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किसान आंदोलन की काट निकल भी जाए तो पश्चिमी यूपी में जाट आरक्षण अब बनेगा BJP के गले की फांस

उत्तर प्रदेश के 2022 चुनाव से पहले जाट आरक्षण की मांग को लेकर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पश्चिमी यूपी इलाके में अपने अभियान तेज कर दिए हैं, जो बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ा सकते हैं. किसान आंदोलन से भले ही सरकार को राहत मिल गई हो, लेकिन जाट आरक्षण बीजेपी के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है.

जाट आरक्षण आंदोलन जाट आरक्षण आंदोलन
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 01 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST
  • किसान आंदोलन के बाद जाट आरक्षण का मुद्दा
  • पश्चिमी यूपी में जाट वोटर निर्णायक भूमिका में हैं
  • चुनाव से पहले जाट आरक्षण बीजेपी की टेंशन

कृषि कानून को वापस लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही किसान आंदोलन के असर को पश्चिमी यूपी के क्षेत्र में कम करने का दांव चला हो, लेकिन अब जाट आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है. उत्तर प्रदेश के 2022 चुनाव से पहले जाट आरक्षण की मांग को लेकर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पश्चिमी यूपी इलाके में अपने अभियान तेज कर दिए हैं, जो बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ा सकते हैं. 

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अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति यशपाल मलिक ने aajtak.in से कहा कि जाट आरक्षण की मांग लेकर हम पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में बैठकें कर रहे हैं. मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, मथुरा में जाट आरक्षण को लेकर समाज के बीच बैठक हो चुकी है. 15 दिसंबर के बाद शामली में जाट समाज की बड़ी पंचायत बुलाने जा रहे हैं, जिसमें जाट आरक्षण को लेकर हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे. 

यशपाल मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जाट समाज से आरक्षण देने का किया गया पुराना वादा याद दिलाना चाहते हैं. जाट समाज को ओबीसी वर्ग का आरक्षण मिलना चाहिए. विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण पर निर्णय नहीं होता है तो जाट समाज बड़ा फैसला करेगा. इसका नुकसान बीजेपी को 2022 के चुनाव में उठाना पड़ सकता है. 

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जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर बैठक

2022 विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में जाट आरक्षण आंदोलन दोबारा से खड़ा करने में जुटी जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने बुधवार के जनजागरण अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत जाट समाज के लोग गांव-गांव जाकर लोगों को जाट आरक्षण की मांग को दोबारा से तेज करने की अपील कर रहे हैं. 

यशपाल मलिक ने कहा कि जाटों के आरक्षण के मुद्दे पर हम अब तक सरकार की सहमति का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब जाट आरक्षण आंदोलन गांवों से शहरों तक होगा और बिना मांग पूरे हुए हम नहीं शांत बैठेंगे. वह कहते हैं कि जाट समाज पश्चिमी यूपी की 100 सीटों पर अपना असर रखते हैं. 

उन्होंने कहा कि बीजेपी जाट वोटों के दम पर ही 2017 में सत्ता में आई है. ऐसे में हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम उन्हें सत्ता से हटाना भी जानते हैं.  यशपाल मलिक ने कहा कि जाटों के आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है. 15 साल से आरक्षण के लिए रेल रोका, पानी रोका, धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब हम इंतजार नहीं करेंगे. 

जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक का मानना है कि टिकैत बंधु जाट बिरादरी के नाते उनके साथ मंच साझा करेंगे. साल 2011 में जाट आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर तत्कालीन बसपा सरकार व केंद्र में यूपीए सरकार को बैकफुट पर लाने वाले जाट नेता यशपाल मलिक ने विधानसभा चुनाव की आहट शुरू होते ही आरक्षण का राग छेड़ा है. 

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उन्होंने कहा कि जाट समाज ने जिस मजबूती के साथ कृषि कानून के खिलाफ किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है. ऐसे ही किसान समाज की तमात जातियां हमारे आरक्षण की मांग पर साथ आएं. हमें पूरी उम्मीद है, टिकैत बंधु भी हमारे साथ रहेंगे, क्योंकि नरेश टिकैट जाट समाज के खाप के प्रमुख भी है. वो इससे पहले तमाम पंचायतों में शामिल रहे हें और अब शामली में होने वाली पंचायत में रहेंगे. बिरादरी को बंटने नहीं दिया जाएगा और हम एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे.

 

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