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यूपी चुनाव: किसान आंदोलन ने दिलाई RLD को संजीवनी, जयंत चौधरी की बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ी

किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी की स्थिति मजबूत होती देख दूसरे दलों के नेताओं का रुख भी अब जंयत चौधरी की तरफ होने लगा है. किसान आंदोलन के बाद से करीब एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेता आरएलडी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं जबकि पंचायत चुनाव के दौरान आरएलडी का दामन थामकर कई नेता जिला पंचायत सदस्य बनने में कामयाब रहे हैं. 

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 24 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST
  • किसान आंदोलन से आरएलडी की बढ़ी ताकत
  • दूसरे दल के नेता आरएलडी में हो रहे शामिल
  • RLD अपनी बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ाने में जुटी

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से सियासी अस्तित्व तलाश रहे राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) का राजनीतिक कुनबा एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है. कृषि कानून विरोधी किसान आंदोलन के समर्थन में जयंत चौधरी ने उतरकर और तबड़तोड़ पंचायतें करके अपनी पार्टी को संजीवनी दे दी है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए जयंत चौधरी तमाम दूसरे दलों के बड़े नेताओं को साथ जोड़कर अपनी सियासी ताकत बढ़ाने में जुट गए हैं ताकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ बार्गेनिंग पावर भी बढ़ा सकें. 

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किसान आंदोलन के बदौलत यूपी पंचायत चुनाव में परवान चढ़ा आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी का सियासी रंग विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही और चटख होने लगा है. जयंत अपने प्रभाव वाले पश्चिम यूपी में अपना राजनीतिक आधार मजबूत करने की कवायद में जुटे हैं. आरएलडी पश्चिम यूपी के तमाम जिलों में भाईचारा सम्मेलन के जरिए जाट-मुस्लिम सहित अन्य जातियों को जोड़ रही है तो तमाम दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रहे हैं.

RLD का रुख कर रहे हैं नेता

किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी की स्थिति मजबूत होती देख दूसरे दलों के नेताओं का रुख भी अब जंयत चौधरी की तरफ होने लगा है. किसान आंदोलन के बाद से करीब एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेता आरएलडी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं जबकि पंचायत चुनाव के दौरान आरएलडी का दामन थामकर कई नेता जिला पंचायत सदस्य बनने में कामयाब रहे हैं. 

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आरएलडी के महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते हैं कि किसान आंदोलन में पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी ने आगे बढ़कर किसानों की आवाज को बुलंद किया. इसलिए आरएलडी में जनता का विश्वास बढ़ा है. कुछ नेता जो दूसरे दलों में चले गए थे वे घर वापसी कर रहे हैं. नए लोग भी पार्टी से जुड़ रहे हैं. अभी और भी कई नेता संपर्क में हैं, जिन्हें पार्टी की सदस्यता जल्द ही दिलायी जाएगी और हमें उम्मीद है कि सपा हमारी राजनीतिक ताकत को देखते हुए सम्मानजनक सीटें देगी.

आरएलडी में शामिल हुए मुस्लिम नेता

पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी, बीएसपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव चौधरी मोहम्मद इस्लाम, मीरापुर से बसपा के पूर्व विधायक मौलाना जमील और थानाभवन से बसपा के पूर्व विधायक अब्दुल वारिस राव रालोद का दामन थाम चुके हैं. इसके अलावा  कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद के भाई व पूर्व सांसद राशिद मसूद के बेटे नोमान मसूद और उनके बेटे हमजा मसूद भी आरएलडी में शामिल हुए हैं. नोमान मसूद सहारनपुर जिले की गंगोह विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. 

बीजेपी नेताओं का ठिकाना बनी आरएलडी

बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी राम आशीष राय, खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के चेयरमैन रहे बीजेपी नेता डॉ. यशवीर सिंह,  पश्चिम यूपी में बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे पूर्व एमएलसी राज कुमार त्यागी, बीजेपी के पूर्व विधायक वीरेंद्र ठाकुर, पूर्व विधायक चौधरी विरेंद्र सिंह और आगरा से पूर्व विधायक कालीचरण सुमन जैसे नेता आरएलडी की सदस्ता ग्रहण की है. वरिष्ठ पत्रकार रहे पुष्पेंद्र शर्मा भी आरएलडी में शामिल हुए हैं.

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वहीं, पंचायत चुनाव के दौरान सपा नेता उमेश कुमार आरएलडी में शामिल होकर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े और जीत हासिल की. जिला पंचायत सदस्य बबली के पति राकेश ने भी कुछ दिनों पूर्व रालोद की सदस्यता ली थी. महिला आयोग की सदस्य रहीं प्रियंवदा तोमर भी आरएलडी में शामिल हो चुकी हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष संतोष देवी के पति प्रसन्न चौधरी आरएलडी का दामन थाम चुके हैं.

आरएलडी की बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ी 
 
किसान आंदोलन के बाद से जिस तेजी से आरएलडी में दूसरे दलों के नेताओं की एंट्री हुई, उससे पार्टी और जयंत चौधरी के हौसले काफी बुलंद हैं. आरएलडी नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी. ऐसे में आरएलडी पश्चिम यूपी में अच्छी खासी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और इस बार वो सपा के साथ मिलकर 2022 में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. 

वहीं, जयंत चौधरी ने दूसरे दलों के इतने नेताओं को शामिल कर लिया है, वो सब टिकट के दावेदार हैं. ऐसे में आरएलडी और सपा के बीच अभी तक सीट शेयरिंग के लेकर न तो कई बात बनी है और न ही दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समिति गठित हुई. आरएलडी की पश्चिम यूपी में बढ़ती सियासी ताकत और जयंत की डिमांड ने सपा को जरूर चिंता में डाल दिया है. ऐसे में देखना है कि आरएलडी और सपा के बीच सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला निकलता है. 

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