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Siana Assembly Seat: सपा-बसपा का इस सीट पर नहीं खुला है खाता, कांग्रेस ने छह बार मारी है बाजी

स्याना विधानसभा सीट पर कांग्रेस 15 चुनावों में से 6 बार अपना विधायक बनाने में कामयाब रही है. इसमें पांच बार पिता,पुत्र और दादा ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने हैं. यहां मौजूदा विधायक बीजेपी से हैं.

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 (Siana  Assembly Seat) Uttar Pradesh Assembly Election 2022 (Siana Assembly Seat)
मुकुल शर्मा
  • बुलंदशहर,
  • 24 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST
  • दिलनवाज खुद और उनके पिता-दादा भी रहे हैं इस सीट से विधायक
  • सपा-बसपा को नहीं मिली है इस सीट पर जीत
  • तीन बार बीजेपी को भी इस सीट पर मिली है जीत

एक तरफ नवसृजित जनपद पंचशील नगर दूसरी तरफ गंगा का किनारा और इसके अलावा हरे फलदार आम के वृक्ष बुलंदशहर के स्याना विधानसभा क्षेत्र की यह खास पहचान है. फलपट्टी का क्षेत्र के नाम से यह विधानसभा मशहूर है. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक आम उत्पादन के अग्रणी क्षेत्रों में इस विधानसभा क्षेत्र का नाम आता है. पौराणिक इतिहास की बात करें तो जनपद के आहार क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण जब रानी रुक्मणी का हरण करके जा रहे थे तो उन्होंने इसी स्थान पर रात्रि में विश्राम किया था. उन्होंने यहां शयन किया था जिसके चलते स्थान का नाम बाद में जाकर स्याना पड़ा. 

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

1952 में 1957 तक स्याना विधानसभा क्षेत्र नहीं था. यह क्षेत्र जनपद की अन्य विधानसभाओं अनूपशहर व आगोता में शामिल था. 1962 में पहली बार स्याना विधानसभा बनी और प्रांतीय सोशलिस्ट पार्टी के मुमताज मोहम्मद खान यहां से विधायक चुने गए. 1967 में स्वामी नेमपाल सिंह, 1969 और 1974 में मुमताज मोहम्मद खान कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गये. 1977 में आरिफ मोहम्मद खान जनता पार्टी से चुनाव जीते. छत्रपाल सिंह जेएनपी (एससी) से 1980 में विधायक बने. 1985 व 1989 में इम्तियाज मोहम्मद खान विधायक चुने गए. उसके बाद 1991 व 1993 में वासुदेव सिंह भाजपा से और 1996 में राकेश त्यागी कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए.

साल 2002 व 2007 में राष्ट्रीय क्रांति व भाजपा से सुंदर सिंह ने जीत दर्ज की थी. 2012 में कांग्रेस से दिलनवाज विधायक बने. 2017 में देवेंद्र सिंह लोधी भाजपा से विधायक चुने गये. 2022 के चुनाव में बीजेपी  पूरी तैयारी में है. साथ ही 2012 में कांग्रेस और 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके दिलनवाज खान भी इस सीट पर लोकदल से अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं.

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दिलनवाज खान अपने परिवार की तीसरी शख्सियत हैं जो इस क्षेत्र से विधायक चुने जा चुके हैं. दिलनवाज के पिता और दादा दोनों कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे. कांग्रेस इस क्षेत्र में 15 में से 6 बार चुनाव में अपना विधायक बना चुकी है. इसमें से दो बार दिलनवाज के दादा मुमताज़ मोहम्मद और दो बार दिलनवाज के पिता इम्तियाज़ और एक बार खुद दिलनवाज यहां से विधायक बने चुके हैं. वहीं, राकेश त्यागी कांग्रेस से 1996 में चुने गए थे.

सामाजिक ताना-बाना

इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, दलित मतदाता  अधिक हैं. धामण, जाट, ठाकुर, वैश्य मतदाता 15 से 22% तक हैं. आर्थिक तौर पर देखा जाए तो लोगों की आय का जरिया मुख्य तौर पर फलों और अनाज की खेती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 371587 मतदाता थे. जिसमें से 19995 पुरुष मतदाता 171626 महिला मतदाता थीं.

2017 का जनादेश

2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह लोधी को 125854 मत प्राप्त हुए. उन्होंने बसपा के दिलनवाज को पराजित किया जिनको 54224 मत प्राप्त हुए थे.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
वर्तमान भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी की उम्र लगभग 60 वर्ष है. वह एलएलबी किए हुए हैं. परिवार में दो बेटे और दो बेटी हैं. पहली बार वह विधायक का चुनाव लड़े हैं और पहली बार ही विजेता हो गए. कृषि के साथ-साथ वह वकालत भी करते रहे हैं.

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विविध

 2019 में गोकशी की घटना के विरोध में जाम लगा रहे सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि की पुलिस से नोकझोंक और हिंसा इतनी बढ़ गई कि स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार शहीद हो गये. इस घटना में एक अन्य युवक सुमित की भी मौत हो गयी थी. ये प्रकरण अक्सर राजनीतिक ,समाजिक गलियारों में गूंजता रहा है.

 

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