
उत्तर प्रदेश में निषाद वोट बैंक की राजनीति कर रही निषाद पार्टी को अपने पारंपरिक वोट बैंक से उम्मीदवार ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. निषाद पार्टी की अब तक जारी की गई 5 उम्मीदवारों की लिस्ट में एक भी प्रत्याशी निषाद या उससे जुड़े समाज का नहीं है.
निषाद केवट बिंद मल्लाह कश्यप मांझी गोंड के वोट बैंक की राजनीति करने वाली निषाद पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में है. लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर निषाद पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी. अब तक पांच उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक घोषित हुए उम्मीदवार में एक भी उम्मीदवार उस पारंपरिक वोट बैंक का नहीं है जिनके हितों की रक्षा पर निषाद पार्टी बात करती है.
निषाद पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की रविवार को पहली आधिकारिक सूची जारी की. इस सूची मे कालपी से छोटे सिंह, कटेहरी से अवधेश द्विवेदी, तमकुही राज से डॉ. असीम कुमार और अतरौलिया से प्रशांत सिंह को टिकट दिया गया. इससे पहले गाजीपुर की सैदपुर सीट से सपा छोड़कर बीजेपी में आए सुभाष पासी को निषाद पार्टी के कोटे से टिकट देने का ऐलान किया जा चुका है.
बता दें कि निषाद पार्टी की जारी की गई पहली सूची में अतरौलिया से प्रत्याशी प्रशांत सिंह बड़े बिल्डर हैं. सपा सरकार में कई बड़े प्रोजेक्ट प्रशांत सिंह की कंपनी ने पूरे किए. अब वह बीजेपी के गठबंधन वाली निषाद पार्टी से उम्मीदवार बनाए गए हैं. कालपी उम्मीदवार छोटे सिंह कई बार के विधायक हैं और समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. तमकुही राज से डॉ अश्विनी कुमार राय उम्मीदवार हैं. वे इलाके में पेशे से डॉक्टर हैं. वहीं कटेरी से निषाद पार्टी ने 2017 में बीजेपी से चुनाव लड़ चुके अवधेश द्विवेदी को टिकट दिया है. बीएसपी ने भी इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी प्रतीक पांडे को उम्मीदवार बनाया है.
ठाकुर ब्राह्मण और राय जाति के उम्मीदवारों को टिकट देने पर एक भी निषाद गांव से जुड़ी जातियों के उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के पीछे जब निषाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र मणि निषाद से वजह पूछी गई तो रविंद्र मणि निषाद कहते हैं कि जाति के नेताओं को टिकट देने से ज्यादा जरूरी समाज की तरक्की और सुरक्षा की गारंटी है. जब चुनाव जीतकर हमारी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा तो जाहिर है हमारे हितों की बढ़ोतरी होगी. हमने 6 महीने पहले निषाद व अन्य समाज के लोगों से उम्मीदवारी के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन ऐसे तमाम लोग दूसरी पार्टियों के संपर्क में थे. ऐसे में जो लोग लंबे समय से समाज के हित के लिए काम कर रहे हैं वो भले ही किसी भी जाति के हों लेकिन उनको इसलिए नकारा नहीं जा सकता कि वह निषाद बिंद, गोंड, कश्यप, मल्लाह नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ निषाद समाज से आने वाले तमाम सक्रिय लोग निषाद पार्टी को अभी बच्चा मानते हैं. उनको लगता है यह जिताऊ पार्टी नहीं है इसलिए वह अन्य पार्टियों में कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में समाज की सेवा करने वाले अन्य जातियों के लोगों की उपेक्षा करना गलत होगा. सरकार में जब पार्टी का प्रतिनिधित्व होगा तो ज्यादा बेहतर है.