
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बसपा को हर रोज एक नया झटका लगा रहा है. बसपा के तमाम पुराने और दिग्गज चेहरे मायावती का साथ छोड़कर अलग हो चुके हैं, जिनमें अधिकतर कांशीराम के साथी रहे हैं. ऐसे में बसपा के लिए 2022 का चुनाव काफी चुनौती पूर्ण बना गया है. पुराने चेहरे ना होने के बाद मायावती अब नए चेहरों पर बड़ी जिम्मेदारियां दे रही हैं, जिन्हें बसपा का भविष्य का चेहरा बताया जा रहा है. ऐसे में हम मायावती के 10 नए सिपहसालारों का जिक्र करेंगे....
1.सतीश चंद्र मिश्रा
बसपा के तमाम दिग्गज नेताओं के पार्टी अलविदा कहने या फिर उन्हें निकाले जाने के बाद पार्टी के पास सबसे बड़े चेहरे के तौर पर खुद मायावती हैं. मायावती के बाद किसी नेता का नाम आता है तो वो बसपा के महासचिव और ब्राह्मण चेहरा सतीश चंद्र मिश्रा हैं. 2022 के चुनाव में बसपा की ओर से सतीष चंद्र मिश्रा मोर्चा संभाले हुए हुए हैं. मायावती ने इस बार सतीश चंद्र मिश्रा और उनके परिवार को न सिर्फ आगे किया, बल्कि उन्हें मैदान में उतारकर ब्राह्मण वोटों के साथ सोशल इंजीनियरिंग का दांव फिर से चला है. दूसरे दलों के नेताओं को बसपा में एंट्री कराने से लेकर लेकर टिकट बंटवारे तक में सतीष मिश्रा का पूरा दखल है.
2.आकाश आनंद
बसपा में मायावती के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके भतीजे आकाश आनंद को देखा जा रहा है. बसपा में आकाश नेशनल कॉर्डिनेटर के पद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती के साथ हर चुनावी रैली में मंच पर बगल में खड़े नजर आते थे. इस बार के चुनाव में युवाओं को पार्टी से जोड़ने के मुहिम पर आकाश काम कर रहे हैं. सूबे में युवा संवाद कार्यक्रम के जरिए वो लगातार सक्रिय हैं. इसके लिए उन्होंने युवा नेताओं की एक टीम भी बना रही है, जिसमें एससी मिश्रा के बेटे और दमाद भी शामिल हैं.
3. शमसुद्दीन राईनी
मायावती के मजबूत सिपहसालार में शमसुद्दीन राईनी का नाम आता है, जो बसपा में कोऑर्डिनेटर पद का जिम्मा संभाल रहे हैं. शमसुद्दीन राईनी बसपा के मुस्लिम चेहरे माने जाते हैं, जिनके कंधों पर पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की जिम्मा मायावती ने दे रखा है. बसपा में किस मुस्लिम को टिकट देना है और किसे नहीं. यह शमसुद्दीन राईनी की हरी झंडी के बाद भी मायावती की मुहर लगती है. बसपा में उन्हें दूसरा नसीमुद्दीन सिद्दीकी कहा जाता है, क्योंकि वो भी बसपा में रहते हुए पश्चिमी यूपी की जिम्मा संभाल रहे थे.
4. मुनकाद अली
पश्चिमी यूपी के रहने वाले मुनकाद अली बसपा के पुराने नेताओं में गिने जाते हैं. एक कार्यकर्ता के तौर पर बसपा में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले मुनकाद अली प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राज्यसभा सदस्य तक रहे. मौजूदा समय में वो बसपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर हैं, जो 2022 के चुनाव में कानपुर, आगरा व अलीगढ़ के मुख्य सेक्टर प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इन तीनों मंडल में बसपा के टिकट के चयन में मुनकाद अली की स्वीकृति सबसे अहम हैं.
5. घनश्याम चंद खरवार
मायावती के करीबी नेताओं में घनश्याम चंद खरवार का नाम भी आता है, जिनमें कंधों पर पूर्वांचल का जिम्मा है. पूर्वां सांसद घनश्याम खरवार बस्ती, फैजाबाद, गोरखपुर, देवीपाटन मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी हैं. ऐसे में इन मंडलों में दूसरे दलों के नेताओं को शामिल कराने से लेकर टिकट फाइनल में उनकी अहम भूमिका है. खरवार की वफादारी इससे समझी जाती है कि उन्होंने अंबेडकर नगर सीट मायावती को लिए छोड़ दी थी. पूर्वांचल में बसपा के दलित चेहरा माने जाते हैं.
6. रामजी गौतम
बसपा में युवा नेता के तौर पर उभरे रामजी गौतम पार्टी सुप्रीमों मायावती के सबसे भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं. पिछले साल मायावती ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. सेंट्रल यूपी के रहने वाले हैं और युवा दलित नेता के तौर पर जाना जाता है. बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक हैं और आकाश आनंद के साथ भी उनके रिश्ते बहुत बढ़िया हैं. 2022 चुनाव में आकाश आनंद के साथ ही यूपी और उत्तराखंड की कमान संभाल रहे हैं.
7. भीम राजभर
उत्तर प्रदेश में बसपा की कमान संभाल रहे भीम राजभर पार्टी सुप्रीमों मायावती के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. बसपा के ओबीसी चेहरा हैं, जिसके चलते पिछड़े समाज को पार्टी से जोड़ने का जिम्मा है. सुखदेव राजभर के निधन और रामअचल राजभर के पार्टी छोड़ने के बाद राजभर समाज को बसपा के साथ रखने की जिम्मेदारी भी भीम राजभर है. हालांकि, बसपा प्रमुख ने उन्हें मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे चुकी है, जिसके चलते वो पूर्वांचल में ही सक्रिय हैं.
8. भीम राव अंबेडकर
विधान परिषद सदस्य भीम राव अंबेडकर को बसपा के हार्डकोर नेताओं में गिना जाता है. बसपा प्रमुख मायावती के सबसे भरोसेमंद नेताओं से एक हैं. 2022 के चुनाव में भीम राव अंबेडकर को लखनऊ और कानपुर मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी हैं. इस इलाके की करीब 70 से ज्यादा विधानसभा सीटें है, जहां संगठन से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक में उनकी अहम भूमिका है.
9. अशोक सिद्धार्थ
मायायती के मजबूत सिपहसालारों में अशोक सिद्धार्थ का नाम आता है. 2022 के चुनाव में लखनऊ और प्रयागराज मंडल में मुख्य सेक्टर प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे हैं. राज्यसभा सदस्य रहे हैं और बसपा के संगठन में शुरू से रहे हैं. बसपा के बूथ प्रबंधन को मजबूत करने वाले नेताओं में गिना जाता है.
10. विश्वनाथ पाल
बसपा के ओबीसी चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले विश्वनाथ पाल को मायावती के करीबी नेताओं में गिना जाता है. बसपा के मुख्य सेक्टर प्रभारी है, जिनके ऊपर बनारस, मिर्जापुर, झांसी, फैजाबाद, देवीपाटन, लखनऊ मंडलों का जिम्मा है. बसपा के ओबीसी नेताओं को साथ छोड़ने के बाद अब विश्वनाथ पाल की अहमियत पार्टी में और भी बढ़ गई है. ये वो नेता हैं, जिन्हें बसपा में भविष्य का चेहरा बताया जा रहा है.