
लखीमपुर हिंसा मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री से इस्तीफा भी मांगा है, लेकिन इस बीच उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा कि अखिलेश यादव की राजनीति ट्वीट तक सीमित है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आजतक के साथ खास बातचीत में अखिलेश यादव के बयान कि मैं प्रियंका पर नहीं बोलना चाहता वो कमरे में रहती हैं, पर हमला करते हुए कहा, 'वो बाहर निकलेंगे तो पता चलेगा कि मैं कहां रहती हूं. लेकिन आपने डेढ़ सालों में आपने कब देखा है उन्हें सड़क पर. मुझे देखा है कि नहीं.'
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, 'मुझे हाथरस में देखा है. मुझे उन्नाव में देखा है. मुझे सोनभद्र में देखा है. मुझे यहां देखा आपने. मेरी पार्टी को सड़क पर देखा. कोरोना के समय में मेरी पार्टी ने सबसे ज्यादा मदद का काम किया. मेरी पार्टी लगातार जिलों में प्रदर्शन कर रही है, शहरों में प्रदर्शन कर रही है, जबकि उनकी पार्टी क्यों नहीं दिख रही है कहीं पर. वो कमरे में बंद रहते हैं क्योंकि उनकी राजनीति अब सीमित हो गई है ट्वीट तक, अपने कार्यकर्ताओं से मिलना और अपने नेताओं से मिलना.'
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मैं चुप नहीं रहूंगीः प्रियंका गांधी वाड्रा
लखीमपुर खीरी मामले पर भारतीय जनता पार्टी पर भी हमला करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, 'भाजपा ने जो नया सिलसिला निकाला है. जो उसके खिलाफ बोलता है वो राजनीति कर रहा है. वो अगर इश्यू उठाएं तो राष्ट्रवाद कर रहे हैं. तो खासतौर पर उन्होंने मीडिया में प्रोपैंगैंडा कर रखा है ताकि लोग आवाज नहीं उठाएं, लेकिन ऐसा होगा नहीं. मैं तो चुप नहीं रहूंगी और न ही कांग्रेस चुप रहेगी.'
हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रियंका ने आजतक से कहा कि अजय मिश्रा को इस्तीफा देना चाहिए. उनके मंत्री रहते कैसे निष्पक्ष जांच हो सकती है. जांच होने तक उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. क्या पीएम मोदी के मंत्रियों पर कानून लागू नहीं होता है.
लखीमपुर हिंसा पर जांच की मांग करते हुए प्रियंका ने कहा कि पूरे मामले की जांच सिटिंग सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज के द्वारा होनी चाहिए. और तब भी ये गृह राज्य मंत्री रहे तब भी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. मंत्री के रहते निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं कर सकते.