
कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से बरामद नोटो का जखीरा उत्तर प्रदेश की राजनीतिक फिजाओं को इन दिनों महका रखा है. यूपी चुनाव से ठीक पहले करीब 200 करोड़ की भारी भरकम रकम की कैश रिकवरी को लेकर सियासत तेज हो गई है. कानपुर के कैश कांड की गूंज उन्नाव, हरदोई, बदायूं की रैलियों में गूंजने लगी.
उत्तर प्रदेश में इन दिनों हर किसी की जुबान पर कानपुर के काली कमाई करने वाले धनकुबेर इत्र कारोबारी पीयूष जैन का ही जिक्र है. ऐसे में यही चर्चा है कि आखिर ये अथाह कैश पीयूष जैन के पास कहां से आया और सबसे बड़ी बात यह है कि काले धन के पीछे असल में किसका खेल है, क्योंकि सपा-बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं.
बीजेपी नैरेटिव गढ़ने में क्या सफल रही?
पीयूष जैन के ठिकानों पर छापेमारी के पहले दिन से ही बीजेपी ने सपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी के तमाम नेताओं ने पीयूष जैन का सपा से रिश्ता जोड़ते हुए कहा था कि समाजवादियों का नारा है, जनता का पैसा हमारा है. इस तरह बीजेपी नेता यह नैरेटिव गढ़ने में जुटे हैं कि पीयूष जैन सपा के करीबी हैं.
सीएम योगी से लेकर अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पीयूष जैन के बहाने कालेधन के इस खेल को समाजवादी पार्टी से जोड़ रहे हैं. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि कानपुर के जिस व्यापारी के यहां छापा पड़ा है, उसका संबंध सपा से नहीं, बल्कि बीजेपी से है. अखिलेश यादव ने कहा है कि पीयूष जैन की सीडीआर निकालकर देख लें कि उसके किस पार्टी के साथ संबंध है. इस तरह बीजेपी और सपा के बीच पीयूष जैन को लेकर अब शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
क्या देर कर गए अखिलेश?
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी कहते हैं कि पीयूष जैन को लेकर बीजेपी यह नैरेटिव गढ़ने में सफल रही कि वो सपा के करीबी हैं, अब सपा भले ही सफाई देती फिरे कि यह उनका आदमी नहीं है. बीजेपी के आरोपों के जवाब देने में सपा प्रमुख अखिलेश यादव काफी देर कर गए हैं. मामला सामने आने के चार दिन बाद अखिलेश यादव कह रहे हैं कि पीयूष जैन की सीडीआर निकलवाई जाए. मामले की जांच हो या सीडीआर रिपोर्ट, ये सब सरकार और जांच एजेंसियों दायरे का मामला है, लिहाजा इनके अभी सामने आने की संभावना नजर नहीं आती. ऐसे में उन्हें बीजेपी को काउंटर करने के लिए पहले सामने आना चाहिए था.
हालांकि, हेमंत तिवारी कहते हैं कि अखिलेश यादव ने जो बात उन्नाव में कही है, उसे पहले भी कह सकते थे, क्योंकि उन्हीं के पार्टी नेता और एमएलसी उदयवीर सिंह ने तीन दिन पहले ही पीयूष जैन को बीजेपी का करीबी नेता बता चुके थे. इसके बावजूद अखिलेश या फिर सपा को किसी भी नेता ने बीजेपी को क्यों नहीं घेरा. ऐसे लगता है कि या तो सपा के साथ उनके रिश्ते हैं और अगर नहीं हैं तो फिर बीजेपी को जवाब देने में देर क्यों लगा दी.
पीएम मोदी ने भी अखिलेश को घेरा
बता दें कि कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां आयकर विभाग की छापेमारी में 194 करोड़ रुपये कैश, 64 किलो सोना और 250 किलो चांदी बरामद हुई. इसके अलावा 6 करोड़ की कीमत का चंदन का तेल भी जब्त किया गया है. कोर्ट ने पीयूष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. लेकिन, यूपी चुनाव से ठीक पहले बीजेपी कालेधन के इस खेल को समाजवादी पार्टी से जोड़ रही है और हमला बोल रही है. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने भी अब इस मुद्दे को लेकर सपा को घेरना शुरू कर दिया है.
