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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections 2022) में पिछले कुछ समय से लगातार ‘पन्ना प्रमुख’ चर्चा में हैं. बीजेपी ने इस बार पन्ना प्रमुखों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की पहल की है. योजना बनायी गयी है कि पार्टी चुनाव के दिन इन्हीं पन्ना प्रमुखों के ज़रिए वोटिंग ट्रेंड पता करेगी. यानी, पार्टी को मतदान ख़त्म होते ही ये पता चल जाएगा कि पार्टी ने किस बूथ पर कैसा परफॉर्मेंस किया है या कितने मतदाताओं ने पार्टी के पक्ष में वोट किया है. इस बार यह नया प्रयोग यूपी भाजपा ने किया है.
कैसे काम करती है यह टेक्नोलॉजी
हर बूथ पर मौजूद पन्ना प्रमुखों को पार्टी दिन में कई बार एक लिंक भेजेगी. इस लिंक में एक फ़ॉर्म होगा, जिसमें वो सारी जानकारी होगी कि पार्टी को ये पता चल सके कि वोटिंग का ट्रेंड पार्टी के पक्ष में है या नहीं या अगर नहीं है तो फिर किसके पक्ष में है? इसके साथ ही, पार्टी यह भी जान पाएगी कि किस बूथ में कितने मतदाताओं ने वोट डाला है.
BJP के IT विभाग ने बनाया टूल
यह टूल पार्टी के IT विभाग ने डेवलप किया है. पार्टी के IT विभाग की इस तैयारी से, हर बूथ पर वोटिंग ख़त्म होने के चंद घंटों में ही उस बूथ पर पार्टी की स्थिति के बारे में जानकारी मिल जाएगी.
यूपी बीजेपी IT विभाग के प्रमुख कामेश्वर मिश्रा इस पूरी जानकारी को समझाते हुए कहते हैं कि ये किस तरह से काम करेगा. दरअसल पहले भी पार्टी चुनाव में बूथ स्तर से फ़ीडबैक लेती रही है. इसके लिए बाक़ायदा लखनऊ के पार्टी कार्यालय में स्टाफ़ की ज़िम्मेदारी रहती थी कि फ़ोन कर बूथ अध्यक्षों से इस बारे में पता करें और फ़ीडबैक को नोट करें. बाद में उसका आकलन किया जाता था. इस बार ये पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. साथ ही, सभी बूथों को एक टूल से जोड़ा का सकेगा.
चुनाव में बहुत अहम हैं पन्ना प्रमुख
बीजेपी के संगठन के ढांचे में पन्ना प्रमुख का महत्व तब समझ में आया था, जब अमित शाह गुजरात चुनाव में एक बूथ के पन्ना प्रमुख बने थे. इस बार यूपी में पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और दिनेश शर्मा समेत सभी प्रमुख पदाधिकारियों को पन्ना प्रमुख बनाया है. बूथ में, 21 सदस्यों की समिति भी बनाई गयी है. साथ ही, पन्ना प्रमुख के पास मतदाता सूची प्रकाशित होने से लेकर मतदाताओं से संपर्क करने और उनको मतदान के लिए लाने की जिम्मेदारी होगी.
ऐसे काम करते हैं पन्ना प्रमुख
बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार है पन्ना प्रमुख. यूपी में करीब 1 लाख 74 हज़ार बूथ हैं, हर बूथ में 20 से 25 पन्ना प्रमुख भी हैं. हर पन्ना प्रमुख पर करीब 60 मतदाताओं की ज़िम्मेदारी है. हर बूथ पर 1200-1500 मतदाता हैं. इन मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज रहता है. इसलिए जो पन्ने (दो side के page को मिलाकर एक पन्ना ) बनते हैं, उनकी ज़िम्मेदारी किसी एक कार्यकर्ता को दी जाती है, जिसको पन्ना प्रमुख कहते हैं. बूथ स्तर पर भाजपा के पन्ना प्रमुख के अलावा, बूथ अध्यक्ष, बूथ प्रभारी और BLA(booth level agent) भी होते हैं .
4 से 5 बूथों को मिलाकर बीजेपी ने ‘शक्ति केंद्र’ बनाया है. इस बार पार्टी, सारे कार्यक्रम बूथ स्तर पर या शक्ति केन्द्र के स्तर पर ही कर रही है, जिससे ज़मीनी स्तर पर पार्टी को मज़बूत किया जा सके.
बीजेपी अपनी ताक़त बूथ मैनेजमेंट को मानती रही है और बूथ की सबसे छोटी इकाई है पन्ना प्रमुख. पन्ना प्रमुख का महत्व बताकर कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए सभी बड़े नेताओं को पन्ना प्रमुख बनाया गया है. ज़ाहिर है, बीजेपी इसी पन्ना प्रमुख के ज़रिए अपने उस स्लोगन को हकीकत में बदलना चाहती है कि 'बूथ जीता तो चुनाव जीता.'