
प्रतापगढ़ की रानीगंज विधानसभा का इतिहास, लगान बंदी में किसान आंदोलन के रूप में, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में आज भी जाना जाता है. यहां सपा, बसपा और भाजपा बारी-बारी से अपनी उपस्थिति विधानसभा चुनाव में दर्ज कराती रही हैं. प्रोफेसर शिवाकांत ओझा 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए और मंत्री भी बने. 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अभय कुमार ओझा उर्फ धीरज ओझा ने इस सीट से जीत हासिल की.
रानीगंज के गौरा ब्लॉक में स्थित कहला 1931 में लगानबन्दी आंदोलन के विरुद्ध किसानों के संघर्ष की गाथा को जुड़ा हुआ है. ऐतिहासिक धरोहर होने के कारण हमेशा रानीगंज ऐतिहासिक रूप से समृद्ध माना जाता है. इसका समीपवर्ती विधानसभा क्षेत्र पड़ोसी जनपद जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर से जुड़ता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
2012 में हुए चुनाव के मुताबिक रानीगंज विधानसभा 250 क्षेत्र में कुल मतदाता 298803 हैं. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 156863 और महिला मतदाताओं की संख्या 141931 है. 2012 में समाजवादी पार्टी के प्रोफेसर शिवाकांत ओझा को कुल 63076 मत प्राप्त हुए और उन्होंने कुल मतों का 38 फीसदी मत प्राप्त किया था. वहीं, दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के मनसा अहमद रहे, जिन्हें कुल 50472 वोट मिले और उन्होंने कुल 31 फीसदी मत प्राप्त किया था.
2012 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गई थी और वहां से लक्ष्मी नारायण पांडे 16779 मत प्राप्त कर कुल मतों का 10 फ़ीसदी मत प्राप्त किया था. अपना दल से चुनाव लड़ रहे रामकुमार यादव चौथे स्थान पर रहे और उन्हें कुल 13739 वोट मिले थे. वहीं, 2017 का विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर थी. भाजपा से चुनाव लड़ रहे अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा ने कुल 67031 मत प्राप्त कर जीत हासिल की.
सामाजिक ताना-बाना
रानीगंज में हिंदू और मुस्लिम दोनों की संख्या काफी है. 16 फरवरी 1930 को कहला किसान सभा का गठन लगान बंदी के दौरान किया गया. धारा 144 का उल्लंघन कर हो रही सभा को बंद कराने के लिए ब्रिटिश पुलिस ने किसानों का उत्पीड़न किया था जिसके बाद किसान भड़क उठे. इस दौरान हिंसक झड़प हुई और कई किसान शहीद हो गए थे. शहीदों को नमन करने पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद कहला पहुंचे थे.
2017 का जनादेश
2017 का विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर थी. भाजपा से चुनाव लड़ रहे अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा को कुल 67031 मत मिले थे. बहुजन समाज पार्टी के शकील अहमद को 58022 मत मिले. 2012 के चुनाव में जीत हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी से प्रोफेसर शिवाकांत ओझा 2017 के चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गए और उन्हें 35816 वोट मिले थे.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
रानीगंज के विधायक धीरज ओझा छात्र राजनीति राजनीतिक पटल पर आए और पहली बार रानीगंज विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी का टिकट पाकर जीत दर्ज किया धार्मिक रूप से मां बाराही महोत्सव साल भर में एक बार मनाने का कार्य धीरज ओझा ने किया तो वह विकास की बात की जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में आईटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेज भी उन्होंने खुलवाया रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर उन्होंने मां बाराही धाम केंद्रीय विश्वविद्यालय खुलवाने के लिए धीरज ओझा रानीगंज के लिए प्रयासरत हैं.
रानीगंज विधानसभा में विधायक धीरज की मानें तो उन्होंने क्षेत्र के लिए काफी कार्य किया है.आईटीआई कालेज ,ड्रग्स हाउस, पॉलिटेक्निक कालेज और केंद्रीय विद्यालय जैसे मूल भूत सुविधाओं से रानीगंज की जनता को राहत मिलेगी.
विविध
रानीगंज विधायक धीरज ओझा आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन उनका फेसबुक पर लाइव आना और जनता से संवाद करना, हाल में पुलिस अधीक्षक द्वारा उन पर मारपीट करने के आरोप के बाद धरना प्रदर्शन करने के चलते वह सुर्खियों में थे. उनकी जमकर किरकिरी भी हुई थी. रानीगंज विधानसभा सीट पर यह माना जाता है कि शिवाकांत ओझा को छोड़कर कोई दो बार विधायक नहीं बना.
(इनपुट- सुनील यादव)