
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनके नाम पर सियासत भी तेज हो गई है. बीजेपी ने कल्याण सिंह की श्रद्धांजलि के बहाने समाजवादी पार्टी को घेरना शुरू कर दिया है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकर तमाम बीजेपी नेताओं ने एक सुर में सपा को ओबीसी विरोधी बता दिया है. चुनावी माहौल में ऐसी बयानबाजी के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे है. वहीं, बीजेपी कल्याण सिंह की अस्थि कलश यात्रा निकालने का भी मन बना रही है.
अस्थि कलश यात्रा के लिए तैयार हो रहा रोडमैप
कल्याण सिंह के अस्थि कलश के साथ बीजेपी यात्रा निकालने की तैयारी में है. इसके लिए संघ और बीजेपी नेताओं ने मंथन करना शुरू कर दिया है. कलश यात्रा का पूरा रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इस कलश यात्रा के जरिए स्वर्गीय कल्याण सिंह की अस्थियों को नरौरा के साथ-साथ काशी में गंगा, प्रयागराज में संगम और अयोध्या में सरयू नदी में विसर्जित करने की योजना बनाई गई है. 27 अगस्त को नरौरा में कल्याण सिंह के अस्थि फूल चुने जाएंगे और 1 सितंबर को श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें तमाम बड़े नेता शामिल होंगे और उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे.
कल्याण सिंह के बहाने सपा पर बीजेपी का वार
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज जैसे पिछड़ी जातियों के बड़े नेताओं ने कांग्रेस और सपा पर तुष्टिकरण व मुस्लिम वोट बैंक के लालच में कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि नहीं देने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेताओं ने एक सुर में कहा है कि सपा और कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग का अपमान किया है और 2022 में प्रदेश की जनता इसका जवाब देगी.
अखिलेश यादव पर का सीधा हमला
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि अखिलेश यादव अपने आवास से मात्र एक किलोमीटर दूर मॉल एवेन्यू में 'बाबूजी' को श्रद्धांजलि देने नहीं जा सके. कहीं मुस्लिम वोट बैंक के मोह ने उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता को श्रद्धांजलि देने से तो नहीं रोक लिया. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने ट्वीट में लिखा कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए अखिलेश नहीं आए. अखिलेश यादव ने पिछड़े वर्ग की बात करने का नैतिक अधिकार खो दिया है और आपके द्वारा ओबीसी की बात करना ढोंग है.
साक्षी महाराज ने अयोध्या का भी किया जिक्र
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कल्याण सिंह छह दशक तक प्रदेश में सक्रिय राजनेता रहे. उनके निधन पर पूरा प्रदेश व देश श्रद्धासुमन अर्पित करने उमड़ पड़ा, लेकिन मुलायम सिंह और अखिलेश यादव उन्हें श्रद्धांजलि तक देने नहीं आए जबकि मुलायम उन्हें अपना मित्र बताते थे. साथ ही साक्षी महाराज ने कहा कि एक वर्ग विशेष के वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने मुलायम-अखिलेश नहीं आए. कल्याण सिंह सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटा था इसलिए कांग्रेस और सपा के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की. ये ओबीसी और दलित वर्ग का अपमान है.
सपा की सफाई, लखनऊ से बाहर थे अखिलेश
वहीं, सपा ने पूरे मामले में सफाई देने के साथ पलटवार भी शुरू कर दिया है. सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि बीजेपी कल्याण सिंह की मृत्यु पर भी राजनीति कर रही है. मृत्यु पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, राजनीति के लिए बहुत सारे मुद्दे होते हैं, जहां तक अखिलेश यादव के न पहुंचने का प्रश्न है तो वह उस दिन लखनऊ से बाहर थे. विधानभवन में जब कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर आया था, सपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने श्रद्धांजलि अर्पित की थी. साथ ही कल्याण सिंह के निधन पर तत्काल अखिलेश जी ने भी शोक संदेश जारी किया था.
