
कोरोना संक्रमण और ओमिक्रॉन के तेजी से बढ़ते केसों के बीच उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत देश के 5 राज्यों में फरवरी-मार्च महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन चुनाव आयोग के सामने चुनौतियों का अंबार है. क्योंकि जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से चुनाव टालने की बात कही है, वहीं पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता गहराती जा रही है. साथ ही गोवा में वोटर लिस्ट से मतदाताओं के नाम हटाने का मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग के लिए तैयारी कठिन हो गई है. ऐसे में निर्वाचन आयोग को चुनाव से पहले इन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि अगले साल यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव होने हैं.
बता दें कि इन दिनों चुनाव आयोग की टीमें उन राज्यों के दौरे पर हैं, जहां चुनाव होना है. वहां मौजूदा हालात का जायजा लिया जा रहा है. पंजाब की बात करें तो वहां कानून व्यवस्था की स्थिति चिंता का विषय बना हुआ है. स्वर्ण मंदिर और कपूरथला से सामने आए कथित बेअदबी के मामले, फिर लुधियाना कोर्ट में ब्लास्ट से चुनाव आयोग की दिक्कतें बढ़ती दिख रही हैं.
चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) सुशील चंद्रा ने बाकी चुनाव अधिकारियों के साथ पंजाब के राजनीतिक दलों से भी मीटिंग की है. मीटिंग में पंजाब के राजनीतिक दलों ने भी कानून-व्यवस्था के प्रति चिंता जताई गई है. इसके अलावा पैसों के दुरुपयोग, ड्रग्स-शराब बांटने जैसी चीजों पर भी ध्यान दिलाया गया.
सुरक्षाबलों को लेकर मंथन कर रहा है चुनाव आयोग
अब बातचीत के बाद चुनाव आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि पंजाब में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की कितनी अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात करनी होंगी. वहीं राजनीतिक दलों ने मतदान केंद्रों पर 100 फीसदी VVPAT से चुनाव कराने के साथ ही वेबकास्टिंग की बात कही है. ऐसे में विचार किया जा रहा है कि सीमा के पास वाले मतदान केंद्रों को छोड़कर सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की जाएगी.
पंजाब में 27 मार्च को खत्म हो रहा है कार्यकाल
चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा ने अधीनस्थों को निर्देश दिए कि अधिकारी नशीले पदार्थों और शराब वितरण पर नजर रखेंगे. क्योंकि यह मुद्दा राजनीतिक दलों ने भी उठाया था. आबकारी, आयकर और आरबीआई के अधिकारियों ने चुनावी तैयारियों को लेकर मंथन करने के साथ ही अपनी रणनीति के बारे में बताया. जमीनी हकीकत बताने के लिए सभी एजेंसियों की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी. बता दें कि पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 27 मार्च 2022 को समाप्त होने वाला है. सूबे में 2.2 करोड़ मतदाता हैं, जबकि 29,689 मतदान केंद्र हैं.
गोवा में वोटर लिस्ट से नाम हटाने संबंधी मिली थी शिकायत
पंजाब के बाद गोवा में चुनावों को लेकर जमीनी हालातों पर नियंत्रण करना चुनाव आयोग के लिए चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि हाल ही में वोटर लिस्ट में से वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाने का मामला सामने आया था. दरअसल किसी व्यक्ति ने नाम बदलकर मतदाता सूची से कुछ लोगों के नाम हटाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म जमा किया है, जांच में सामने आया कि जिन लोगों के नाम हटाने के लिए आवेदन किया गया था वे लोग वहीं मौजूद थे औऱ जीवित थे.
गोवा में मुश्किल है आयोग की राह
चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा ने बैठक कर अधिकारियों को निर्देश दिए वोटर लिस्ट में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने के साथ ही सभी आवेदनों की बारीकी से जांच करें. इसमें लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है. वोटर लिस्ट को अपडेट करने की प्रक्रिया 5 जनवरी 2022 है. गोवा में 1,722 मतदान केंद्र हैं.
चुनाव टालने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
पिछले साल पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद जिस तरह से कोरोना संक्रमण फैला था उसके बाद चुनाव आयोग कटघरे में आ गया था. इसे लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी. क्योंकि निर्वाचन आयोग ने चुनावी रैलियों को सुपर-स्प्रेडर इवेंट बनने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया था. ऐसे में अगले साल 5 राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले ओमिक्रॉन के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसकी रोजाना की रिपोर्ट चुनाव आयोग भी ले रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में गुहार, वर्चुअल मोड में हों रैलियां
चुनाव में जुटने वाली भीड़ से संक्रमण फैलने की आशंका के चलते मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गुहार लगाई गई है कि राजनीतिक पार्टियां चुनावी रैली को वास्तविक के बजाय वर्चुअल यानी डिजिटल रूप में ही करें. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव को एक या दो महीने के लिए टालने पर विचार करने को कहा था.