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Firozabad: क्या 2022 में BJP दोबारा लगा पाएगी समाजवादी पार्टी के गढ़ में सेंध?

Firozabad district profile: राजनीतिक दृष्टि से यह इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था. लेकिन इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सेंधमारी कर दी है. फिरोजाबाद की लोकसभा सीट हमेशा से ही हॉट सीट रही है. वर्ष 2019 के चुनाव में सैफई परिवार के चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव और भतीजे यानी रामगोपाल के पुत्र अक्षय यादव इस सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े थे. लेकिन बाजी मार ली भारतीय जनता पार्टी के डॉ चंद्र सेन जादौन ने.

फिरोजाबाद समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था. फिरोजाबाद समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था.
सुधीर शर्मा
  • फिरोजाबाद,
  • 31 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST
  • कांच की चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है फिरोजाबाद
  • 5 में से 4 विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा

Firozabad district profile: उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद कांच की वस्तुओं और चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है. फिरोजाबाद जनपद में 400 के करीब छोटे बड़े कांच के कारखाने हैं जिनमें 3 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं.  जनपद में हर सातवां शख्स कांच के कारोबार से जुड़ा है. श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र में हर आधे घंटे बाद कांच के एक ट्रक का बिक्री कर दी जाती है. यहां से कांच के हैंडीक्राफ्ट के आइटम दुनिया के 60 देशों में निर्यात किए जाते हैं. ताज संरक्षित क्षेत्र में आने के कारण फिरोजाबाद के बहुत बड़े इलाके में डीजल से चलने वाले जेनरेटर, कोयला और लकड़ी को ईंधन के रूप में जलाने में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित लगाया हुआ है. फिरोजाबाद जिले का सामाजिक ताना-बाना...

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फ़िरोज़ाबाद जनपद में मिश्रित आबादी है. एक बहुत बड़ा मुस्लिम इलाका है. लेकिन खास बात यह है कि कभी यहां पर दंगे नहीं होते हैं, जिसकी मुख्य वजह चूड़ी का कारोबार ही है। दरअसल, चूड़ी और कांच का कारोबार इस तरह से है कि हिंदू और मुस्लिम सभी लोग मिलकर कार्य करते हैं, कांच के कारोबार में एक दूसरे के पूरक हैं. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई सांप्रदायिक दंगा या बवाल होता है तो आर्थिक रूप से दोनों पक्षों को ही नुकसान होगा. लेकिन 20 दिसंबर 2019  मुस्लिम समाज द्वारा सीएए के विरोध में किए गए प्रदर्शन में जमकर हंगामा बवाल हुआ था. पुलिस से फायरिंग पथराव में  6 लोगों की मौत भी हुई थी. फिर भी हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ.

राजनीतिक इतिहास

राजनीतिक दृष्टि से यह इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था. लेकिन इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सेंधमारी कर दी है. फिरोजाबाद की लोकसभा सीट हमेशा से ही हॉट सीट रही है. वर्ष 2019 के चुनाव में सैफई परिवार के चाचा यानी शिवपाल सिंह यादव और भतीजे यानी रामगोपाल के पुत्र अक्षय यादव इस सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े थे. लेकिन बाजी मार ली भारतीय जनता पार्टी के डॉ चंद्र सेन जादौन ने. फिरोजाबाद जनपद में मुस्लिम, यादव, दलित, पिछड़े और सवर्ण वोटरों की संख्या बहुत ज्यादा है. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहुत सारी रिश्तेदारी भी फिरोजाबाद जनपद में है.

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फिरोजाबाद जनपद की सभी 5 विधानसभा का समीकरण

जातिगत आंकड़ों के हिसाब से फिरोजाबाद जनपद की 5 विधानसभाओं में शिकोहाबाद, जसराना और सिरसागंज यादव बाहुल्य होने के कारण समाजवादी पार्टी के लिए मुफीद बैठती है, वहीं  फिरोजाबाद शहर और टूंडला की विधानसभा भारतीय जनता पार्टी के लिए मुफीद रहती है. 

2017 का रिजल्ट (सभी 5 सीट)

लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त विजयश्री हासिल कर ली थी. फिरोजाबाद सदर सीट से  बीजेपी के मनीष असीजा, टूंडला (सुरक्षित ) विधानसभा से बीजेपी के प्रेमपाल सिंह धनगर, शिकोहाबाद विधानसभा से बीजेपी के डॉक्टर मुकेश वर्मा, जसराना विधानसभा से बीजेपी के कमलेश लोधी और पप्पू ने जीत हासिल की. सिरसागंज विधानसभा से सपा के हरिओम यादव ने जीत हासिल की थी. एक लंबे अंतराल के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पांच विधानसभाओं में से 4 में जीत हासिल कर उत्तर प्रदेश में जीत का परचम लहराया था.

इन राजनीतिक हस्तियों का रहा दबदबा 

फिरोजाबाद जनपद की शिकोहाबाद विधानसभा से मुलायम सिंह यादव भी चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे. वहीं, अखिलेश यादव ने 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता. लेकिन दो जगह से कन्नौज और फिरोजाबाद से चुनाव जीतने के कारण फिरोजाबाद से त्यागपत्र दे दिया था. 2009 में हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा था, उनका मुकाबला फिल्म अभिनेता और कांग्रेस नेता राज बब्बर से हुआ. राज बब्बर ने डिंपल यादव को 1 लाख वोटों से हरा दिया. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रोफेसर रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत हासिल की.

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बीजेपी ने की सेंधमारी 

बाजी पलटी तब जब सैफई परिवार में शिवपाल और अखिलेश यादव के रास्ते अलग-अलग हो गए और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सैफई परिवार के ही प्रोफेसर रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव (सपा) को चुनाव में उतारा, लेकिन उनका मुकाबला शिवपाल सिंह यादव (प्रसपा) से और बीजेपी के डॉक्टर चंद्र सिंह जादौन से हुआ, लेकिन सैफई परिवार के चाचा भतीजे दोनों हार गए और जीत मिली भारतीय जनता पार्टी के डॉ चंद्र सेन जादौन को.

 

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