
लोकसभा चुनाव की तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने गांधी परिवार के मजबूत गढ़ रायबरेली में कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को कांग्रेस से तोड़कर अपने साथ मिलाया था तो अब 2022 के चुनाव से पहले रायबरेली की सियासत में सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाली कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह को शामिल कराया, जो बाहुबली विधायक रहे अखिलेश सिंह की बेटी हैं. इसके बाद अदिति सिंह की बीजेपी में जिस फीके तरीके से एंट्री हुई है, उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं.
बता दें कि रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस के टिकट पर 90 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर विधायक बनीं अदिति सिंह ने बुधवार को जब बीजेपी दफ्तर में पार्टी का दामन थामने पहुंची तो उनके साथ न तो पार्टी के कार्यकर्ता, ना उनके समर्थक और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य था. इतना ही नहीं, अदिति सिंह को बीजेपी की सदस्यता दिलाने के लिए पार्टी का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं पहुंचा जबकि दिनेश प्रताप सिंह की बीजेपी में एंट्री यादगार रही है.
अदिति सिंह ने पिछले दो सालों से बागी रुख अपना रखा था और बीजेपी के करीब खड़ी दिख रही थीं. कांग्रेस से उनका रिश्ता लगभग पहले ही खत्म हो चुका था. ऐसे में उनकी बीजेपी में एंट्री महज एक औपचारिकता थी, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली से कांग्रेस विधायक की जैसी जॉइनिंग की उम्मीद की जा रही थी, वैसी शान-शौकत के साथ अदिति की एंट्री बीजेपी में नहीं हो सकीं.
बुधवार को शाम चार बजे बीजेपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी और यह खबर भी दी गई कि अदिति सिंह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सामने पार्टी में शामिल होंगी. प्रदेश अध्यक्ष को उन्हें बीजेपी में ज्वाइन कराना था, लेकिन आखिरी वक्त तक अदिति सिंह को फोन भी नहीं गया था कि उन्हें आज पार्टी में शामिल कराया जा रहा है या नहीं.
बीजेपी में शामिल कराने के बारे में जब पत्रकारों ने अदिति सिंह को फोन करना शुरू किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का टाइम हो गया, आप अभी तक पहुंची नहीं. इस पर बताया गया कि उन्हें अभी तक बीजेपी में जॉइनिंग के बारे में कोई सूचना ही नहीं दी गई. बीजेपी दफ्तर में मीडिया इंतजार करती रही और तकरीबन डेढ़ बजे के बाद यह खबर आई की अदिति सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस में आ रही हैं और शामिल होंगी.
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी में एंट्री के लिए अकेले अदिति सिंह को नहीं बुलाया गया था बल्कि बसपा से निष्कासित की गईं आजमगढ़ की सगड़ी सीट से विधायक वंदना सिंह के लिए भी जॉइनिंग के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी. इतना ही नहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बगल वाली सीट पर अदिति सिंह के बजाय वंदना सिंह बैठी दिखीं. ऐसे में बीजेपी में एंट्री की उनकी औपचरिकता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
अदिति सिंह रायबरेली सीट से पांच बार के विधायक अखिलेश प्रताप सिंह की बेटी हैं. अखिलेश सिंह रायबरेली की सियासत के ध्रुव माने जाते थे, जिसके चलते जिले के तमाम नेता उनके आगे बौने रहे हैं. सूबे में बसपा से लेकर सपा और बीजेपी किसी की भी लहर रही हो, लेकिन अखिलेश सिंह के विजय रथ को कोई नहीं रोक सका. रायबरेली भले ही गांधी परिवार का गढ़ माना जाता हो पर रायबरेली विधानसभा सीट पर अखिलेश सिंह की तूती बोलती थी.
2017 में अदिति सिंह कांग्रेस के टिकट पर भारी मतों से जीतकर विधानसभा पहुंची थी और अपने पिता की सियासी विरासत को संभाला. 2019 में अखिलेश सिंह के निधन के बाद अदिति सिंह ने कांग्रेस से बागी रुख अपना लिया और बीजेपी के करीब आ गईं. ऐसे में बीजेपी उन्हें अपने कोटे में मानकर चल रही थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर उनकी जॉइनिंग नहीं हो पा रही थी.
2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर रायबरेली पर लगी है कि कैसे गांधी परिवार के दुर्ग को कमजोर किया जाए. इसी प्लान के तहत बीजेपी को पहली सफलता रायबरेली के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के रूप में सफलता मिली. दिनेश सिंह जो कि कभी सोनिया गांधी से लेकर गांधी परिवार के करीबी थे.
हालांकि, रायबरेली जिले की सियासत में दिनेश प्रताप सिंह का सियासी कद अखिलेश सिंह के सामने बौना था. दिनेश सिंह को हमेशा अखिलेश सिंह ने सियासी मात दी थी. इसके बावजूद दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी में एंट्री कराने के लिए पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष व मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सहित तमाम बीजेपी के दिग्गज नेता रायबरेली पहुंचे थे.
दिनेश सिंह की जॉइनिंग के लिए जिस तरह से रायबरेली में बड़ा कार्यक्रम हुआ, उसने उनके सियासी कद को भी जिले में बड़ा किया. वहीं, अदिति सिंह जो अखिलेश सिंह की बेटी और जिले की कांग्रेस की चर्चित चेहरा रहीं उनकी जॉइनिंग बेहद फीकी रही. रायबरेली में दिनेश सिंह बनाम अदिति सिंह की भी सियासी अदावत छिपी नहीं है. वहीं, दिनेश सिंह के भाई राकेश प्रताप सिंह जो हरचंद्रपुर से कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन उन्होंने भी बागी रुख अपना रखा है. ऐसे में उनकी भी बीजेपी में एंट्री होनी है, जिस पर जिले के लोगों की नजर लगी हुई है.
बता दें कि बीजेपी के भीतर भी अदिति सिंह की जॉइनिंग को लेकर मतभेद थे, लेकिन अंत भला तो सब भला. उन्हें बीजेपी में शामिल तो कर लिया गया, लेकिन एंट्री करते वक्त का कार्यक्रम फीका रह गया और आनन-फानन में यह जॉइनिंग कराई गई वो उनके सियासी कद को लेकर कई सवाल खड़े कर गई.