
चारा घोटाला मामले में ज़मानत पर जेल से बाहर चल रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होते दिख रहे हैं. लालू यादव अभी दिल्ली में ही रह रहे हैं और इस बीच बीते दिन उन्होंने कई बड़े राजनेताओं से मुलाकात की.
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रताप सिंह ने बुधवार को मीसा भारती के आवास पर लालू यादव से मुलाकात की.
नई दिल्ली में अपनी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के आवास पर रुके लालू प्रसाद यादव 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर एक्टिव होते हुए दिख रहे हैं. नई दिल्ली में लालू यादव और अन्य नेताओं की मुलाकात तब हुई है, जब ममता बनर्जी के दिल्ली में होने के बीच भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
एनसीपी यूपी में लड़ेगी चुनाव
बता दें कि लालू से मुलाकात के एक दिन पहले ही एनसीपी ने यह घोषणा की थी कि वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेगी और माना जा रहा है कि इसी को लेकर शरद पवार ने लालू से मुलाकात की है. उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर एनसीपी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है और इसी वजह से लालू के साथ शरद पवार की मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
हालांकि, मीसा भारती ने कहा है कि सभी नेता मुख्य रूप से लालू प्रसाद की सेहत का हाल-चाल जानने आए थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने इस मुलाकात के बाद ट्वीट किया, 'राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष श्री. लालू प्रसाद यादव जी से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली. लंबे अरसे बाद पुराने सहयोगी लालूजी से मिलकर खुशी हुई.'
बता दें कि इससे पहले 5 जुलाई को लालू प्रसाद ने अपनी पार्टी के 25वीं स्थापना दिवस के मौके पर घोषणा की थी कि वह बिहार की राजनीति में भी जल्द वापसी करेंगे.
लालू यादव की इस मुलाकात पर बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी का बयान सामने आया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि अब लालू प्रसाद का कोई असर नहीं रहा, इसलिए उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर सपा, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं से उनके मिलने का कोई मतलब नहीं है. बिहार से बाहर वे कभी अपने पांच विधायक नहीं जिता पाए, गृह राज्य में भी ताकत खो चुके हैं.