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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक जिला है कुशीनगर. कुशीनगर जिले की एक विधानसभा सीट है कुशीनगर विधानसभा सीट. कुशीनगर विधानसभा सीट साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट के लिए 2012 के चुनाव में अस्तित्व में आई. 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले कुशीनगर विधानसभा सीट को कसया विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कुशीनगर विधानसभा सीट से आने वाले दिग्गज नेताओं की दखलअंदाजी प्रदेश की सियासत में शुरू से रही है. इस सीट से ब्रह्माशंकर त्रिपाठी और सूर्य प्रताप शाही के बीच मुख्य मुकाबला रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष रहे सूर्य प्रताप शाही ने साल 1996 में समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था.
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कुशीनगर विधानसभा सीट (तत्कालीन नाम कसया विधानसभा सीट) से साल 2002 के विधानसभा चुनाव में ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी ने बीजेपी के सूर्य प्रताप शाही को हराकर 1996 की हार का बदला ले लिया. ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी ने 2002 के चुनाव में मिली जीत का सिलसिला 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में भी जारी रखा.
2017 का जनादेश
कुशीनगर विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने रजनीकांत मणि त्रिपाठी को टिकट दिया. बीजेपी के रजनीकांत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राजेश प्रताप राव को 48 हजार से अधिक वोट के बड़े अंतर से शिकस्त दी थी. बीजेपी के उम्मीदवार रजनीकांत को 97132 वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
कुशीनगर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं. कुशीनगर विधान सभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं. अनुमानों के मुताबिक इनमें सर्वाधिक ब्राह्मण वोटर हैं. क्षत्रिय, वैश्य, यादव, कुशवाहा, सैंथवार और अन्य जाति-वर्ग के मतदाता भी यहां अच्छी तादाद में हैं. अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी कुशीनगर विधानसभा सीट का परिणाम तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कुशीनगर विधानसभा सीट से विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी का दावा है कि उनके कार्यकाल में जितने विकास कार्य हुए हैं उतने कभी नहीं हुए. बीजेपी के नेता भी 2017 के बाद इस क्षेत्र में विकास के कार्य गिनाते नहीं थक रहे. वहीं, विपक्षी दलों के नेता बीजेपी नेताओं और क्षेत्रत्रीय विधायक की ओर से विकास के दावों को खोखला बता रहे हैं.
(इनपुट- संतोष कुमार सिंह)