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UP: यहां हेलिकॉप्टर से पहुंचने वाले नेता की छीन गई सत्ता की 'कुर्सी'

बाराबंकी की कुर्सी विधानसभा सीट का एक मिथक है. यहां कोई भी पार्टी का राष्ट्रीय नेता, स्टार प्रचारक अथवा मुख्यमंत्री अगर हेलिकॉप्टर से जनसभा करने आया तो वह अगली बार सत्ता की कुर्सी पर वापसी नहीं कर पाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
सैयद रेहान मुस्तफ़ा
  • बाराबंकी,
  • 15 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST
  • बाराबंकी की कुर्सी सीट को लेकर मिथक
  • हेलिकॉप्टर से आने वाली की चली जाती है सत्ता!

उत्तर प्रदेश में दो चरण का चुनाव हो चुका है और बाकी बचे चार चरण की सरगर्मियां उफान हैं. प्रदेश की कुर्सी पर कौन बैठेगा? इस पर सबकी नजर है. लखनऊ की 'कुर्सी' के अलावा बाराबंकी की एक कुर्सी को जीतने की जोर आजमाइश की जा रही है. यह कुर्सी, विधानसभा क्षेत्र है. बाराबंकी के 6 सीटों में से एक कुर्सी सीट पर मुकाबला हाईप्रोफाइल है.

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कुर्सी विधानसभा सीट का एक मिथक भी है, जो अभी तक टूटा नहीं है. दरअसल, यहां कोई भी पार्टी का राष्ट्रीय नेता, स्टार प्रचारक अथवा मुख्यमंत्री अगर हेलिकॉप्टर से जनसभा करने आया तो वह अगली बार सत्ता की कुर्सी पर वापसी नहीं कर पाता है. इसे मिथक कहिए या चुनावी टोटका, लेकिन यहां की जनता और इतिहास इसे सच कहता है.

लालू, मायावती, कल्याण, अखिलेश... सबकी चली गई सत्ता

एक नहीं कई मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्तर के नेता हेलिकॉप्टर से आये और फतेहपुर के नेशनल इंटर कॉलेज के मैदान में चुनावी जनसभा करने के बाद लौटते ही अपनी सत्ता गंवा बैठे. इसका शिकार सियासत के कई दिग्गज नेता, जैसे- लालू यादव, मायावती, कल्याण सिंह और अखिलेश यादव समेत कई नेता बन चुके हैं.

नोएडा के बारे में मिथक है कि यहां पर आने वाला मुख्यमंत्री अगली बार सत्ता में वापसी नहीं कर सकता है. अब बाराबंकी जिले की कुर्सी विधानसभा की फतेहपुर तहसील भी 'मनहूस टोटके' की श्रेणी में आ गई है. यहां पर हेलिकॉप्टर पर सवार होकर कदम रखने वाला कोई भी बड़ा नेता व मुख्यमंत्री अगली बार वापसी नहीं कर पाता है.

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नोएडा की तरह फतेहपुर के नेशनल कॉलेज मैदान को लेकर टोटका

नोएडा की तरह बाराबंकी की फतेहपुर तहसील आकर कई मुख्यमंत्री व मंत्री अपनी कुर्सी से हाथ धो बैठे हैं. इनमें लालू प्रसाद यादव तक शामिल हैं. 1993 के लोकसभा चुनाव के समय पार्टी प्रत्याशी का प्रचार करने आए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव फतेहपुर से वापस गए तो उन्हें चारा घोटाले के चलते मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. 

साल 1998 में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा प्रत्याशी बैजनाथ रावत के समर्थन में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह प्रचार के लिए आए थे. इसके एक साल के भीतर ही 1999 में मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था. इसके दो साल बाद 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी फतेहपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पहाड़ापुर में आई थी.

इसके बाद 2012 में विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. बताया जताया है कि इस मनहूसियत की चपेट में बिहार और यूपी के मुख्यमंत्री ही नहीं महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे को भी यहां पर आने की ‘सजा’ मिली.

इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रमोद महाजन भी इस श्रापित जगह के मिथक का शिकार हो चुके हैं. 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव भी हेलिकॉप्टर से यहां महिला पॉलिटेक्निक का उद्घाटन करने आये थे. 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे सबको पता ही है. 

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हाल में जेपी नड्डा भी हेलिकॉप्टर से पहुंचे

अभी हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हेलिकॉप्टर से कुर्सी विधानसभा सीट पर प्रचार के लिए पहुंचे. वह भाजपा प्रत्याशी सकेन्द्र प्रताप वर्मा के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित करने उसी नेशनल कॉलेज में आए थे, जिसको लेकर टोटका है. इस टोटके को लेकर अब खुद बीजेपी विधायक सकेन्द्र वर्मा भी हड़बड़ाए हुए हैं.

बीजेपी विधायक सकेन्द्र वर्मा ने शुरुआत में चुनावी टोटके से इनकार किया, लेकिन बाद में कहा, 'रही बात जेपी नड्डा जी के हेलिकॉप्टर की तो ये नेशनल कॉलेज के मैदान में नहीं उतर रहा है, वह मिदान पुरवा में उतर रहा है. इसलिए अगर आपको उस टोटके पर शंका है तो उसका भी समाधान हम लोगों ने किया है.'

 

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