पीएम मोदी 28 दिसंबर को कानपुर में मेट्रो का उद्घाटन करने पहुंचे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर हमला किया और कहा कि सरकार के हर काम को जो अपना बताते हैं, बक्से भर-भर कर नोट मिलने पर मुंह पर ताला लगाए बैठे हैं. पूर्व की सरकार में भ्रष्टाचार का जो 'इत्र' छिड़का गया था, अब सामने आ गया है. साथ ही अमित शाह ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साध और कहा कि यह पैसा आपका ही है तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पीयूष जैन को बहाने सपा को घेरते नजर आए.
अमित शाह के निशाने पर रहे अखिलेश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरदोई की एक रैली में कहा कि कुछ दिन पहले आयकर विभाग ने छापा मारा तो अखिलेश के पेट के अंदर मरोड़ होने लगा, कहने लगे कि राजनीतिक द्वेष के कारण छापा मारा गया है और आज उन्हें जवाब सूझ नहीं रहा है. यह यूपी की ही जनता से लूटा हुआ ढाई सौ करोड़ इत्र वाले के घर से निकला है. साथ ही शाह यह संदेश देने देने कि कोशिश करते दिखे कि छापेमारी में जो पैसा बरामद हुआ है, वो कहीं न कहीं सपा का है.
अखिलेश ने बीजेपी से जोड़े पीयूष के तार
उन्नाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि व्यापारी के सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) से कई बीजेपी नेताओं के नाम सामने आएंगे जो उनके संपर्क में थे. उन्होंने कहा 'गलती से बीजेपी ने अपने ही कारोबारी पर छापा मारा. उन्होंने दावा किया कि समाजवादी इत्र (इत्र) सपा एमएलसी पुष्पराज जैन द्वारा लॉन्च किया गया था न कि पीयूष जैन द्वारा. इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि झूठ के फूल के जड़ मिल गई है. ये बीजेपी के गिरते स्तर का शिखर है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सपा से जुड़ा एक शख्स 'समाजवादी परफ्यूम' की बात करता था, जिस पर हमारे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि ये कोई परफ्यूम नहीं बल्कि 'समाजवादी बदबू' है.
परसेप्शन की लड़ाई में कहां खड़ी सपा?
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि 2022 यूपी चुनाव को लेकर अखिलेश यादव ने जिस तरह से जातीय आधार वाले छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, उससे बीजेपी की चिंता बढ़ी है. ऐसे में यूपी का चुनाव पूरी तरह से परसेप्शन पर लड़ा जा रहा है और बीजेपी इस काम को बाखूबी तरह से करना जानती है. ऐसे में पीयूष जैन के मामले को लेकर बीजेपी ने सपा के खिलाफ नेरेटिव गढ़ना शुरू कर दिया, जिसे सपा काउंटर नहीं कर सकी.
वह कहते हैं कि पीयूष जैन मामले में अखिलेश यादव का बयान बहुत देरी से सामने आया और जिस मजबूती के साथ बीजेपी को घेरना चाहिए था. वो न तो अखिलेश यादव कर सके और न ही सपा के दूसरे नेता. बीजेपी अपने मजबूत प्रचार तंत्र के दम पर यह स्थापित करने में काफी हद तक सफल हो गई है कि पीयूष जैन का संबंध सपा से है. यूपी चुनाव की लड़ाई भी बंगाल की तरह परसेप्शन सेट करने की है. ऐसे में सपा या फिर किसी दूसरी विपक्षी दल को बीजेपी की तर्ज पर ही मुकाबला करना होगा और अपने चुनावी नेरेटिव भी सेट करने होंगे. नहीं तो ऐसे ही बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह में विपक्ष घिरता रहेगा.