
श्रावस्ती भारत-नेपाल की सीमा और पड़ोसी जिला बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा जिला है. जिले की पहचान बौद्ध तपोस्थली के रूप में है. जिले का गठन 22 मई 1997 को हुआ था. 13 जनवरी 2004 को शासन ने जिले का अस्तित्व समाप्त कर दिया था जिसके बाद दोबारा जून 2004 में एक बार फिर श्रावस्ती जिला के रूप में अस्तित्व में आ गया. जिले में 289 भिनगा और 290 श्रावस्ती क्रमशः दो विधानसभाएं है. दोनों विधानसभा सीटों पर अलग-अलग मुद्दे भी हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 290 विधानसभा श्रावस्ती सीट पर बीजेपी के राम फेरन पांडेय तो 289 सदर विधानसभा भिंनगा सीट पर बसपा के असलम रायनी ने जीत हासिल की थी.
श्रावस्ती विधानसभा सीट पहले भाजपा का गढ़ थी. बाद में इस सीट पर बसपा ने कब्जा किया. फिर 2012 में सपा से मोहम्मद रमजान और उसके बाद 2017 में भाजपा का कब्जा हो गया. फिलहाल यहां भाजपा से रामफेरन पांडेय विधायक हैं. श्रावस्ती विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक ब्राह्मण वोटर रहते हैं. दूसरे नंबर पर ओबीसी और मुस्लिम मतदाता हैं.
सामाजिक ताना-बाना
श्रावस्ती जिला आज भी पिछड़े जिलो में शुमार किया जाता है. यहां न ही कोई फैक्ट्री है और न रेलवे. दोनों विधानसभा सीटों पर बेरोजगारी, गंदगी की समस्याएं सबसे आम हैं. पिछले कई दशकों से अलग-अलग पार्टियों के विधायक यहां से चुने जाते रहे हैं लेकिन जनता की समस्याओं का कुछ खास समाधान नहीं हुआ है. हालांकि बसपा सरकार में एक हवाईअड्डे का जरूर निर्माण हुआ लेकिन अभी तक हवाई अड्डा भी अपने अस्तित्व में नहीं आ पाया है.
290 विधानसभा श्रावस्ती
2012 के आंकड़ों के मुताबिक, इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 36 हजार 973 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,85,023 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,51,950 है. श्रावस्ती विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी, जिसके बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सपा ने अपना कब्जा जमाया था. 2017 में हुए चुनाव में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
श्रावस्ती जिले की विधानसभा 290 श्रावस्ती की सीट उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट मानी जाती है. 2012 में श्रावस्ती विधानसभा में पहली बार चुनाव हुए इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रमजान ने 67551 वोट हासिल कर सीट पर अपनी बादशाहत कायम की थी. उन्होंने बीएसपी के विनोद त्रिपाठी को हराया था. बीजेपी के राम फेरन पांडेय तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि कांग्रेस की रीता वर्मा को सिर्फ 06.82 फीसदी मतों के साथ चौथे स्थान पर रहना पड़ा था.
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामफेरन पांडेय ने 445 मतों से सपा के मोहम्मद रमजान को शिकस्त दी थी. यहां भाजपा को 79437, सपा को 78992 मत प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर बसपा के सुभाष सत्या को 53014 मत मिले थे. 4289 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था. यहां रालोद के विनोद त्रिपाठी को छोड़कर अन्य सभी निर्दल प्रत्याशी नोटा का आंकड़ा पार नहीं कर सके थे.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी विधायक राम फेरन पांडेय मूल रूप से ग्राम मलावा के निवासी हैं. इनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री शिव नंदन है. विधायक राम फेरन का जन्म 1 दिसंबर 1965 को हुआ था. राम फेरन पांडेय हाई स्कूल पास हैं. इनकी शादी 4 मई 1979 को हुई थी. उनकी पत्नी का नाम मिथिलेश पांडेय हैं जो वर्तमान में ब्लॉक प्रमुख भी हैं. विधायक के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं. विधायक का व्यवसाय मुख्य रूप से कृषि है. विधायक काफी पहले से समाजसेवा में रूचि रखते हैं. विधायक का पूरा परिवार श्रावस्ती के इकौना स्थित टीचर कॉलोनी में रहता है.
श्रावस्ती विधानसभा में आजादी के बाद से मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव रहा है. यहां सड़कों की दिक्कतें थी. ज्यादातर सड़कों पर काफी गड्ढे थे. बीजेपी विधायक के प्रयास से गांव और शहरी क्षेत्र में कई छोटी सड़कों का निर्माण हुआ है. विधायक के प्रयासों से जमुनहा-बहराईच मार्ग के उच्चीकरण के साथ सीसी रोड निर्माण कार्य प्रगति पर है. वहीं उजाले की व्यवस्था के लिए कई जगहों पर सोलर लाइट की व्यवस्था कराई गई है. जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन सहित सीएचसी इकौना में कंप्यूटर एक्स-रे की सुविधा भी उपलब्ध है.
विधायक का विवादों से भी रहा है नाता
विधायक का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. 2017 में पेड़ कटान के मामले में जिला जज द्वारा आदेश पर पुलिस ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था. विधायक के खिलाफ 18 मुकदमें श्रावस्ती और बहराइच में दर्ज होने के बाद भी राइफल का लाइसेंस जारी कर दिया गया था.
(रिपोर्ट- पंकज वर्मा)
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