अखिलेश यादव ने अपनी सहयोगी महान दल के केशव देव मौर्य और जनवादी पार्टी के प्रमुख संजय चौहान की यात्रा को हरी झंडी दे दी. इस तरह से बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ सहयोगी दलों की यात्रा भी सूबे में राजनीतिक चर्चा के केंद्र में बनी रही. इस तरह से अखिलेश यादव लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.