
उत्तर प्रदेश की सत्ता से 10 साल से बाहर बसपा अपनी वापसी के तानाबाना बुनने में जुटी है. भगवान राम की नगरी अयोध्या से ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के लिए बसपा ने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन शुरू किया था तो अब भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा से साधु-संतों को साधने की रणनीति बनाई है. सीएम योगी के बाद बसपा महासचिव सतीश मिश्र भी मथुरा में संत-महंतों को कार्तिक पूर्णिमा के दिन भोजन कराने के साथ-साथ उनका सम्मान भी करेंगे.
बसपा पश्चिम और बृज क्षेत्र के ब्राह्मणों को साधने की कवायद में है. ऐसे में बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा स्थान के साथ-साथ देव दिवाली भी है. बसपा ने कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत फिर से करने जा रही है. इस बार बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन थोड़ा अलग होगा. सतीश चंद्र मिश्रा मथुरा के वृंदावन में साधु संतों के साथ बैठक करेंगे और उनके साथ सहभोज का भी कार्यक्रम है.
बसपा के सूत्रों के मुताबिक मायावती के माताजी के चलते पार्टी के कार्यक्रम रुके हुए थे, लेकिन अब मथुरा के वृंदावन से इसकी शुरुआत हो रही है. सतीश चंद्र मिश्रा एक बार फिर दलित ब्राम्हण समीकरण को साधने के लिए ब्रज में वृंदावन पहुंच रहे हैं, जहां संतों-महंतों को भोजन कराएंगे और उनका स्वागत सत्कार करेंगे.
साधु-संतों के सहारे सियासत
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने 10 नवंबर को मथुरा पहुंचकर 500 संत-महंतों के साथ भोजन कर उनका सम्मान किया था. इस दौरान सीएम योगी ने साधु-संतों के साथ बातचीत किया था, जिसके जरिए बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि हिंदुत्व ही उनका मुख्य एजेंडा हैं.
वहीं, पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दिवाली के मौके पर अपने आवास पर साधु-संतों को बुलाकर सेवा-सत्कार किया था. इतना ही नहीं अखिलेश इन दिन अपने विजय रथ यात्रा में गदा लिए हुए दिखते हैं तो मंदिर में जाकर माथा भी टेक रहे हैं. ऐसे में बसपा सुप्रिमों मायावती ने भी ब्राह्मणों को साधने के लिए पार्टी के महासचिव सतीष चंद्र मिश्र को आगे कर रखा है.
सतीश चंद्र मिश्रा शुक्रवार को मथुरा में सीएम योगी से दोगुना यानि एक हजार साधु-संतों को भोजन कराकर उनका सम्मान करने की रणनीति बनाई है. कार्तिक पूर्णिमा पर बसपा ने राधा निवास स्थित श्यामा श्याम धाम आश्रम में संतों को भोजन व उनके सम्मान की व्यवस्था की है. ऐसे में भोजन के लिए एक हजार संतों और महंतों को न्यौता दिया गया है. इस तरह से 2022 विधानसभा में बसपा की नजर संतों और महंतों पर टिकी है.
हिंदुत्व के इर्द-गिर्द सिमटी राजनीति
पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का ऐसा सियासी एजेंडा सेट किया है जिसकी विपक्षी दलों के पास न तो कोई काट दिख रही है और न रणनीति. हिंदुत्व के इर्द-गिर्द सिमटी सूबे की सियासत में बीजेपी के रणनीति को मात देने के लिए विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेते नजर आ रहे. इसी कड़ी में मंदिर जाने और अब साधु-संतों को भोजन कराने का प्लान बनाया.
दरअसल, संत-महंतों के लाखों की संख्या में अनुयायी होते हैं, जो चुनाव के लिहाज से काफी अहम हैं. साधु-संतों का देश के साथ प्रदेश के हर शहर में अपना एक वोट बैंक है. इसलिए बीजेपी से लेकर सपा और बसपा तक संतों और महंतों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुट गए हैं. ऐसे में देखना है कि इस बार यूपी के चुनाव में साधु-संतों का दिल कौन जीत पाता है?