
यूपी की राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट है लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट. ये विधानसभा सीट लखनऊ की पुरानी विधानसभा सीट में से एक है. इस विधानसभा सीट पर साल 1991 के बाद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा रहा है. समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का इस सीट पर खाता भी नहीं खुल सका है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लखनऊ की पूर्वी विधानसभा सीट के सियासी अतीत की बात करें तो पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चंद्र भानु गुप्ता इस सीट से पहले विधायक निर्वाचित हुए थे. 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के त्रिलोकी सिंह, 1962 में कांग्रेस के किशोरी लाल अग्रवाल, 1967 में जनसंघ के आरएस कपूर, 1970 से 1985 के बीच चार दफे कांग्रेस के स्वरूप कुमार बख्शी विधायक रहे.
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट से 1989 में जनता दल के रविदास मल्होत्रा, 1991 और 1993 में बीजेपी के टिकट पर भगवती प्रसाद शुक्ला विधानसभा पहुंचे. 1996 में बीजेपी के ही विद्या सागर गुप्ता इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए. विद्या सागर गुप्ता 2002 और 2007 में भी इस विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए. 2012 के विधानसभा चुनाव में कलराज मिश्रा इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे.
2017 का जनादेश
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आशुतोष टंडन को चुनाव मैदान में उतारा. बीजेपी के टिकट पर उतरे आशुतोष टंडन ने कांग्रेस के अनुराग सिंह को मात दी थी. इस विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर सरोज कुमार शुक्ला और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के टिकट पर रोहित अग्रवाल मैदान में थे.
सामाजिक ताना-बाना
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति वर्ग के मतदाता रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब चार लाख मतदाता हैं. इस इलाके में व्यावसायियों की तादाद अधिक है. व्यापार मंडल को शुरू से ही बीजेपी का समर्थक माना जाता है. व्यापारियों के वोट बड़ी संख्या में होने के कारण इस विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक आशुतोष टंडन का दावा है कि उनके कार्यकाल में इलाके का विकास हुआ है. विधायक आशुतोष टंडन अपने कार्यकाल के दौरान इलाके में हुए विकास कार्य गिनाते हैं तो वहीं विरोधी दलों के नेता इलाके की समस्याएं गिना रहे हैं.