UP: संजय निषाद की BJP को दो टूक, 2022 में सरकार बनानी है तो चुनाव से पहले हल हो आरक्षण का मसला

संजय निषाद ने कहा कि रैली के दौरान एक शब्द भी अमित शाह और सीएम योगी ने नहीं बोला. बस यही बोले कि सरकार आने पर मसला हल करेंगे. अगर 2022 में सरकार बनानी है तो निषादों का मसला चुनाव से पहले हल करना होगा.

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Nishad party chief Sanjay Nishad Nishad party chief Sanjay Nishad

समर्थ श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 18 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST
  • आरक्षण के मसले पर निषाद समाज में नाराजगी
  • यूपी में जातीय गणित बिठाने में जुटी हुई है बीेजेपी

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जातीय गणित बिठाने में जुटी हुई है, लेकिन शुक्रवार को अमित शाह की रैली के बाद निषाद पार्टी के सुर कुछ बिगड़े-बिगड़े से सुनाई पड़ रहे हैं. दरअसल, लखनऊ में रमाबाई अंबेडकर मैदान में बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली को डॉ. संजय निषाद के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित किया था. कयास लगाए जा रहे थे कि निषाद समाज के आरक्षण की लंबे समय से चल रही मांग पर कुछ बात बन जाएगी पर रैली से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले. इसके बाद से निषाद पार्टी और समाज की ओर से नाराजगी जताई जा रही है. 

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इस मसले पर आजतक ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद से बात की. संजय निषाद ने कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ लोग रैली में आए थे. लंबे वक्त से निषाद समाज के आराक्षण की मांग हो रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी वकालत करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि रैली के मंच पर जज को बुलाए और कुछ ना बोले, इसलिए रैली में लोगों ने प्रदर्शन भी किया.

संजय निषाद ने कहा कि रैली के दौरान एक शब्द भी अमित शाह और सीएम योगी ने नहीं बोला. बस यही बोले कि सरकार आने पर मसला हल करेंगे. अगर 2022 में सरकार बनानी है तो निषादों का मसला चुनाव से पहले हल करना होगा. उन्होंने कहा कि मुख्य अतिथि जब आता है तो कुछ देता है, इसीलिए इतने निषाद रैली में जुटे. अब वो गुस्से में हैं, उन्हें शांत करना मुश्किल होगा. 

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संजय निषाद ने कहा कि मैं एक पत्र लिखने जा रहा हूं, जिसमें निषाद समाज के आरक्षण की मांग को तुरंत पूरा करने की बात होगी. हमारा समाज चाहता है कि सरकार तत्काल आरक्षण लागू करे. चार महीने गुजर चुके हैं, इन्होंने जल्दी करने के लिए कहा था पर किए नहीं. कई दौर की बात हो गई, अभी तक कुछ नहीं हुआ.

निषाद समाज का आरक्षण का मुद्दा 

बता दें कि निषाद समाज यूपी और बिहार में ओबीसी की श्रेणी में आते हैं जबकि दिल्ली और दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति में शामिल हैं. ऐसे में लंबे समय से निषाद समाज को एससी श्रेणी में शामिल कर आरक्षण देने की मांग उठ रही है. दिसंबर 2016 को तत्कालीन सपा सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-13 में संशोधन कर केवट, बिंद, मल्लाह, नोनिया, मांझी, गौंड, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी की श्रेणी से एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. हालांकि कोर्ट में चुनौती देने से निषाद समाज को आरक्षण का मुद्दा असल मायनों में हल ही नहीं हो पाया. वहीं, इस मुद्दे को स्थाई तौर पर हल करने के लिए निषाद पार्टी ने बीजेपी से हाथ मिलकर सरकार बनाओ अधिकार पाओ का नारा दिया था. 

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