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पूर्वांचल, बुंदेलखंड के बाद अब पश्चिमी यूपी को साधने उतरे PM मोदी, जेवर एयरपोर्ट के साथ आज ये सौगात भी देंगे

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण और बुंदेलखंड को कई सौगातें देने के बाद अब पीएम मोदी पश्चिमी यूपी को साधने के लिए उतर रहे हैं. आज पीएम जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कुमार अभिषेक/कुबूल अहमद
  • लखनऊ/नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST
  • पीएम मोदी पश्चिमी यूपी को साधने उतरेंगे
  • मोदी जेवर एयरपोर्ट की सौगात देंगे
  • पश्चिमी यूपी की 80 सीट पर बीजेपी का कब्जा है

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं ताकि सूबे में 2014 से लहलहा रही कमल की फसल को 2022 के लिए पर्याप्त खाद-पानी मिल सके. पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण और बुंदेलखंड को विभिन्न उपहार देने के बाद अब पीएम मोदी पश्चिमी यूपी को साधने के लिए उतर रहे हैं. 

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जेयर एयरपोर्ट की नींव रखेंगे पीएम मोदी

पहले कृषि कानूनों की वापसी और अब प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलांयास करने के साथ-साथ एक बड़ी रैली को संबोधित कर पश्चिम यूपी में बीजेपी की जीत को सुनिश्चित करेंगे. 34 हजार करोड़ की लागत से बनने वाला यह एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के औद्योगिक, आर्थिक और पर्यटन के विकास के लिए मील का पत्थर बनेगा. यह एयरपोर्ट दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद के आस-पास के इलाकों के लिए बड़ी सौगात साबित होगा.  

बीजेपी चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी

उत्तर प्रदेश के सियासी चौसर पर बीजेपी अपनी सत्ता बचाए रखने लिए विपक्ष के खिलाफ अपने तरकश में हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, किसान और विकास के जरिए सियासी एजेंडा सेट करने में जुट गई है. कृषि कानूनों की वापसी के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी को पश्चिमी यूपी में चुनावी समर में उतरने में मदद मिलेगी तो जेवर एयरपोर्ट और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी सहित कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात सत्ता में वापसी राह को आसान बना सकती है. 

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सपा-आरएलडी गठबंधन की काट में बीजेपी

किसान आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी के इलाके बीजेपी के लिए चुनौती माने जा रहे थे, जिसकी काट के लिए पीएम  मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर दी. लेकिन आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन कर लिया. दोनों मिलकर बीजेपी की चुनावी राह को रोकना चाहते हैं. सीएम योगी के बाद अब पीएम मोदी ने पश्चिमी यूपी के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद शुरू की है. 

पश्चिमी यूपी में का सियासी समीकरण

15 साल बाद बीजेपी ने 2017 में यूपी की सत्ता में वापसी की थी, उसमें पश्चिमी यूपी की भूमिका अहम रही है. उत्तर प्रदेश की कुल 403 सीटों में से 136 सीटें पश्चिम यूपी में आती है. इस तरह से सूबे की एक तिहाई सीटें इसी इलाके में हैं और बीजेपी इनमें से 80 फीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही थी. 

2017 विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की कुल 136 सीटों में से 109 सीटें बीजेपी ने जीती थीं जबकि 20 सीटें सपा के खाते में आई थीं. कांग्रेस दो सीटें और बसपा तीने सीटें जीती थी. वहीं, एक सीट आरएलडी ने जीती थी, जिसने बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया. यह सिलसिला 2019 लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा, लेकिन किसान आंदोलन के बाद जिस तरह से जाट-मुस्लिम एक साथ फिर से आए हैं और आरएलडी-सपा का गठबंधन. बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन गया है. 

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मोदी ने संभाली पश्चिम यूपी की कमान

पश्चिमी यूपी के सियासी मिजाज को देखते हुए पीएम मोदी ने खुद ही 2022 के चुनाव की कमान संभाल ली है. इस कड़ी में उन्होंने किसानों की नाराजगी को पहले दूर करने के लिए कृषि कानून की वापसी कराकर मास्टर स्ट्रोक चला तो अब पश्चिमी यूपी में विकास की सौगात से नवाजने उतर रहे हैं. इस तरह भाजपा की उम्मीदें पश्चिम यूपी में एक बार फिर बढ़ गई हैं. 

पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट की बेंच की सौगात!

पश्चिमी यूपी को अब केंद्र सरकार की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच की सौगात देने की योजना चल रही है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पिछले दिनों आगरा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि विधि मंत्रालय के पास न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट मौजूद है और केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है. रिजिजू ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आगरा खंडपीठ की स्थापना को जल्द मंजूरी मिल जाएगी. 

केंद्र सरकार की ओर से हाई कोर्ट की वेस्ट यूपी में बेंच को मंजूरी मिलती है तो इससे बीजेपी को पूरे इलाके को साधने में मदद मिलेगी. दशकों से पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की अलग बेंच की मांग उठती रही है. खासतौर पर चुनावों के दौर में यह मांग तेज होती रही है. ऐसे में हाई कोर्ट बेंच की मांग पूरा होना एक पश्चिमी यूपी में बीजेपी के लिए सियासी राह आसान कर सकता है. 

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