
लखीमपुर कांड को लेकर सड़क से संसद तक घमासान मचा है. कांग्रेस, सपा समेत लगभग सभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रही हैं. संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा मांग रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर बुधवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव भी दिया था. उधर, बुधवार को टेनी पत्रकारों पर भी भड़क गए और अपशब्द कहने लगे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विपक्ष के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार टेनी को मंत्रिमंडल से क्यों बाहर नहीं कर रही है?
दरअसल, लखीमपुर केस में हाल ही में एसआईटी की रिपोर्ट आई है. इसमें जांच अधिकारी ने कहा कि लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा हादसा या गैर इरादतन की गई हत्या नहीं, बल्कि हथियारों से लैस होकर एक राय होकर गंभीर साजिश के साथ किए गए हत्या के प्रयास की घटना है. कोर्ट ने जांच अधिकारी के मांग पर आशीष मिश्रा के खिलाफ और कड़ी धाराएं लगाई हैं. इसी रिपोर्ट के बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को तूल दे दिया है.
संसद के भीतर कांग्रेस समेत विपक्षी नेता बीजेपी सरकार को टेनी को हटाने के लिए घेरते हैं. राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते दिखे. उन्होंने सरकार को राजनीति का धर्म निभाने की सीख भी दी. उधर, सड़क के बाहर यूथ कांग्रेस और सपा के कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया. दिल्ली से 500 किमी दूर लखनऊ में विधानसभा के भीतर भी सपा और कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया.
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, देश में नैतिकता नहीं बची है, बची होती तो टेनी कब का इस्तीफा दे चुके हैं. उधर, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष के विरोध पर कहा, जो भी कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, वो हो रही है. उसमें किसी को ज्ञान देने की जरूरत नहीं है.
2022 में चुनाव, जोखिम मोल नहीं लेना चाहती भाजपा
2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में भाजपा इस मुद्दे पर नया जोखिम मोल नहीं लेना चाहती. जानकारों का मानना है कि टेनी को बाहर कर भाजपा ब्राह्मण को नाराजगी का जोखिम नहीं लेना चाहती. यही वजह है कि टेनी को दिल्ली तलब तो किया गया, लेकिन फिलहाल कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसका एक मात्र कारण अजय मिश्रा टेनी का ब्राह्मण होना है. जिस प्रमुख वजह से 5 महीने पहले अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, अब उसी वजह से उन्हें मंत्री पद से हटाने में कठिनाई पैदा हो रही है.
2017 में 72%, 2019 में 82% ब्राह्मण वोट भाजपा को मिला
उत्तर प्रदेश में करीब 2 करोड़ ब्राह्मण मतदाता हैं. यूपी के चुनावों में पहले ब्राह्मण वोट का हिसाब लगाएं तो 2014 में यूपी में ब्राह्मण वोट का 72 फीसदी हिस्सा अकेले भाजपा को मिला था. 2019 में यह बढ़कर 82% पहुंच गया था. क्या केंद्र की मोदी सरकार ब्राह्मण होने की वजह से अजय मिश्रा टेनी को नहीं हटा पा रही. कांग्रेस और सपा भाजपा पर आरोप लगा रही हैं कि चुनाव की वजह से टेनी पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही.
उत्तर प्रदेश के 2014 के नतीजे में 77 सीट ऐसी थीं, जहां जीत का अंतर सिर्फ 10 हजार वोट रहा. 10 हजार के मार्जिन से जीत हार तय होने वाली 77 सीट में 36 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. उत्तर प्रदेश में करीब 2 करोड़ ब्राह्मण मतदाता हैं. इस हिसाब से अगर इन्हें 403 विधानसभा में बांट दें तो लगभग 50 हजार ब्राह्मण वोटर प्रति सीट पर पड़ता है. ऐसे में जिन्हें ब्राह्मण वोट के लिए मंत्री बनाया गया, उन अजय मिश्रा पर कार्रवाई होती दिखेगी तो संभव है कि ब्राह्मण वोटों की नाराजगी का असर 77 सीट पर पड़ सकता है.