
उत्तर प्रदेश के सियासी रणभूमि में बीजेपी ने अपने तमाम दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर आसपास की सीटों को सियासी तौर पर प्रभावित करने की रणनीति बनाई है. इसी कड़ी में बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को उनकी जन्मस्थली कौशांबी की सिराथू सीट से टिकट दिया. केशव के सामने सिराथू सीट पर सपा ने अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बना दिया है, जो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन है.
केशव मौर्य दस साल पहले सिराथू सीट से विधायक बने थे और उसके बाद सियासत में पलटकर नहीं देखा. हालांकि, सिराथू सीट कभी बीएसपी का मजबूत गढ़ हुआ करती थी, लेकिन 2012 में केशव प्रसाद मौर्य ने ही यहां पहली बार कमल खिलाया था. इसके बाद से बीजेपी का ही यहां पर कब्जा है. पांच साल में कराए विकास कार्य के दम पर केशव मौर्य के जीतने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने जिस तरह से पल्लवी पटेल को सियासी सीट से उताराकर चक्रव्यूह रचा. उससे साफ है कि सपा उन्हें सिराथू यानी 'घर' में ही घेर कर रखने के लिए दांव चला है.
केशव के खिलाफ अनुप्रिया की बड़ी बहन
सिराथू विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरीं पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन हैं. अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही हैं तो पल्लवी पटेल सपा के साथ हैं. पल्लवी पटेल पांच फरवरी को सिराथू सीट पर अपना नामांकन दाखिल करेंगी जबकि केशव मोर्य गुरुवार को अपना पर्चा भरेंगे.
सिराथू सीट केशव प्रसाद मौर्य की पारंपरिक सीट रही है. वह बीजेपी के बड़े ओबीसी नेताओं में से एक माने जाते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्मपाल सैनी समेत कई अन्य ओबीसी नेताओं के पार्टी से जाने के बाद उनकी अहमियत और बढ़ गई है. बीजेपी में ओबीसी का चहेरा हैं और उन्हें चुनावी समर में उतारकर पार्टी ओबीसी वोटबैंक को साधने की कवायद में है, लेकिन सपा ने भी उनके खिलाफ कुर्मी कार्ड खेल दिया है.
सिराथू में पहली बार केशव ने खिलाया कमल
डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू के ही रहने वाले हैं. यहां की जनता ने 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पहली बार जिताकर विधानसभा भेजा था और 2014 में फूलपुर से सांसद बन गए थे. इसके बाद 2017 में बीजेपी ने उनकी अगुआई में चुनाव जीता तो सूबे में डिप्टी सीएम बने और बाद में एमएलसी बन गए थे. 2022 के चुनाव में एक बार फिर से उन्हें सिराथू से से प्रत्याशी बनाया गया है.
केशव के खिलाफ बीएसपी ने यहां से संतोष त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. सिराथू में ओबीसी में कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी से पटेल बिरादरी की नेता आनंद पटेल दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने पल्लवी पटेल को प्रत्याशी बना दिया है. यह सपा की कुर्मी वोटों में सेंधमारी करने की कोशिश है. सपा यहां एम-वाई फैक्टर के साथ ही उसमे कुर्मियों को जोड़कर केशव के सामने मजबूत चुनौती पेश किया.
सिराथू बसपा का मजबूत गढ़ हुआ करता था
कौशांबी की सिराथू सीट 2012 के चुनाव से पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. यहां 1993 से 2007 तक बीएसपी ने लगातार चार बार जीत दर्ज की थी. बसपा के जीत में इंद्रजीत सरोज की अहम भूमिका भी थी. 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य वर्ग के लिए हो गई, जिसके बाद बीजेपी से केशव मौर्य 2012 में विधायक बने. इससे पहले यहां बीजेपी और समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुला था.
सिराथू में अगर जातीय समीकरणों की बात की जाए तो यहां 3 लाख 80 हजार 839 वोटर हैं. इनमे से 19 फीसदी सामान्य जाति के, 33 फीसदी दलित, 13 फीसदी मुस्लिम और करीब 34 फीसदी पिछड़े वर्ग से हैं. पिछड़ों में कुर्मी समाज के वोटर यहां निर्णायक भूमिका में हैं. यही वजह है कि बीजेपी केशव मौर्य के बाद कुर्मी समाज के शीतला प्रसाद के चुनावी मैदान में उतरने से सपा के वाचस्पति को मात दी थी.
सिराथू में इंद्रजीत सरोज का सियासी प्रभाव
हालांकि, बदले हुए सियासी समीकरण कद्दावर दलित नेता इंद्रजीत सरोज बसपा छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं. उनके साथ बसपा के जिला अध्यक्ष रह चुके आनंद पटेल भी सपा में शामिल हो चुके हैं. पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज के करीबी आनंद पटेल सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने पल्लवी पटेल को टिकट दे दिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कौशांबी में विकास के तमाम काम कराए जाने और सियासी और सामजिक समीकरण साधने के बावजूद इस बार केशव प्रसाद मौर्य के लिए सिराथू की डगर आसान नहीं है. सिराथू में पिछले कुछ चुनाव में जाति के साथ ही धार्मिक आधार पर भी वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिला है. केशव खुद को सिराथू का बेटा बताकर चुनाव मैदान में हैं तो पल्लवी पटेल खुद को कुर्मी समाज की बेटी बता रही हैं.
दलित वोटर सिराथू में निर्णायक होगा
बीजेपी ने कुर्मी समुदाय के मौजूदा विधायक शीतला पटेल का टिकट काटकर केशव मौर्य को उम्मीदवार बनाया है. सपा ने इसीलिए पल्लवी पटेल को उतारकर कुर्मी बिरादरी का टिकट जाने को मुद्दा बना रही हैं. हालांकि, शीतला पटेल सिराथू में सक्रिय रहते हुए केशव मौर्य और बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. इस चुनाव में यहां दलित वोटर निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं.
केशव प्रसाद मौर्य के सामने पल्लवी पटेल के उतरने से सिराथू सीट पर सभी की निगाहें हैं. यहां 30 फीसदी से ज्यादा दलित वोटरों का रुख काफी अहम साबित हो सकता है. ऐसे में इस इलाके में इंद्रजीत सरोज की पकड़ जिस तरह से दलित वोटों पर है, उससे केशव मौर्य के लिए काफी चुनौती भी साबित हो रही है.