
Bulandshahr district profile: उत्तर प्रदेश में 2022 का विधानसभा चुनाव इस बार क्या गुल खिलाएगा, यह तो आने वाला समय तय करेगा, पर बुलंदशहर जनपद की बात करें तो यहां पर जाट, मुस्लिम, दलित और लोधी, राजपूत चुनावी समीकरण में अपनी भूमिका निर्णायक साबित करेंगे. कृषि प्रधान जनपद किसानों के मुद्दे और विकास को लेकर मतदान करने को तैयार है. खुर्जा की बात करें यहां बने चीनी मिट्टी के बर्तन विदेशों में सप्लाई किए जाते है. अब ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) के तहत इनको UP में चिन्हित किया गया है. दानवीर कर्ण की भूमि डिबाई हो या बुलंदशहर जिला मुख्यालय की सीट, सभी जगह मतदाता मुद्दों को लेकर मतदान करने के मूड में हैं.
बुलंदशहर जिले में 7 विधानसभा सीट हैं. इनमें सिकंदराबाद, बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर, शिकारपुर, डिबाई और खुर्जा विधानसभा सीट शामिल हैं. इस जिले में हर एक चुनाव में चौंकान वाले परिणाम आते हैं. कहा जाता है कि यहां जैसे-जैसे मौसम बदलता है, वैसे-वैसे लोगों पर सियासी रंग चढ़ता है. 2017 की अगर बात करें तो बुलंदशहर की सातों विधानसभा सीट पर भगवा परचम लहराया था. वहीं, इस बार बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत जरूर लगाई है, लेकिन विरोधियों भी यहां से बड़ी चुनौती दे रखी है.
विकास से अछूता
पौराणिक कथाओं की बात करें तो दानवीर कर्ण की गंगा किनारे सवा मन सोना प्रतिदिन दान करने की बात दर्ज है. यहां दानवीर कर्ण का क्षेत्र और उनका मंदिर है जो बुलंदशहर के डिबाई विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. यह पूरा इलाका काफ़ी पिछड़ा हुआ है. दिल्ली से 60 से 70 किलोमीटर दूर ये एरिया विकास से अछूता है. यहां के लोगों का यह कहना है कि विकास कार्य वैसा नहीं हुआ है, जैसा होना चाहिए. इनका कहना है कि इस पौराणिक जगह को विकास से दूर रखा गया.
आमदनी अठन्नी-ख़र्चा रुपैया
गंगा किनारे वाले वोटरों के मिजाज को जानने के लिए 'आजतक' की टीम बुलंदशहर के खुर्जा के उस इलाके में पहुंची, जो चीनी मिट्टी के बर्तनों का हब है. यहां बने बर्तनों को विदेशों में सप्लाई किया जाता है. बुलंदशहर के खुर्जा में चीनी मिट्टी के बर्तनों के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह कारीगरी मुगलकाल में इस इलाके में शुरू हुई थी, उस समय से ही अरेबियन कंट्रीज में इन नक्काशीदार बर्तनों का निर्यात होता था. शुरुआत में इन बर्तनों की ढलाई और पकाई कोयला और डीजल भट्टियों के जरिए हुआ करती थी, पर सरकार की सहूलियत के बाद गैस के जरिए बर्तन बनाए जा रहे हैं. यहां की कारीगरी को समझते हुए पहली बार प्रदेश की सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट यानी (ODOP) के जरिए इन हुनरमंद कारीगरों को पहचान दी है. 'आजतक' ने यहां के चीनी मिट्टी के बर्तनों को बनाने वाले मज़दूरों से बात की. उन्होंने बताया कि जितनी कमाई नहीं, उससे ज़्यादा खर्चा है यानी आमदनी अठन्नी-ख़र्चा रुपैया.
बुलंदशहर की कुछ खास बातें:-