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Bulandshahr Assembly Seat: बनारसी दास की सीट पर जीत की हैट्रिक लगा पाएगी BJP?

बुलंदशहर विधानसभा सीट के लिए 1952 में पहला चुनाव हुआ था. तब कांग्रेस के टिकट पर बनारसी दास इस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे. बनारसी दास यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे.

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मुकुल शर्मा
  • बुलंदशहर,
  • 05 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:13 PM IST
  • भारतीय जनता पार्टी की उषा सिरोही हैं विधायक
  • पति के निधन के बाद सियासत में आईं उषा सिरोही

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की एक विधानसभा सीट है बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट. देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुलंदशहर जिला मुख्यालय, नगर क्षेत्र और आस-पास के गांव बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट में आते हैं. यहां कभी अहिबरन महाराज का शासन था और उनका किला ऊपरकोट इलाके में था. इस किले के एक ओर काली नदी बहती थी जो अब भी है. जिले और शहर को बनछटी के नाम से जाना जाता था.

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बताया जाता है कि तब यहां राजा हरिदत्त डोर का शासन था. राजा बरन के नाम पर ये जिला बरन के नाम से जाना गया. फिर इसका नाम ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बुलंद पड़ा और यही आगे चलकर बुलंदशहर हो गया. आर्थिक गतिविधियों की बात करें कृषि प्रधान जनपद होने के कारण यहां पर अनाज की मंडी, सब्जी मंडी और अन्य खुदरा व्यापार की मंडी है. उद्योग के नाम पर यहां चीनी मिल है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट से 70 साल के चुनावी इतिहास में कोई भी दल जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाया है. बाहुबली नेता डीपी यादव ने लगातार तीन बार इस क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिधिनित्व किया लेकिन अलग-अलग पार्टी से. इस विधानसभा सीट के लिए 1952 में पहला चुनाव हुआ था तब कांग्रेस के टिकट पर बनारसी दास इस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए और आगे जाकर यूपी के मुख्यमंत्री भी बने.

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साल 1957 में प्रांतीय सोशलिस्ट पार्टी, 1962 में कांग्रेस, 1967 में रिपब्लिकन पार्टी, 1969 में रिपब्लिकन पार्टी, 1971 में जनसंघ, 1977 में जनता पार्टी, 1980 और 1985 में कांग्रेस आई, 1989 में जनता दल के उम्मीदवार को जीत मिली. 1991 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी जनता पार्टी, 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा), 1996 और 2002 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), 2007 और 2012 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और 2017 में बीजेपी जीती. विधायक के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में भी इस सीट से बीजेपी के उम्मीदवार को जीत मिली.

2017 का जनादेश

बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वीरेंद्र सिंह सिरोही को टिकट दिया था. बीजेपी उम्मीदवार सिरोही ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के हाजी अलीम को 23 हजार से अधिक वोट के अंतर से पराजित किया था. वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में बीजेपी ने वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्नी उषा सिरोही को चुनाव मैदान में उतारा. उषा सिरोही ने बसपा के पूर्व विधायक हाजी अलीम के भाई हाजी यूनुस को करीब 21 हजार वोट के अंतर से हराया.

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सामाजिक ताना-बाना

बुलंदशहर सदर विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-समुदाय के मतदाता हैं. यहां तकरीबन चार लाख वोटर हैं. मुस्लिम और जाटव मतदाता बुलंदशहर सदर सीट पर अच्छी तादाद में हैं. ठाकुर, जाट, वैश्य, ब्राह्मण मतदाता भी यहां अच्छी स्थिति में हैं. सिख, पंजाबी, जैन, कायस्थ भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. कुल मिलाकर जातिगत समीकरण के लिहाज से बात करें तो ये क्षेत्र मिली जुली आबादी वाला क्षेत्र है. इस विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन 40 फीसदी मतदाता नगरीय और 60 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट से विधायक 69 साल की उषा सिरोही ग्रेजुएट हैं. बागपत जिले के कंडेरा गांव की रहने वाली उषा सिरोही ने इससे पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा था. पति के देहांत के बाद उषा सिरोही सियासत में आईं. उषा सिरोही ने विधायक निधि से कोरोना काल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए 50 लाख की धनराशि दी थी.

 

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