
कासगंज जिले की एक विधानसभा सीट है पटियाली. कासगंज जिले की पटियाली विधानसभा सीट (Patiyali Assembly Seat) क्षेत्रफल के लिहाज से दूसरी सबसे बड़ी सीट है. पटियाली विधानसभा सीट अनारक्षित सीट है. पटियाली विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण इलाके आते हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
पटियाली विधानसभा सीट साल 1969 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. पटियाली विधानसभा क्षेत्र की जनता ने लगभग हर दल के उम्मीदवारों को अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए विधानसभा में भेजा. पिछले दो चुनाव की बात करें तो साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार विजयी रहे थे.
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी नजीबा खान जीनत ने 62493 वोट प्राप्त कर विजय पताका फहराया था. तब सपा की नजीबा खान जीनत के सामने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सूरज सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा था. नजीबा खान जीनत ने सूरज सिंह शाक्य को 27775 वोट के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी.
2017 का जनादेश
पटियाली विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ममतेश शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा. ममतेश शाक्य के सामने समाजवादी पार्टी ने किरण यादव को चुनावी रणभूमि में उतारा. बीजेपी के ममतेश शाक्य को 72414 वोट मिले. ममतेश को सपा की किरण यादव ने कड़ी टक्कर दी. बीजेपी के ममतेश शाक्य 3771 वोट के अंतर से चुनाव जीत सके.
सामाजिक ताना-बाना
पटियाली विधानसभा सीट शाक्य बाहुल्य सीट मानी जाती है. इस विधानसभा क्षेत्र में शाक्य वोटरों की बहुलता है. यहां मुस्लिम और जाटव मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं. पटियाली विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर, ब्राह्मण, यादव, धीमर, बघेल, तेली, लोधी राजपूत मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी विधायक ममतेश शाक्य पटियाली विधानसभा क्षेत्र में विकास के दावे करते हैं. ममतेश शाक्य का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में विकास की गंगा बहाई है. विपक्षी ममतेश शाक्य के दावे को गलत बता रहे हैं. कासगंज जिले के पटियाली विधानसभा क्षेत्र में कानून-व्यवस्था, बेहतर शिक्षा का अभाव, चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव प्रमुख मुद्दे हैं.