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हिंदू प्रतीक अब नहीं हैं टैबू, अखिलेश यादव खुलकर हिंदू प्रतीकों का ले रहे सहारा

अखिलेश यादव 2022 चुनाव में बीजेपी को अकेले हिंदू कार्ड नहीं खेलने देना चाहते. हाल ही में अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो अब तक राम मंदिर बन गया होता. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार होती तो 1 साल में राम मंदिर बन कर तैयार हो गया होता.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST
  • हिंदुत्व के पिच पर बीजेपी को मात देने का सपा प्लान
  • अखिलेश क्या अयोध्या में राममंदिर दर्शन के लिए जाएंगे?
  • ममता बनर्जी के स्टाइल में अखिलेश लड़ रहे चुनाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर बीजेपी और सपा के बीच एक दूसरे को सियासी मात देने के हर कोशिश की जा रही है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब किसी फ्रंट पर बीजेपी को खुलकर बैटिंग करने देना नहीं चाहते, फिर वो बेशक धर्म की पिच ही क्यों ना हो. 

अखिलेश यादव सूबे में पिछले कुछ दिनों में जिस तरीके से राम मंदिर, राम राज्य, ब्राम्हण पॉलिटिक्स आदि की बातें कर रहे हैं. इतना ही नहीं वो जिस तरीके से खुलकर मंदिर जा रहे हैं और भगवान पर सियासी चर्चा कर रहे हैं. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि अखिलेश यादव 2022 चुनाव में बीजेपी को अकेले हिंदू कार्ड नहीं खेलने देना चाहते. 

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हाल ही में अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार होती तो अब तक राम मंदिर बन गया होता. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार होती तो 1 साल में राम मंदिर बन कर तैयार हो गया होता. क्या इससे पहले समाजवादी पार्टी का कोई नेता ऐसा बोलने की साहस जुटा सकता था. यूपी के सियासी समीकरण के चलते अब अखिलेश यादव ने भी राम मंदिर पर बोलना शुरू कर दिया है. ऐसे में अगर वह आने वाले दिनों में अयोध्या में राम मंदिर में दर्शन करने चले जाएं तो चौकिएगा मत.

अखिलेश क्या रामलला के दर्शन करने जाएंगे? 

9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ आ रहे हैं, जहां वह बीजेपी की बड़ी रैली को संबोधित कर सकते हैं. वहीं, अखिलेश यादव उस दिन अयोध्या में होंगे. लेकिन राम मंदिर जाने और रामलला के दर्शन का उनका कोई कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर नहीं आया है. हालांकि, चर्चा इस बात की जरूर चल रही है कि चौंकाते हुए अखिलेश यादव राम मंदिर का दर्शन के लिए कहीं पहुंच न जाएं. 

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अखिलेश यादव की रामलला के दर्शन करने की संभावना इसलिए भी है कि प्रधानमंत्री के लखनऊ रैली के दिन मीडिया का सारा स्पेस मोदी और बीजेपी को अकेले लेने देना नहीं चाहेंगे. ऐसे में पीएम मोदी लखनऊ की रैली करेंगे और अगर इस दौरान वह राम मंदिर दर्शन करने चले गए तो एक तीर से दो निशाने भी सध जाएंगे. 

राम मंदिर का क्रेडिट बीजेपी को नहीं लेने देना चाहती पार्टियां

दरअसल, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का सारा क्रेडिट बीजेपी ले रही है और इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर पार्टी के तमाम बड़े और छोटे नेता पेश करते रहे हैं. वहीं, सपा शुरू से कहती रही है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बन रहा है, जो बीजेपी की देन नहीं है. बसपा महासचिव सतीष चंद्र मिश्रा से लेकर आम आदमी पार्टी के संजोयक अरविंद केजरीवाल तक अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचे थे. 

यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने-अपने सियासी अभियान की शुरूआत भी अयोध्या से की है. इसके जरिए बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड को काउंटर करने की रणनीति मानी जा रही है. वहीं, अखिलेश यादव अयोध्या में अपना विजय रथ लेकर 9 जनवरी को पहुंचेगे तो माना जा रहा है कि वो रामलाला के दर्शन भी कर सकते हैं.

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अखिलेश के सपने में आते हैं भगवान कृष्ण!

अखिलेश यादव ने अपने सपने में भगवान कृष्ण के आने की बात भी कर दी है और रामराज्य लाने तक की बात कर रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि हिंदू प्रतीकों पर होने वाली सियासत को लेकर अब अखिलेश यादव की झिझक धीरे धीरे खत्म हो रही है. खासकर 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव को लग रहा है कि पश्चिम बंगाल में जिस तरीके से ममता बनर्जी ने भरी सभा में चंडी पाठ कर अपना हिंदू चेहरा भी सामने रखा था. फिर वह हिंदू वोटों के साथ-साथ एकमुश्त मुस्लिम वोट लेने में सफल हो गई थी. इसी रणनीति पर अब अखिलेश यादव चलते नजर आ रहे हैं. 

अखिलेश यादव को लग रहा है कि हिंदू सियासत खुलकर करने से फिलहाल कोई मुस्लिम वोट बैंक उनसे छिटकने नहीं जा रहा क्योंकि यूपी का चुनाव बीजेपी बनाम सपा होता जा रहा है. ऐसे में मुसलमान वोटों के बंटवारे की सारी दुविधा अब खत्म हो चुकी है. ऐसे में अब क्यों न यूपी की सियासी पिच पर बीजेपी के मुकाबले के लिए हिंदू कार्ड खुलकर खेला जाए. 

बहरहाल ये तय है कि जैसे-जैसे यूपी चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे हिंदू प्रतीकों पर होने वाली सियासत पर भी घमासान होता नजर आ रहा है. बीजेपी अब यूपी चुनाव में राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद मथुरा पर अपना फोकस कर रही है तो समाजवादी पार्टी खुद को हिंदू प्रतीक पॉलिटिक्स में बीजेपी के समकक्ष खड़ा रखने तैयारी में है. ऐसे में देखना है कि हिंदुत्व की पिच पर उतरकर अखिलेश क्या बीजेपी को सियासी मात दे पाएंगे. 

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