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यूपी चुनाव: बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों ने सेट कर दिया अपना सियासी एजेंडा

उत्तर प्रदेश के चुनावी रणभूमि में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी दल खुलकर मैदान में उतरकर एक तरफ अपना माहौल बनाने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ चुनावी एजेंडा भी सेट करने लगे हैं. प्रियंका गांधी से लेकर मायावती और अखिलेश यादव रोजगार, किसान और दलित के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई है.

अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका गांधी अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 11 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST
  • प्रियंका गांधी चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी
  • मायावती रोजगार को बनाएंगी सबसे बड़ा मुद्दा
  • अखिलेश यादव किसानों को लेकर खोलेंगे मोर्चा

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव का अभी भले ही औपचारिक ऐलान न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने-अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया है. सूबे के सियासी रण में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी दल खुलकर मैदान में उतरकर माहौल बनाने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ चुनावी एजेंडा भी सेट करने लगे हैं.  

नवरात्र के पहले दिन अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस लाने के लिए आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जन्मस्थली हापुड़ के नूरपुर से पश्चिम यूपी में जन आशिर्वाद यात्रा शुरू की तो बसपा प्रमुख मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को लखनऊ से 2022 के लिए चुनावी हुंकार भरी. 

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वहीं, सूबे में कांग्रेस के लिए सियासी जमीन तलाश रही प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ वाराणसी में भारी भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का एहसास कराया तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पश्चिम यूपी की सहारनपुर से चुनावी बिगुल फूंक दिया है. अखिलेश मंगलवार (12 अक्टूबर) को रथ पर सवार हो रहे हैं. इसी दिन समाजवादी नेता रहे राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि भी है. वहीं, इन नेताओं के अलावा सूबे में छोटे-छोटे दल भी आपस में हाथ मिलकर बड़ी ताकत बनने के लिए सक्रिय हैं. 

मायावती ने सेट किया चुनाव का एजेंडा

मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल मैदान से चुनावी बिगुल फूंक दिया है. इस दौरान मायावती एक तरफ अपने कोर वोटबैंक दलित समुदाय को बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी दल सपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से सावधान रहने की अपील किया तो दूसरी तरफ विकास, रोजगार और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव सेट करती नजर आईं. मायावती ने साफ तौर पर कहा कि 2022 में हम सत्ता में आते हैं तो युवाओं के रोजगार के दिशा में काम करेंगे ताकि प्रदेश के लोगों को रोजी-रोटी के लिए पलायन न करना पड़े. उन्होंने कहा कि रोजगार हमारी प्रमुख चुनावी मुद्दा होगा, जिसे लेकर बसपा 2022 के चुनाव में उतरेगी. 

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वहीं, मायावती दलित समाज के साथ-साथ ब्राह्मण और मुस्लिम से जुड़े मुद्दे को उठाकर जातीय समीकरण भी साधती नजर आईं. उन्होंने कहा कि हम सत्ता में आए तो गरीब और मजदूरों के अलावा ब्राह्मणों और मुस्लिमों की सुरक्षा और सम्मान का पूरा ख्याल रखेंगे. इस बार मायावती के सियासी एजेंडे में किसान भी शामिल हैं. यूपी में कृषि कानून को नहीं लागू होने का वादा किया तो साथ ही कहा कि बीजेपी सरकार में आंदोलित किसानों पर जुल्म इतना बढ़ गया है की अति हो गई है. साथ ही बीजेपी से मुकाबला करने के लिए मायावती ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर भी कदम बढ़ा दिए हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या, मथुरा और काशी सहित जो धार्मिक स्थलों पर विकास कार्य हो रहे हैं, उन्हें नहीं रोका जाएगा. 

