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BJP purvanchal: पूर्वांचल में क्यों इतना दम लगा रही बीजेपी? एक महीने में पीएम मोदी का तीसरा दौरा

BJP purvanchal: पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव की कमान संभाल ली है और पूरा फोकस पूर्वांचल पर केंद्रित कर दिया है.

सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 16 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST
  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात दे रहे मोदी
  • पूर्वांचल में बीजेपी की लिए कड़ी चुनौतियां
  • हर 5 साल में बदलता है पूर्वांचल का मिजाज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने अपने सियासी अभियान भी तेज कर दिए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव की कमान संभाल ली है और पूरा फोकस पूर्वांचल पर केंद्रित कर दिया है. पीएम मोदी मंगलवार को सूबे के सबसे लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने पहुंच रहे हैं, जिससे राजधानी लखनऊ से पूर्वी यूपी सीधे जुड़ जाएगा. 

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सत्ता के लिए पूर्वांचल अहम

देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है तो यूपी को जीतने के लिए पूर्वांचल में जीत का परचम फहराना जरूरी माना जाता है. इसी फॉर्मूले से लगातार 2014 और 2019 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली बीजेपी मिशन-2022 के लिए पूर्वांचल में पैठ बनाने की कोशिश में है.

ऐसे में पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक ने पूर्वांचल पर खास फोकस कर रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पिछले एक महीने में यह तीसरा पूर्वांचल का दौरा है, जहां वो जनता को विकास की सौगात नवाजेंगे. 

बता दें कि किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी कांड के चलते पश्चिम यूपी से लेकर तराई बेल्ट और अवध के इलाके में बीजेपी सरकार के खिलाफ माहौल गर्म है. ऐसे में बीजेपी के लिए सूबे में सत्ता में वापसी की सारी उम्मीदें पूर्वांचल इलाके से लगी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी का वाराणसी से सांसद होना और गोरखपुर से सीएम योगी का होना भी एक बड़ा फैक्टर है.

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मोदी का तीसरा पूर्वांचल दौरा

हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी को उसी के गढ़ पूर्वांचल में घेरने के लिए ओमप्रकाश राजभर से लेकर अनिल चौहान जैसे नेताओं की पार्टी के साथ मजबूत गठबंधन बना रखा है. ऐसे में बीजेपी पूर्वांचल में अपने समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी हुई है. 

पीएम मोदी एक महीने में तीसरी बार पूर्वांचल के दौरे पर मंगलवार को पहुंच रहे हैं, जहां वो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे. इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने से राजधानी लखनऊ से ही नहीं बल्कि दिल्ली और पश्चिमी यूपी से सीधे पूर्वांचल का इलाका जुड़ जाएगा.

यह एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के इलाके में विकास की नई सौगात लेकर आएगा. पीएम मोदी ने इससे पहले कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात दी थी तो सिद्धार्थनगर से यूपी में 9 मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया था. 

यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी की पूर्वांचल में करीब आधा दर्जन जनसभाएं कराने की रूप रेखा खींची गई है. पीएम इस दौरान विकास की सौगात देंगे. साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाकर मिशन 2022 को सफल बनाने की अपील करेंगे.

गोरखपुर के खाद कारखाना मैदान में जनसभा प्रस्तावित है. इसमें खाद कारखाना व गोरखपुर एम्स का लोकार्पण भी होना है, जिसकी तरीखों का ऐलान नहीं हुआ है. 

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शाह से नड्डा तक पूर्वांचल में डेरा जमाएंगे

वहीं, हाल ही में बीजेपी नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी, आजमगढ़ और बस्ती का दौरा कर पूर्वांचल के समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद की थी. इतना ही नहीं वाराणसी में अमित शाह ने बीजेपी चुनाव प्रभारियों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई तो आजमगढ़ में विश्विद्यालय की बुनियाद रखी और अखिलेश के गढ़ में रैली कर पूर्वांचल को सियासी संदेश दिया.

बीते दिनों केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पूर्वांचल का दौरा किया था तो अब 22 नवंबर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा गोरखपुर के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान नड्डा पूर्वांचल के तमाम जिलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को 2022 के चुनाव में जीत का मंत्र देंगे. यूपी विधानसभा चुनाव में वक्त काफी कम बचा है. ऐसे में बीजेपी पूर्वांचल को साधने की कवायद में हरसंभव कोशिश में जुटी है ताकि विपक्ष की रणनीति को मात दे सके. 

राजभर-सपा गठबंधन ने बढ़ाई चुनौती

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 के चुनाव में मिलकर लड़ने का फैसला किया है. जनवादी पार्टी के साथ भी सपा ने गठबंधन कर रखा है और साथ ही पूर्वांचल इलाके में जनाधार वाले कई नेता भी सपा का दामन थाम चुके हैं. इनमें रामअचल राजभर से लेकर लालजी वर्मा और मुख्तार अंसारी के बड़े भाई भी शामिल हैं. 

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राजभर और अखिलेश के हाथ मिलाने के बाद बीजेपी के सामने पूर्वांचल को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. इतना ही नहीं, बीजेपी को लोकसभा और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पूर्वांचल इलाके में ही झटका लगा था. इसीलिए बीजेपी लगातार पूर्वांचल के सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है. 

यूपी की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल में

पूर्वांचल की जंग फतह करने के बाद ही यूपी की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है, क्योंकि सूबे की 33 फीसदी सीटें इसी इलाके की हैं. यूपी के 28 जिले पूर्वांचल में आते हैं, जिनमें कुल 164 विधानसभा सीटें हैं. 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से बीजेपी ने 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी.

हालांकि, पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. वह एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में एक का साथ छोड़कर दूसरे का साथ पकड़ता रहा है. यही वजह है कि बीजेपी 2022 के चुनाव में अपने गढ़ को मजबूत करने में जुट गई है, इसीलिए पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के केंद्रीय लीडरशिप पूर्वांचल का दौरा लगातार करने में जुटी है.  

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पूर्वांचल में बीजेपी के सहयोगी

पूर्वांचल में बीजेपी ने अपने समीकरण को मजबूत बनाए रखने के लिए जाति आधरित पार्टियों के साथ भी गठबंधन कर रखा है. अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ बीजेपी मिलकर इस बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएगी. इन दोनों ही दलों का सियासी आधार पूर्वांचल के जिलों में है.

अनुप्रिया पटेल की कुर्मी वोटों पर पकड़ है तो संजय निषाद का मल्लाह समुदाय पर असर है. हालांकि, संजय निषाद पूर्वांचल में राजभर की कमी को कितना पूरा करते हैं यह बड़ी चुनौती है. 2017 में पूर्वांचल में बीजेपी की जीत में राजभर वोटों की अहम भूमिका रही है. इसी के चलते बीजेपी इस पर पूर्वांचल पर खास फोकस कर रही है. 


 

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