बीजेपी पर सपा का पलटवार
सपा की तरफ से पूर्व विधायक पवन पांडेय ने बीजेपी नेताओं से सवाल करते हुए कहा कि राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह की इतनी बड़ी भूमिका थी तो उन्हें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में स्थान क्यों नहीं दिया गया. पवन पांडे ने कहा कि कल्याण सिंह के निधन पर हम सभी को बेहद दुख है. हमारी पार्टी के नेता ने अपनी संवेदना भी प्रकट की है. पांडे ने सवाल किया कि भाजपा नेताओं को अगर कल्याण सिंह जी के प्रति इतनी श्रद्धा थी तो उन्हें पार्टी से क्यों निकाल दिया गया था. कल्याण सिंह के जिंदा रहते हुए बीजेपी नेता उनका सम्मान नहीं कर सके और अब उनके नाम पर सियासत कर रहे हैं.
सपा नेता पवन पांडे ने कहा कि आज पिछड़ों के सम्मान की बात करने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद बताएं कि उन्हें बीजेपी में कितना सम्मान मिल रहा है, उन्हें स्टूल पर बैठाया जाता है. पवन पांडे ने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्ग से होने के कारण कल्याण सिंह को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में स्थान नहीं मिला. बीजेपी आखिर किस मुंह से पिछड़े वर्ग के सम्मान की बात कर रही है. जब स्वयं अपनी पार्टी में उन्होंने एक बड़े नेता को सिर्फ इसलिए सम्मान नहीं दिया क्योंकि वह पिछड़े वर्ग से जुड़े थे.
ओबीसी वोट पर सबकी नजर
उत्तर प्रदेश की सियासत में ओबीसी वोटर काफी अहम भूमिका में है, जिसके चलते कल्याण सिंह के बहाने राजनीतिक दलों में जोर-आजमाइश नजर आ रही है. यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी वर्ग का है. यूपी में सवर्ण जातियां 19 फीसदी हैं, जिसमें ब्राह्मण करीब 10 फीसदी, 6 फीसदी राजपूत और बाकी वैश्य, भूमिहार और कायस्थ हैं. पिछड़े वर्ग की संख्या 39 फीसदी है, जिसमें यादव 10 फीसदी, कुर्मी-कुशवाहा, सैंथवार 12 फीसदी, जाट 3 फीसदी, मल्लाह 5 फीसदी, विश्वकर्मा 2 फीसदी और अन्य पिछड़ी जातियों की तादाद 7 फीसदी है. इसके अलावा प्रदेश में अनुसूचित जाति 25 फीसदी हैं और मुस्लिम आबादी 18 फीसदी है. यूपी के पिछड़े वोट बैंक में सबसे बड़ा हिस्सा गैर-यादव बिरादरी का है, जो कभी किसी पार्टी के साथ स्थायी रूप से नहीं खड़ा नजर नहीं आया. ओबीसी समुदाय की तरफ से वोट का निर्णय जाति के आधार पर आंका गया है.
लोध समाज का वोट भी निर्णायक
ओबीसी में एक और बड़ा वोट बैंक लोध जाति का है. कल्याण सिंह इसी लोध बिरादरी से आते थे, जिसके चलते बीजेपी का यह परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. यूपी के 23 जिलों में लोध वोटरों का दबदबा है, जिनमें रामपुर, ज्योतिबा फुले नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, महामायानगर, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, पीलीभीत, लखीमपुर, उन्नाव, शाहजहांपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा ऐसे जिले हैं, जहां लोध वोट बैंक पांच से 10 फीसदी तक है. कल्याण सिंह के कद का बीजेपी में इस समय न तो कोई लोध नेता है और न ही ओबीसी नेता है. ऐसे में बीजेपी कल्याण सिंह के बहाने सपा को ओबीसी विरोधी साबित करने की कोशिश करती दिखाई दे रही है.
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