
आज लखनऊ पहुंचकर गृह मंत्री अमित शाह कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे. इसमें इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और पूर्व विधायकों-सांसदों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी है. यूं तो बीजेपी के अतीत को देख चुके तमाम राजनेता उसमें शामिल होंगे पर एक शख़्स पर सबकी नज़र होगी. वो शख़्स जिसने भारतीय जनसंघ का झंडा उठाया था. वो शख़्स जिसके साथ अटल जी भी हंसी मज़ाक़ करते थे. वो शख़्स जिसे भोजन कराते समय खुद दीनदयाल उपाध्याय ने उनको लेकर भविष्यवाणी कर दी थी.वो शख़्स हैं श्रीनारायण उर्फ़ भुलई भाई.भुलई भाई खास तौर पर गृह मंत्री अमित शाह के बुलावे पर लखनऊ आए हैं.
दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की याद
भुलई भाई 1974 में भारतीय जनसंघ के विधायक थे. उस समय देवरिया के नौरंगिया(वर्तमान में कुशीनगर के खड्डा)से विधायकी जीतने वाले भुलई भाई के चेहरे की झुर्रियां आज भी कई दास्तानों और यादों को समेटे हुए हैं.उनकी यादद्दशत अभी भी मज़बूत है और दीनदयाल उपाध्याय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक की बातों और यादों को दोहराती हैं.किस तरह कार्यकर्ताओं को दीनदयाल स्नेह करते थे.भुलई भाई ये क़िस्सा भूले नहीं जब दीनदयाल उपाध्याय उन्हें स्नेहवश अपनी थाली से भोजन देने लगे.तब भुलई भाई ने संकोच में कहा आप सब हमको ही दे रहे हैं तो क्या खाएंगे? तब दीनदयाल जी ने हंसकर भुलई भाई से ये कहा ‘खाइए आपको बहुत लंबा जीना है....’ आज भुलई भाई 107 साल के हैं और 3दिन बाद 1 नवम्बर को 108 साल के हो जाएंगे. कहते हैं कि इतना लम्बा दीनदयाल जी ने आशीर्वाद से ही जिया हूं.’
कौन हैं भुलई भाई
जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई तो श्रीनारायण उर्फ़ भुलई भाई एम ए के छात्र थे.उस समय दीनदयाल उपाध्याय से प्रभावित होकर उन्होंने जो सिद्धांतों के रास्ते पर चलना शुरू किया तो इन सिद्धांतों का दामन हमेशा थामे रखा.एम ए के बाद एम एड करने के बाद भुलई भाई शिक्षा अधिकारी बन गए.पर 1974 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में रहकर देश और समाज के लिए कुछ करने की ठानी. इसी साल उनको भारतीय जनसंघ ने अपना उम्मीदवार बनाया और भुलई भाई विधायक बन गए. भुलई भाई ने नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र(वर्तमान में कुशीनगर का खड्डा विधानसभा) से जीत दर्ज़ की थी.1977 में जनसंघ के साथ मिलकर बनी जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर फिर विधायक चुने गए.भुलई भाई की पहचान उनका केसरिया गमछा है.
मोदी ने भी की थी फोन पर बात
भुलई भाई राजनीति में अपनी बेदाग़ छवि को अपनी सबसे बड़ी ताक़त मानते हैं. बहुत गर्व और ख़ुशी से बीते दिनों को याद करते हैं. भुलई भाई भारतीय जनसंघ के बाद भारतीय जनता पार्टी बनने के पूरे सफ़र को उत्साह से सुनाते हैं .बीते दिनों के क़िस्से में अटल जी की कई बातें हैं . अटल जी किस तरह हंसी मज़ाक़ करते थे. आज पार्टी के बदले रूप पर ध्यान से सुनते हैं. चिंतन करते हैं.जनसेवा को वो सर्वोपरि मानते हैं. 22 अप्रैल 2020 को कोरोना के संकटकाल में उनका हालचाल लेने के लिए प्रधानमंत्री ने खुद फ़ोन किया तो भुलई भाई की ओर लोगों का ध्यान गया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब उनको फ़ोन पर कहा था ‘कैसे हैं श्रीनारायण जी? आपने तो शताब्दी पूरी कर ली..?’ प्रधानमंत्री ने उनको फ़ोन पर शुभकामनाएं दीं. भुलई भाई मानते हैं कि कार्यकर्ताओं का ध्यान रखने की परम्परा संघ के स्वयंसेवकों की परम्परा की वजह से है .