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आज लखनऊ में अमित शाह की रैली, क्या निषाद समाज को मिलेगा आरक्षण का तोहफा?

लखनऊ में रमाबाई अंबेडकर मैदान में शुक्रवार को हो रही बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली को डा. संजय निषाद के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि निषाद समाज के आरक्षण की लंबे समय की जा रही मांग पर अमित शाह क्या कोई ठोक भरोसा या आश्वासन देंगे? 

अमित शाह और संजय निषाद अमित शाह और संजय निषाद
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ ,
  • 17 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST
  • बीजेपी और निषाद पार्टी की लखनऊ में रैली
  • निषाद समाज के आरक्षण की मांग हो रही है
  • अमित शाह के सामने उठेगी आरक्षण की मांग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी जंग जीतने के लिए बीजेपी जातीय समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है. बीजेपी सूबे में अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी रैलियां कर माहौल बनाने की कवायद में है. लखनऊ में रमाबाई अंबेडकर मैदान में शुक्रवार को हो रही बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली को डॉ. संजय निषाद के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि निषाद समाज के आरक्षण की लंबे समय की जा रही मांग पर अमित शाह क्या कोई ठोक भरोसा या आश्वासन देंगे? 

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निषाद पार्टी उठा रही आरक्षण की मांग

बीजेपी के साथ मिलकर यूपी चुनाव में किस्मत आजमा रहे निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद लगातार निषाद समाज को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की मांग कर रहे हैं. हाल ही में संजय निषाद ने कहा था कि निषाद समुदाय तब तक वोट नहीं देगा जब तक उसे आरक्षण नहीं दिया जाता है. अब ये बीजेपी सरकार का कर्तव्य बनता है कि वो अपना वादा पूरा करे. आरक्षण की मांग को लेकर नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रदेश में आंदोलन भी किया था.

उत्तर प्रदेश में निषाद समाज 5 फीसदी के करीब है, जो मल्लाह, मांझी, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप के नाम से जानी जाती है. निषाद वोटों के सियासी समीकरण और राजनीतिक ताकत को देखते हुए बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है. डा. संजय निषाद ने निषाद समाज के आरक्षण की मांग को बीजेपी के पाले में डाल रखा है. ऐसे में बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली में निषाद समाज के आरक्षण की मांग अमित शाह की मौजूदगी में उठाई जा सकती है. 

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2016 के बाद अब फिर निषाद रैली

निषाद रैली साल 2016 में भी हुई थी और 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निषाद समाज एक बार फिर से लखनऊ में अपनी ताकत दिखाने के लिए एकजुट हो रहे हैं. रमाबाई अंबेडकर मैदान में होने वाली बीजेपी-निषाद पार्टी की सभा में लगातार कुछ बड़ी घोषणाओं की तरफ इशारा किया जा रहा है. निषाद पार्टी के नेताओं की मानें तो इस रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह निषादों का आरक्षण से संबंधित सालों पुराना मुद्दे को अमलीजामा पहना सकते हैं.

संजय निषाद को आरक्षण की उम्मीद

निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने आजतक से बातचीत में कहा कि निषाद समाज के आरक्षण की मांग लंबे समय से हैं. निषाद समुदाय बीजेपी के साथ चट्टान की तरह खड़ा है और आज उसे सौगात की उम्मीद है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी पहले से निषाद समाज के आरक्षण की वकालत करती रही है. ऐसे में आज जब वह जज की कुर्सी पर बैठे हैं तो हमारा समुदाय उम्मीद करता है कि यह सौगात हमें मिलेगी.

संजय निषाद ने कहा कि ऐतिहासिक रैली होने जा रही है. 2016 में निषाद पार्टी में जैसी रैली की उससे बड़ी रैली होगी. यह रैली निषाद पार्टी की है, लेकिन मंच पर बीजेपी के तो बड़े नाम जिनके हाथ में फैसले लेने की ताकत है अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे तो हम सौगात की उम्मीद कर रहे हैं.

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निषाद समुदाय ने पहले कांग्रेस को फिर बसपा को सपा को सबको झोली भर भर के अपना वोट दिया था लेकिन किसी ने हमारी मांग नहीं मानी और हमें पिछड़े वर्ग तक सीमित रखा जबकि हम पहले से दलित वर्ग में है हमारी कई जातियां दलितों में है लेकिन जानबूझकर अटका कर रखा गया 2022 में बीजेपी को निषाद समुदाय के बोरे भर वोट देगा और बड़ी जीत के साथ सरकार बनाएगा. 

वहीं, वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आग्रह किया है कि उत्तरप्रदेश में निषाद आरक्षण लागू किया जाए. निषाद आरक्षण की मांग को यूपी चुनाव में मुकेश सहनी अपना प्रमुख एजेंडा बनाए हुए हैं. 

निषाद समाज का आरक्षण का मुद्दा 

बता दें कि निषाद समाज यूपी और बिहार में ओबीसी की श्रेणी में आते हैं जबकि दिल्ली और दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति में शामिल हैं. ऐसे में लंबे समय से निषाद समाज को एससी श्रेणी में शामिल कर आरक्षण देने की मांग उठ रही है. दिसंबर 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-13 में संशोधन कर केवट, बिंद, मल्लाह, नोनिया, मांझी, गौंड, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी की श्रेणी से एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. 

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हालांकि कोर्ट में चुनौती देने से निषाद समाज को आरक्षण का मुद्दा असल मायनों में हल ही नहीं हो पाया. अब इस मुद्दे को स्थाई तौर पर हल करने के लिए निषाद पार्टी ने बीजेपी से हाथ मिलकर सरकार बनाओ अधिकार पाओ का नारा दिया. इसी कड़ी में लखनऊ में हो रही रैली में निषादों को आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठाने की रणनीति पार्टी ने बनाई है. ऐसे में देखना है कि निषाद समाज को आरक्षण पर अमित शाह क्या कदम उठाते हैं?


 

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