
यूपी के बिजनौर जिले की एक विधानसभा सीट है धामपुर विधानसभा सीट. धामपुर क्षेत्र को एशिया की सबसे बड़ी शुगर मिल के लिए जाना जाता है. इसकी पहचान ब्रश नगरी के रूप में भी है. इस विधानसभा क्षेत्र के शेरकोट में ब्रश का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है जिसकी सप्लाई पूरी दुनिया में होती है. पहले नोटबंदी और फिर कोरोना के कारण ये कारोबार प्रभावित हुआ है.
धामपुर, बिजनौर जिले के बीचो-बीच स्थित है. इसकी सीमा उत्तराखंड के जसपुर और मुजफ्फरनगर से मिलती है. धामपुर की जिला मुख्यालय से दूरी 35 किलोमीटर है. धामपुर में रेलवे स्टेशन भी है और यहां से हर रोज 24 से 25 ट्रेन का परिचालन होता है. ये जम्मूतवी और कोलकाता रेल रूट पर पड़ता है. यहां से हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बिजनौर, मेरठ और दिल्ली के लिए हर समय बसें मिलती हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
धामपुर विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच शह और मात का खेल चलता रहा है. ये सीट अधिकतर बीजेपी के कब्जे में ही रही है. चुनावी इतिहास की बात करें तो इस सीट से 1977 में जनता पार्टी के हरिपाल शास्त्री 1980 में जनता पार्टी (सेक्यूलर) चौधरी चरण सिंह के श्याम सिंह, 1985 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के बसंत सिंह विधायक रहे.
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धामपुर विधानसभा सीट से 1989 में पहली बार बीजेपी का खाता खुला और पार्टी के सुरेंद्र सिंह चुनाव जीतकर विधायक बने थे. साल 1991 और 1993 में बीजेपी के राजेंद्र सिंह, 1996 और 2002 में सपा के मूलचंद चौहान, 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अशोक कुमार राणा विधायक बने. 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा मूलचंद चौहान तीसरी दफे विधानसभा पहुंचे.
2017 का जनादेश
धामपुर विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके अशोक राणा ने पाला बदल लिया. अशोक राणा बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अशोक राणा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के मूलचंद चौहान को करीब 18 हजार वोट से हरा दिया. बसपा के मोहम्मद गाजी तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
धामपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब तीन लाख मतदाता हैं. ये विधानसभा सीट, मुस्लिम बाहुल्य सीटों में गिनी जाती है. अनुमानों के मुताबिक यहां मुस्लिम के बाद चौहान, दलित, वैश्य, पंजाबी और जाट मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में जाट, पाल और कश्यप मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
धामपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक अशोक कुमार राणा का जन्म धामपुर क्षेत्र के हरी ठाठजट गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. अशोक राणा ने 1978 में देहरादून के सेंट थॉमसन कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है. अशोक राणा ने 1985 में सियासी सफर की शुरुआत की थी. उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर स्योहारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक बने थे.
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अशोक राणा कई दलों में रह चुके हैं. वे पहले जनता दल में रहे और इसके बाद राष्ट्रीय लोक दल, बहुजन समाज पार्टी और अब भारतीय जनता पार्टी में हैं. अशोक कुमार राणा 2002 में राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर भी चुनाव लड़े थे लेकिन तब वे हार गए थे. अशोक राणा का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र का जितना विकास हुआ, उतना पहले कभी नहीं हुआ.