
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की 2022 की चुनावी जंग जीतने के लिए 'नई हवा है, नई सपा है' का नारा दिया है. अखिलेश इस नारे के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की परिभाषा भी बदल दी है. अखिलेश यादव सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हार्ड हिंदुत्व के जवाब में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलते भी नजर आ रहे हैं.
अखिलेश यादव की नई सपा में बात केवल MY की नहीं बल्कि प्रबुद्ध सम्मेलन और दलित संवाद कार्यक्रमों के जरिए ब्राह्मण और दलितों की भी बात हो रही है. अखिलेश यादव बीजेपी के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए एम-वाई समीकरण की नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. समाजवादी लोहिया वाहिनी ने विभिन्न जिलों में 19 सितम्बर 2021 से ''गांव-गांव दलित संवाद'' कार्यक्रम शुरू किया है.
लोहिया वाहिनी की ओर से चलाए जा रहे इस अभियान के जरिए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का वोट बैंक रहे दलितों को पार्टी से जोड़ने की कवायद की जा रही है. इसे लेकर भाजपा ने हमला बोला है. दर्जा प्राप्त मंत्री और अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने आजतक से बात करते हुए कहा कि इस संवाद का नाम सुनकर हंसी भी आती है और तरस भी, दलित सपा के शासनकाल में जितने प्रताड़ित हुए थे उतने किसी सरकार में नहीं हुए.
वहीं, सपा के एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा कि इस बार बात किसी एक तबके की नहीं, हर किसी की होगी. प्रबुद्ध सम्मेलन और दलित संवाद इसके उदाहरण हैं. वहीं, बसपा के एमएच खान ने बताया कि इस बार बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार आ रही है. चाहे कोई किसी भी तरह के सम्मेलन करे.