
'अयोध्या हुई हमारी, अब मथुरा की बारी...', यूपी की सियासी फिजाओं में अब ये जो गूंज सुनाई देने लगी है वो भगवान श्री कृष्ण की धरती मथुरा को लेकर है. यूं तो मथुरा कृष्ण की जन्मस्थली, साथ ही ये भी कहा जाता है कि मथुरा तीन लोक से न्यारी है और यह सप्त पुरियों में भी आती है. वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, गोकुल भी इसी मथुरा में आते हैं.
देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए ये बेहद अहम जगह है. यहां की होली भी पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र है. बांके बिहारी मंदिर भी अपनी एक अलग पहचान रखता है. वैसे तो मथुरा की पहचान मंदिरों की नगरी से होती है पर यहां एक शाही ईदगाह मस्जिद भी है जो आजकल बहुत सुर्खियों में है.
मथुरा में ब्रज भाषा बोली जाती है और यहां की मिठाइयां जैसे पेड़ा, रबड़ी, खुरचन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं और यहां का दूध दही भी अपनी अलग पहचान रखता है.
अगर बात करें भौगोलिक स्थिति की तो यह आगरा और दिल्ली के बीच में बसा हुआ है. मथुरा दिल्ली से मात्र डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है. यहां भारत सरकार द्वारा एक रिफाइनरी भी स्थापित की गई है. मथुरा में कपड़ा उद्योग भी है, यहां भगवान की पोशाक मुकुट का विशेष काम होता है.
मथुरा जिले की राजनीति
मथुरा जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं- मथुरा, छाता,गोवर्धन, मांट और बलदेव. 2017 के चुनाव में इनमें से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक जीते थे जबकि एक सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने कब्जा जमाया था.
मथुरा विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस के प्रदीप माथुर चार बार विधायक बने, पर 2017 के चुनाव में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से प्रदीप माथुर को हरा दिया था. लक्ष्मी नारायण चौधरी, पंडित श्याम सुंदर शर्मा, प्रदीप माथुर और ठाकुर तेजपाल सिंह ऐसे नाम हैं जो जिले की राजनीति में चमकते रहे.
मथुरा जिले का 2017 चुनाव का रिजल्ट
छाता सीट- 2017 में ये सीट बीजेपी नेता लक्ष्मी नारायण चौधरी ने जीती थी. उन्होंने ठाकुर तेजपाल सिंह के बेटे और सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी लवी ठाकुर को हराया था.
मांट सीट-ये सीट बहुजन समाज पार्टी के श्याम सुंदर शर्मा ने जीती थी. श्याम सुंदर ने आरएलडी के योगेश नौहवार को हराया था. पंडित श्याम सुंदर शर्मा यहां 8 बार लगातार विधायक रहे.
गोवर्धन सीट-2017 में ये सीट बीजेपी के कारिंदा सिंह ने जीती थी. उन्होंने बसपा के राजकुमार रावत को हराया था.
मथुरा सीट- बीजेपी के श्रीकांत शर्मा ने ये जीती थी, जिसके बाद उन्हें योगी कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया. शर्मा ने कांग्रेस के प्रदीप माथुर को एक लाख के बड़े अंतर से हराया था.
बलदेव सीट- ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2017 में ये सीट बीजेपी के पूरन प्रकाश ने जीती थी. उन्होंने आरएलडी के निरंजन सिंह धनगर को हराया था.
अगर बात करें मथुरा की सांसदीय सीट की 2019 में यहां से भारतीय जनता पार्टी की हेमा मालिनी दूसरी बार सांसद बनी थीं. एक दौर वो भी था जब स्वगर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में मथुरा से चुनाव हार गए थे, सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी.
अगर बात करें जिले की राजनीति की तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का ही वर्चस्व देखने को मिला है. समाजवादी पार्टी यहां कभी अपनी छाप नहीं छोड़ पाई है. यहां तक कि 2012 के विधानसभा चुनाव में जब मांट सीट पर राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी ने 7 बार के विधायक पंडित श्याम सुंदर शर्मा को हराया तो उसके बाद हुए उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी अपनी सरकार होते हुए भी यहां से नहीं जीत सकी.
मथुरा जिले में 5 तहसील हैं- सदर तहसील, मांट तहसील, छाता तहसील, महावन तहसील और गोवर्धन तहसील. जिले में 880 गांव हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, मथुरा जिले की जनसंख्या 25 लाख से ज्यादा है.
मथुरा में दो मेडिकल कॉलेज केडी मेडिकल कॉलेज वाह केएम मेडिकल कॉलेज है जनपद में एक वेटरनरी विश्वविद्यालय भी है फराह क्षेत्र में एक बकरी अनुसंधान केंद्र भी है वही जीएलए यूनिवर्सिटी संस्कृति यूनिवर्सिटी मथुरा जनपद में ही आती है कृषि में मथुरा में आलू ,धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जैसी प्रमुख खेती होती हैं ...
अगर बात करें यहां के प्रमुख मुद्दों की तो उसमें सबसे पहले यहां पर यमुना का प्रदूषण है. यमुना को लेकर यहां से चुनाव लड़ने वाले सभी पार्टी नेताओं ने हमेशा वादे किए लेकिन यमुना पर आज तक कोई काम नहीं हुआ. दूसरा मुद्दा यहां पर बंदरों का है जिनका खौफ हर तरफ है. आवारा पशुओं से भी जनता परेशान रहती है.
अखिलेश सरकार के दौरान हुआ यहां जवाहर बाग कांड सियासी गलियारों में बड़ी चर्चा का केंद्र रहा. श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद का मुकदमा भी मथुरा के न्यायालय में चल रहा है.