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उत्तर प्रदेश विधानसभा में नोएडा विधानसभा सीट की अपनी खासियत है और प्रदेश के हाईप्रोफाइल सीटों में शुमार किया जाता है. अभी यहां पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. उत्तर प्रदेश का राजस्व जनरेट करने के साथ प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला नोएडा शहर जिसे आज देश ही नहीं दुनिया के तेज तरक्कीमंद शहरों में शुमार किया जाता है.
देश के बड़े आईटी हब, मीडिया हब और रियल एस्टेट हब के रूप में यह शहर अपनी पहचान कायम कर चुका है. लेकिन, नोएडा का ताल्लुक भारत के सबसे विवादास्पद वक्त आपातकाल से है. देश में आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक रहा, इसी बीच 17 अप्रैल 1976 की तारीख, जोकि नोएडा को तामीर करने वाली तारीख है.
नोएडा की नींव आपातकाल में ही डाली गई. जिसके पीछे आपातकाल के सबसे सशक्त नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी थे. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे. दिल्ली के आदेश पर ही तत्काल उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम-1976 यूपी कैबिनेट ने बतौर आर्डिनेंस पास किया. जिसके साथ ही नोएडा शक्ल लेने लगा. इस विधेयक को आपातकाल हटने के बाद विधानसभा से पास करवाया गया था.
राजनीति पृष्ठभूमि
नोएडा विधानसभा का गठन 2012 में हुआ था तब से अब तक यहां बीजेपी का ही दबदबा रहा है. बीजेपी अब तक यहां से जीतती रही है. बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में पंकज सिंह ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी.
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राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गौतमबुद्ध नगर के नोएडा विधानसभा सीट राजनीति के लिहाज से रसूख वाली सीट कही जाती है. इस पर बीते तीन चुनावों से बीजेपी ही अपना कब्जा जमाए बैठी है. फिलहाल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह विधायक हैं.
निर्वाचित हुए पंकज सिंह को इस सीट पर कुल 1 लाख 62 हजार 417 वोट इनके खाते में पड़े थे. इन चुनावों में सपा से सुनील चौधरी थे जिन्हें 58 हजार 401 वोट मिले.
वहीं 2012 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी के डॉक्टर महेश शर्मा चुनाव जीते थे. महेश शर्मा इस सीट पर दो साल तक विधायक रहे जबकि 2014 लोकसभा चुनाव में महेश शर्मा को बीजेपी ने गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट का दावेदार बना दिया. इसके बाद चुनाव जीते तो महेश को नोएडा विधानसभा सीट को छोड़ना पड़ा.
2014 के उपचुनाव में बीजेपी की विमला वाथम ने 1 लाख से ज्यादा वोटों के साथ जीत हांसिल की. इन चुनावों में एसपी के नेता काजल शर्मा दूसरे जबकि कांग्रेस से राजेन्द्र अवाना तीसरे स्थान पर रहे. आपको बता दें कि 2017 में जनता ने राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को वोट संख्या में इजाफा किया.
सामाजिक तानाबाना
अगर हम बात राजनीति के हिसाब से जनपद गौतमबुद्ध नगर के नोएडा विधानसभा के सामाजिक तानाबाना की करें तो यहां करीब 80 प्रतिशत लोगों के दिमाग मे बीजेपी का ख्याल ही रहा है जिसके तहत बीते 2012 से बीजेपी जीतती आ रही है. बीजेपी के कैंडिडेट्स ने यहां अपने क्षेत्र में जनता की नजर में अच्छा काम किया है. अगर बात क्राइम की करें यहां 2017 के बाद क्राइम रेट में भी कमी आई है. वही समाज में लोगों का कहना है कि बीजेपी सरकार ने यहां सिर्फ फीता काटने का काम किया है. उनका अपना कोई काम दिखाई नही देता.
2017 का जनादेश
2017 में जनादेश का मूड बीजेपी की तरफ एक अलग ही अंदाज में था. एक तरफ तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को एक अलग ही नजर से देखते हुए लोगों ने उनको वोट किया और दूसरी तरफ एक युवा एमएलए दावेदार होने के चलते जनता ने उन्हें 2017 में भारी बहुमत से जीत दिलाई.
दरअसल निर्वाचित पंकज सिंह को इस सीट पर कुल 1 लाख 62 हजार 417 वोट इनके खाते में पड़े थे. इन चुनावों में सपा से सुनील चौधरी थे जिन्हें 58 हजार 401 वोट मिले.
रिपोर्ट कार्ड
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में नोएडा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पंकज सिंह ने भारी मतों से नोएडा विधानसभा में जीत दर्ज कराई थी. जमीनी स्तर विकास कार्यों की बात की जाए तो पंकज सिंह का कहना है कि 2017 में जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आयी है तब से लेकर अब तक नोएडा शहर में ऐतिहासिक विकास कार्य हुए हैं.
उनका कहना है कि बीजेपी सरकार आने के बाद से नोएडा शहर में बहुत सारे कार्य हुए हैं, और बहुत से ऐसे भी कार्य हुए हैं जोकि काफी लंबे समय से लंबित पड़े थे और ऐसी काफी सारी परियोजनाएं जोकि लंबित पड़ी थी ऐसी काफी सारी परियोजनाओं का निराकरण बीजेपी की सरकार ने किया है.