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Malhani Assembly Seat: बीजेपी उम्मीदवार को जमानत बचाने के लिए करनी पड़ती है मशक्कत, धनंजय सिंह की है यहां मजबूत पकड़

इस सीट पर भाजपा और बसपा का बहुतायत मतदाता निर्दलीय प्रत्याशी बाहुबली धनंजय सिंह के समर्थन में दिखाई देता है जिसके चलते भाजपा और बसपा को जमानत बचाने को लाले पड़ जाते हैं. 

बाहुबली नेता धनंजय सिंह. (फाइल फोटो) बाहुबली नेता धनंजय सिंह. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जौनपुर,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST
  • मल्हनी सीट पर है सपा का कब्जा
  • धनंजय सिंह का भी है यहां रुतबा
  • यादव बाहुल्य है मल्हनी विधानसभा

Malhani Assembly Seat: उत्तर प्रदेश की 403 में से 402 सीटों पर भले ही समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रहती है, लेकिन जौनपुर जिले की बहुचर्चित मल्हनी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इस सीट पर भाजपा और बसपा का बहुतायत मतदाता निर्दलीय प्रत्याशी बाहुबली धनंजय सिंह के समर्थन में दिखाई देता है जिसके चलते भाजपा और बसपा को जमानत बचाने को लाले पड़ जाते हैं. 

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नए परिसीमन में मल्हनी 367 (पूर्व में रारी) विधानसभा सीट बनने के बाद 2012 से लेकर अब तक लगातार समाजवादी पार्टी का कब्जा है. मुलायम सिंह यादव के खासमखास और मिनी मुख्यमंत्री के नाम से मशहूर सात बार विधायक दो बार सांसद पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव इस सीट से दो बार विधायक रहे हैं. जून 2020 में उनके निधन के बाद नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र लकी यादव चुनाव जीत गए. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दल प्रत्याशी धनंजय सिंह को लगभग 4000 मतों से पराजित किया भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों की इस सीट पर जमानत जब्त हो गई.

सीट का इतिहास

1974 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबी राज बहादुर यादव भारतीय क्रांति दल से चुनाव जीते. उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता सूर्यनाथ उपाध्याय को पराजित किया. 1977 में राज बहादुर यादव जनता पार्टी से जीत हासिल की. 1980 की कांग्रेस लहर में कांग्रेस प्रत्याशी तेज बहादुर सिंह ने राज बहादुर यादव के पुत्र अर्जुन सिंह यादव को करारी शिकस्त दी. 

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राजीव गांधी के करीबी की सीट रही

इसके पश्चात 1985 के विधानसभा चुनाव में दमकिपा (दलित मजदूर किसान पार्टी ) से अर्जुन सिंह यादव ने इस सीट पर विजय श्री का पताका फहराई. 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कांग्रेस प्रत्याशी अरुण कुमार सिंह मुन्ना ने जीत दर्ज करते हुए इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाला. 1991 की राम लहर में जनता दल के सुल्तान रजा ने जीत दर्ज की 1993 के सपा बसपा गठबंधन में लालजी यादव जोगी यहां से विधायक बने 1996 में पूर्व मंत्री श्री राम यादव ने बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा और सपा के टिकट पर दोबारा विधानसभा पहुंचे.

धनंजय की आंधी में उड़े सपा, बसपा और बीजेपी

इसके बाद 2002 में इस सीट पर निर्दल प्रत्याशी के रूप में बाहुबली धनंजय सिंह चुनाव मैदान में उतरे और भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस जैसे दल को धूल चटाते हुए जीत हासिल की. 2007 की बसपा लहर में धनंजय सिंह भाजपा- जनता दल (यूनाइटेड) गठबंधन से चुनाव लड़ते हुए दोबारा विजय श्री की माला पहनी. 2008 में बसपा में शामिल हुए और 2009 में बसपा से सांसद चुने गए. सांसद चुने जाने के बाद धनंजय सिंह ने रारी सीट पर अपने पिता राजदेव सिंह को बसपा के टिकट पर मैदान में उतारा और उन्हें जिताकर विधानसभा में भेजा. राजदेव सिंह रारी विधानसभा के अंतिम विधायक रहे.

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यादव बाहुल्य हुई सीट

नए परिसीमन में रारी विधानसभा का नाम मल्हनी (367) विधानसभा हो गया. विधानसभा के भौगोलिक मानचित्र में काफी बदलाव आया और यह सीट यादव बाहुल्य हो गई. नए परिसीमन के बाद मुलायम सिंह यादव के खासम खास पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव को सपा ने मैदान में उतारा.  इस चुनाव में बसपा ने सांसद धनंजय सिंह के पिता व सिटिंग एम एल ए राजदेव सिंह को टिकट न देकर पाणिनी सिंह को बसपा से प्रत्याशी बनाया. 

मोदी लहर में भी चौथे नंबर पर रहे BJP उम्मीदवार

पिता का टिकट कटने से नाराज सांसद धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी डॉ जागृति सिंह को निर्दल प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा. चुनाव में डॉ जागृति सिंह दूसरे स्थान पर रहीं और बसपा के पाणिनी सिंह को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. पारस नाथ यादव मल्हनी विधानसभा सीट से पहले विधायक चुने गए. 2012 में अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में पारसनाथ यादव कैबिनेट मंत्री बनाए गए. 2017 की मोदी लहर में भी पारसनाथ यादव ने मल्हनी विधानसभा सीट पर अपना जलवा बरकरार रखा और इस बार भी निषाद पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे निर्दल प्रत्याशी धनंजय सिंह को पराजित किया. 2017 के मोदी लहर में भी भाजपा के सतीश सिंह को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा. तीसरे पर बसपा के विवेक यादव रहे.

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4000 के मामूली अंतर से हारे धनंजय

12 जून 2020 को पारसनाथ यादव के निधन के पश्चात नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव में पारसनाथ यादव के पुत्र लकी यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया. यादव बाहुल्य इस सीट पर सपा प्रत्याशी लकी यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी धनंजय सिंह को 4000 के मामूली अंतर से हराया. उपचुनाव में बसपा और भाजपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. अभी हाल ही में संपन्न हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी श्रीकला सिंह को जीत दिलाकर अपनी राजनीतिक स्थिति काफी मजबूत कर ली है. मौजूद समय में धनंजय सिंह की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है. 

- राजकुमार सिंह की रिपोर्ट
 

 

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