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यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव ने नामांकन लिया वापस, बेटे को चुनावी मैदान में उतारा

डीपी यादव को जब साल 2002 में किसी पार्टी से टिकट नहीं मिला था तो उन्होंने खुद की पार्टी बना ली थी. 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बदायूं के आसपास 45 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन उन्हें सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. उस समय डीपी यादव खुद और उनकी पत्नी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

डीपी यादव ने नामांकन वापस लिया डीपी यादव ने नामांकन वापस लिया
अंकुर चतुर्वेदी
  • बदायूं,
  • 01 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:29 AM IST
  • बाहुबली नेता डीपी यादव ने नामांकन लिया वापस
  • डीपी यादव के बेटे कुणाल चुनावी मैदान में उतरे

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव ने इस बार चुनाव से अपना नामांकन वापस ले लिया है. डीपी यादव, मुलायम सिंह यादव और राम गोपाल यादव जैसे कद्दावर नेता के सामने भी हथियार नहीं डाले थे लेकिन इस बार उन्होंने अंतिम समय में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.

34 साल के राजनीतिक जीवन में डीपी यादव ने पहली बार चुनाव से अपना कदम पीछे खींचा है. उन्होंने 25 जनवरी को बदायूं की सहसवान विधानसभा सीट से राष्ट्रीय परिवर्तन दल की तरफ से अपना नामांकन पत्र भरा था. महज 6 दिनों बाद ही डीपी यादव ने 31 जनवरी को अपना नामांकन वापस ले लिया है.

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डीपी यादव के साथ उनकी पत्नी उर्मिलेश यादव और बेटे कुणाल यादव ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. परिवार से 3 लोगो के नामांकन दाखिल करने के पीछे स्वास्थ्य का हवाला दिया था लेकिन आज पति-पत्नी ने अपना नाम वापस ले लिया है जबकि बेटे कुणाल को चुनाव मैदान में उतारा दिया है. डीपी यादव के बेटे कुणाल का ये पहला चुनाव है. कुणाल राजनीति में आने से पहले यदु शुगर मिल के निर्देशक के रूप में कार्यरत थे.

कौन हैं डीपी यादव ?

डीपी यादव नोएडा के छोटे से गांव शरफाबाद में एक किसान के घर पैदा हुए थे. उनके पिता का दूध का व्यवसाय था. डीपी यादव ने दूध के कारोबार से अपना करियर शुरू किया और वो उसके बाद चीनी मिल, पेपर मिल के मालिक बन गए. इतना ही नहीं वो शराब और शराब से जुड़े अन्य कारोबार भी करने लगे. 

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वक्त के साथ डीपी यादव का रसूख और कारोबार दोनों बढ़ता गया. डीपी यादव होटल, रिसॉर्ट, टीवी चैनल ,पावर प्रोजेक्ट ,खदाने और कंस्ट्रक्शन जैसे कारोबार में भी हाथ आजमाया और खूब पैसा बनाया. डीपी यादव ने कई स्कूल और कॉलेज भी बनवाए हैं. 

बात अगर उनके राजनीतिक करियर की करें तो वो 3 बार विधायक, मंत्री, लोकसभा ,राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. अभी वो अपनी खुद की राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं.

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