
बीजेपी के रणनीतिकारों ने लखनऊ में दो दिनों तक मैराथन बैठक कर अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तैयार की है. बीजेपी के केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में सरकार और संगठन की सबसे अहम बैठक हुई. इस कोर कमेटी की बैठक में मौजूदा सरकार और संगठन के अलावा जिस प्रकार से लक्ष्कीकांत वाजपेयी और विनय कटियार सहित चार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ऐसे कई नेता शामिल हुए थे, जो पार्टी में लंबे समय से हाशिए पर हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी 2022 के चुनावी रण में उतरने से पहले डैमेज कन्ट्रोल में जुट गई है और अपने दिग्गजों को मानने व सामाजिक समीकरण दुरुस्त कर लेना चाहता ही.
2022 के मंथन में जुटे दिग्गज
बीजेपी कोर कमेटी की मैराथन बैठक में बीएल संतोष, राधा मोहन सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा अलावा कई कैबिनेट मंत्री भी शामिल हुए. संगठन की ओर से संगठन राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष, राधमोहन, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बसंल के अलावा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल और चार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हुए. इनमें रमापतिराम त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत बाजपेयी, विनय कटियार, केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय शामिल थे.
जितिन-एके शर्मा का परिचय कराया
बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही भी मौजूद थे. इसके साथ ही नवनियुक्त उपाध्यक्ष एके शर्मा और हाल में ही पार्टी ज्वाईन करने वाले जितिन प्रसाद भी इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में सबसे पहले एके शर्मा और जितिन प्रसाद का सभी पदाधिकारियों से परिचय करवाया गया. जितिन प्रसाद के जरिए ब्राह्मण समुदाय को डैमेज कन्ट्रोल करने की कवायद की जा रही है तो एके शर्मा के जरिए पूर्वांचल का समीकरण साधने की रणनीति है.
वहीं, रमापतिराम त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत बाजपेयी, विनय कटियार, केंद्रीय मंत्री डॉ.महेंद्रनाथ पांडेय के बैठक में शामिल होने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. महेंद्र पांडेय को छोड़कर बाकी नेता पार्टी में लंबे समय से राजनीतिक तौर पर हाशिए पर हैं और पिछले सवा चार साल में कभी कोई बैठक में नजर आए हों. ऐसे में माना जा रहा है कि चुनावी सरगर्मियों को देखते हुए पार्टी उनके सियासी अनुभवों का लाभ लेना चाहेगी.
लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मौजदूगी
लक्ष्मीकांत वाजपेयी पश्चिम यूपी के मेरठ से आते हैं और पार्टी का एक समय ब्राह्मण चेहरे रहे हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव में इन्हीं के अगुवाई में यूपी में लड़ा गया था, जिसमें पार्टी 71 सीटें जीतकर आई थी. हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद ही उनकी जगह केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश संगठन की कमान मिल गई थी. 2017 में लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव हार गए और तब से लेकर पार्टी में साइड लाइन है. हाल ही में जितिन प्रसाद की बीजेपी में एंट्री हुई तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी की चर्चाएं फिर शुरू हो गई.
किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी में जिस तरह से जाट समुदाय में नाराजगी है, उससे पश्चिम यूपी का सियासी समीकरण बिगड़ रहा है. ऐसे में लक्ष्मीकांत वाजपेयी पार्टी के लिए एक अहम कड़ी साबित हो सकते हैं. इसके पीछे वजह यह भी है कि ब्राह्मण समीकरण को भी बीजेपी चुनाव से पहले हरहाल में दुरुस्त कर लेना चाहती है. ब्राह्मण को साधने में भी लक्ष्मीकांत फिट होंगे.
रमापतिराम त्रिपाठी-महेंद्रनाथ पांडेय
रमापतिराम त्रिपाठी पूर्वांचल से आते हैं और ब्राह्मण चेहरा रहे हैं. वो यूपी में बीजेपी की कमान संभाल चुके हैं. पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण अहम भूमिका अदा करते हैं. माना जा रहा है कि पूर्वांचल के सियासी नब्ज को समझने के लिए बीएल संतोष ने रमापतिराम त्रिपाठी को कोर कमेटी की बैठक में बुलाया था. ऐसे ही महेंद्रनाथ पांडेय भी पूर्वांचल के वाराणसी से आते हैं और मौजूदा समय में मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं. सूत्रों की मानें तो रामपतिराम त्रिपाठी ने कहा कि जिला पंचायत चुनाव आ रहे हैं और उसमें हमें जीत सुनिश्चित करनी होगी. थाने और तहसील को मजबूत करना होगा क्योंकि इससे आम आदमी परेशान होता है.
विनय कटियार क्या फिर होंगे सक्रिय
विनय कटियार लंबे समय के बाद बीजेपी के किसी बैठक में दिखे हैं. 2014 के बाद से विनय कटियार बीजेपी में हाशिए पर चल रहे हैं जबकि एक दौर में बीजेपी में उनकी तूती बोलती थी. पार्टी के फायर ब्रिगेड नेता माने जाते थे और यूपी में ओबीसी चेहरा हुआ करते थे. राममंदिर आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही है. विनय कटियार कुर्मी समुदाय से आते हैं, जो यूपी में करीब 7 फीसदी आबादी है.
माना जा रहा है कि बीजेपी 2022 के चुनाव में राममंदिर के अपने मुख्य एजेंडे में रख रही है, उसमें विनय कटियार अहम रोल अदा कर सकते हैं. सूत्रों की मानें तो उन्होंने मंगलवार को कोर कमेटी की बैठक में जिस तरह से संगठन को जमकर आड़े हाथों लिया और कहा कि जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में यूपी मंत्रिमंडल विस्तार की बातें क्यों नहीं रोकी गईं? इससे पार्टी को नुकसान हुआ है और आम लोगों में भ्रम की स्थिति फैलती है.
बीजेपी के केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने पुराने और मौजूदा नेताओं को एक साथ बैठककर साफ कर दिया है कि पूरी पार्टी एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरे. बीजेपी के चार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही संगठन क्षेत्रीय पदाधिकारी भी मौजूद रहे थे. इस दौरान 2022 के चुनावी जंग फतह करने की रणनीति बनाई गई है, जिसमें पुराने अनुभवी के साथ-साथ मौजूदा नेताओं के बीच बेहतर तालमेल के साथ काम करने का मंत्र दिया गया है.