कांग्रेस सियासी एजेंडा सेट करने में जुटी

कांग्रेस उत्तर प्रदेश में किसान, दलित और मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही अपना चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी है. प्रियंका गांधी ने 'किसान न्याय रैली' बनारस से शुरू की है और उससे पहले लखीमपुर की घटना को लेकर मोर्चा खोला है, उसेस साफ जाहिर है कि कांग्रेस के एजेंडे में किसान प्रमुख रूप से शामिल रहेगा. प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया है कि सूबे में किसानों की लड़ाई को पूरी मजबूती के साथ लड़ेंगी और उन्हें इंसाफ दिलाकर रहेंगी. बनारस में प्रियंका की रैली में जिस तरह से मंच पर मंत्रोचार, शंखनाद, हर-हर महादेव के साथ कुरान की आयात और गुरबाणी से हुई, उससे साफ जाहिर होता है कि हिंदु वोटों के साथ-साथ मुस्लिम और सिख वोटरों कांग्रेस के मुख्य एजेंडे में रहेगा. 

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प्रियंका गांधी ने आवारा पशुओं के मुद्दे के बहाने के जिस तरह से बीजेपी को घेरा है और कहा कि आवारा पशुओं के चलते किसान किस तरह की परेशानी से जूझ रहा है. कांग्रेस आवारा पशुओं को लेकर चुनावी एजेंटा करने में जुट गई, क्योंकि गांव में यह बड़ा मुद्दा बन रहा है. इसके अलावा कांग्रेस की नजर दलित वोटों पर भी है, जिन्हें साधने की कवायद कांग्रेस ने शुरू कर दी है. सोनभद्र से लेकर हाथरस तक की घटनाओं का प्रियंका गांधी ने अपनी रैली में जिक्र किया है और साथ ही सीएम योगी को दलित विरोधी कठघरे में खड़ी करती नजर आईं. वहीं, कांग्रेस यूपी में न्याय और सुरक्षा को भी बड़ा मुद्दा बना रही है और यह बताने की कवायद कर रही है कि बीजेपी के राज में कोई भी सुरक्षित नहीं है और न ही किसी को न्याया मिल पा रहा है. 

सपा के एजेंडा में युवा, किसान और महिलाएं

अखिलेश यादव ने भी अपने चुनावी अभियान का आगाज सहारनपुर की रैली से कर दिया है और मंगलवार को सूब में रथ लेकर रवाना हो रहे हैं. अखिलेश इस बार खुलकर मुस्लिम कार्ड खेलने के बजाय विकास के एजेंडे पर अपना ताना बाना बुन रहे हैं. अखिलेश यादव युवा वोटरों को साधने के लिए रोजगार को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गए हैं. उन्होंने कहा कि 2022 में हम सत्ता में आएंगे तो बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी देने का काम करेंगे. 

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अखिलेश ने कहा है कि 'समाजवादी विजय रथयात्रा' सूबे में न्याय और महिलाओं के मान-सम्मान के लिए है और युवाओं को नौकरी-रोजगार के लिए, गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों के बीच विश्वास जगाने के लिए है. इससे साफ जाहिर सपा इस बार के चुनाव में इन्हीं सारे मुद्दों को लेकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाई है. साथ ही किसानों को खास तौर पर अपने एजेंडे में शामिल करेगी, जिस पर अखिलेश यादव ने सहारनपुर की रैली में अपनी मंशा जाहिर कर दी है. 

जयंत का जाट-मुस्लिम-किसान होगा एजेंडा

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी जाट और मुस्लिमों को जोड़ने के मिशन पर इन दिनों जुटे हैं, जिसके लिए पश्चिम यूपी में जन आशिर्वाद यात्रा शुरू की है. इस यात्रा के जरिए मुजफ्फनगर दंगे से बिगड़े सामाजिक ताने बाने को दोबारा से बुनना चाहते हैं ताकि 2022 के चुनाव में बीजेपी से मुकाबला कर सकें. आरएलडी के प्रमुख चुनावी एजेंडा में किसान मुख्य है, जिसके लिए अपने घोषणा पत्र में किसानों से जुड़े हुए तमाम मुद्दों को शामिल करने का वादा किया. किसान आंदोलन से जुड़े हुए नेताओं से बातचीत कर उनके मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करेंगे, क्योंकि कृषि कानूनों के विरोध के चलते आरएलडी को सियासी संजीवनी मिली है, जिसके 2022 के चुनाव में कैश कराना चाहते हैं. 

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