
ऐतिहासिक धरोहर संजोए अमरोहा जिले में है धनोरा विधानसभा सीट. रोजगार के नजरिए से देखा जाए तो अमरोहा जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक इलाका इस विधानसभा क्षेत्र में ही आता है. इस इलाके में कई बड़ी कंपनियां हैं. ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो गंगा धाम तिगरी से लेकर राजा बच्छराज का इलाका भी इसी विधानसभा सीट में है.
बिजनौर जिले की सीमा से सटे धनोरा विधानसभा क्षेत्र के करीब ही हस्तिनापुर और गढ़मुक्तेश्वर जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं. कनेक्टिविटी की बात करें तो धनोरा विधानसभा क्षेत्र में ही जिले का एकमात्र जंक्शन है. अंग्रेजों के जमाने में बिछी रेलवे लाइन इस इलाके को उत्तराखंड से जोड़ती है. शेरपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर धनोरा हो गया है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
धनोरा पहले गंगेश्वरी विधानसभा सीट का भाग हुआ करता था. नए परिसीमन में गंगेश्वरी से अलग होकर धनोरा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. धनोरा विधानसभा सीट पर अब तक 2 विधानसभा चुनाव हुए हैं. धनोरा विधानसभा सीट का बड़ा एरिया गंगा नदी के किनारे है. इस सीट पर वोटरों का मिजाज भी गंगा नदी के बहते जल की तरह है. यहां के मतदाता विधायक बदलते रहते हैं. इस सीट के आरक्षित होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को पहले ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
गंगा किनारे स्थित धनोरा सीट के मतदाताओं ने साइकिल की सवारी कर ली. 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के माइकल चंद्रा को जीत मिली तो 2017 के चुनाव में यहां कमल खिल गया. इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने शुरुआती दो चुनाव में ही ये दिखा दिया कि वे बदलाव को तवज्जो देंगे.
2017 का जनादेश
धनोरा विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजीव तरारा को चुनावी रणभूमि में उतारा. बीजेपी के टिकट पर उतरे राजीव तरारा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के जगराम सिंह को 38 हजार वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी. राजीव तरारा 1,02,943 वोट पाकर विजयी रहे तो सपा के जगराम 64,714 वोट के साथ दूसरे और बसपा के संजीव लाल 51,952 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
सामाजिक ताना-बाना
धनोरा विधानसभा सीट अमरोहा जिले की एकमात्र आरक्षित सीट है. यहां दलित वोटरों की बहुतायात है. जाट और मुस्लिम बिरादरी के मतदाता भी यहां अच्छी तादाद में हैं. धनोरा विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन सवा दो लाख वोटर हैं. कृषि के साथ ही ये इलाका उद्योग के लिए भी अपनी पहचान रखता है.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
धनोरा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक राजीव तरारा का जन्म 2 जनवरी 1981 को तरारा गांव में हुआ था. इंटरमीडिएट तक की शिक्षा गांव से ही प्राप्त करने के बाद उन्होंने बरेली यूनिवर्सिटी से एलएलबी और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से बीएड किया. वे अभी अविवाहित हैं. 2015 में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़कर राजीव तरारा ने अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी.
राजीव तरारा के पिता तोताराम भी 1996 से 2002 तक गंगेश्वरी विधानसभा सीट से विधायक रहे थे. राजीव तरारा की गिनती जनता से जुड़े रहने वाले नेताओं में होती है. राजीव तरारा के प्रयास से सैकड़ों साल से कार्तिक माह में गंगा किनारे लगने वाले मेले को सरकार से मान्यता मिली. राजीव तरारा की उपलब्धियों में चकनवाला से लेकर शीशों वाली तक पुल का निर्माण, बछरायूं में ऑक्सीजन प्लांट, डींगरा में विद्युत उपकेंद्र बीजेपी की ओर से गिनाए जा रहे हैं.