
प्रयागराज उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा विधानसभा वाला शहर है. 16 अक्टूबर 2018 को इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था. प्रयागराज में 12 विधानसभाएं हैं, जिसमें 9 पर भारतीय जनता पार्टी, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. लेकिन दोनों बसपा के विधायकों ने अब सपा का दामन थाम साइकिल की सवारी कर ली है. यहां इलाहाबाद और फूलपुर नाम से दो संसदीय क्षेत्र हैं. इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की सांसद रीता जोशी और फूलपुर की सांसद केशरी देवी पटेल हैं.
इन दोनों संसदीय क्षेत्र में फूलपुर वीआईपी सीट भी मानी जाती है, क्योंकि आज़ादी के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1952 में इस क्षेत्र को चुना था और लगातार तीन बार जीत हासिल की थीं. 1952 ,1957 और 1962 तक जीतने के कारण ये वीआईपी सीट बन गई. वहीं, 1962 में सपा के राम मनोहर लोहिया यहां से चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए. नेहरू जी की मृत्यु के बाद ये सीट उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने संभालते हुए 1967 के चुनाव में जनेश्वर मिश्र को हराया, लेकिन 1969 में इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में जनेश्वर मिश्र जीत गए.
वीपी सिंह ने भी हासिल की थी फतह
1971 में कांग्रेस के टिकट पर वीपी सिंह ने जीत हासिल की. वहीं, 1984 में हुए चुनाव कांग्रेस के रामपूजन पटेल ने इस सीट को जीतकर एक बार फिर इस सीट को कांग्रेस के हवाले किया. लेकिन कांग्रेस से जीतने के बाद रामपूजन पटेल जनता दल में शामिल हो गए. 1989 और 1991 का चुनाव रामपूजन पटेल ने जनता दल के टिकट पर ही जीता. पंडित नेहरू के बाद इस सीट पर हैट्रिक लगाने का रिकॉर्ड रामपूजन पटेल ने ही बनाया.
अतीक अहमद यहां से सांसद चुने गए
1996 से 2004 के बीच हुए चार लोकसभा चुनावों में यहां से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीतते रहे. 2004 में बाहुबली की छवि वाले अतीक अहमद यहां से सांसद चुने गए, लेकिन आख़िरकार 2014 में यहां बीजेपी के टिकट से केशव मौर्य को जीत हासिल हुई. मौर्य ने बीएसपी के मौजूदा सांसद रहे कपिलमुनि करवरिया को 5 लाख से भी ज़्यादा वोटों से हरा डाला. बीजेपी के लिए ये जीत इतनी अहम थी कि पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को इनाम देते हुए प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. अब प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद केशव मौर्य को यह सीट छोड़नी पड़ी, अब यहां पर केशरी देवी पटेल संसद हैं.
प्रमुख मुद्दे
इतने बड़े-बड़े नेताओं की कर्म स्थली होने के बावज़ूद इस क्षेत्र की खास बात ये रही कि फूलपुर में विकास के नाम पर सिर्फ़ इफ़को की एक यूरिया फ़ैक्ट्री भर है. यहां दोनों सीटों पर नौजवान रोजगार के लिये इधर-उधर भटक रहे हैं. इलाहाबाद सीट पर ज्यादातर फैक्टरियां बंद पड़ी हैं, लेकिन 2019 के कुम्भ से पहले शहर की सूरत बदली सड़कें चौड़ी हुई हैं.
12 विधानसभाएं
1--फूलपुर विधानसभा ---बीजेपी --- प्रवीण पटेल
2--कोरांव विधानसभा --बीजेपी -- राजमणि कोल
3--पच्छिमी विधानसभा --बीजेपी -- सिदार्थनाथ सिंह
4-- बारा विधानसभा --बीजेपी ---डॉ अजय कुमार
5---मेजा विधान सभा ---बीजेपी ---नीलम करवरिया-
6---दक्षणी विधान सभा --बीजेपीे ---नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी
7--उत्तरी विधान सभा --बीजेपी ---हर्ष वाजपेयी
8--फाफामऊ विधानसभा --बीजेपी -- विक्रमा जीत मौर्या
9--सोरांव विधानसभा से --अपनादल --- डॉ जमुना प्रशाद सरोज
10--करछना विधानसभा सपा --- उज्जवल रमन सिंह
11--हंडिया विधानसभा से--बसपा --- हाकिम लाल बिन्द अब सपा में हैं
12---प्रताप पुर विधानसभा --बसपा --- मुजतबा सिद्दकी--अब सपा में हैं